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उदयपुरः इस जन्माष्टमी पर भगवान को भी भक्तों का इंतजार, दही मटकी कार्यक्रम भी कोरोना की भेट चढ़ा

कृष्ण जन्माष्टमी पर हर साल राधाकृष्ण के जयघोष से गुंजायमान रहने वाले उदयपुर का जगदीश मंदिर आज सूनसान पड़ा है. भगवान के जन्मोत्सव पर विभिन्न प्रकार के होने वाले उत्सव इस बार नहीं होंगे. वहीं, प्रसिद्ध दही मटकी के कार्यक्रम पर भी कोरोना का ग्रहण लग गया है.

कृष्ण जन्माष्टमी, Jagdish temple of Udaipur
जन्माष्टमी की 400 साल पुरानी परंपरा टूटी
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Published : Aug 12, 2020, 12:08 PM IST

उदयपुर. श्री कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर बुधवार को उदयपुर के जगदीश मंदिर में 400 साल बाद हालात पूरी तरह बदल गए हैं. कोरोना वायरस के चलते इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है, जब भगवान जगदीश को भी अपने भक्तों का इंतजार है. वहीं भक्त भी भगवान के दर्शन नहीं करने से निराश हैं. पेश है एक रिपोर्ट..

जन्माष्टमी की 400 साल पुरानी परंपरा टूटी

कोरोना वायरस के कारण जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है. प्रशासन ने लगातार संक्रमित मरीजों की संख्या को देखते हुए सख्ती बढ़ा दिया है. ऐसे में जन्माष्टमी पर भी होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों पर इसका सीधा असर पड़ा है. देश में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. मनोहर झांकिया निकलती है, झूले सजते हैं लेकिन इस बार झीलों के शहर उदयपुर में जन्माष्टमी की रंगत मानों खत्म ही हो गई है. हर साल की तरह भक्तों से आबाद रहने वाला उदयपुर का जगदीश मंदिर इस साल भक्तों के बिना सूनसान नजर आने लगा है. उदयपुर के माहौल में पिछले साल जैसी जन्माष्टमी का उल्लास कहीं गायब नजर आ रहा है.

कृष्ण जन्माष्टमी, Jagdish temple of Udaipur
मंदिर पुजारी गोविंद लालाा का श्रृंगार करते हुए

कामना की भगवान फिर पुराने दिन लौटा दें

हालांकि, जगदीश मंदिर में हर साल की तरह इस साल भी भगवान का विशेष श्रृंगार किया जा रहा है. मंदिर को सजाया जा रहा है लेकिन इस साल भगवान के दर्शन के लिए सिर्फ पुजारी परिवार के चुनिंदा लोग ही मौजूद है. पुजारी परिवार के सदस्यों का भी कहना है कि लगभग 400 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा, जब जन्माष्टमी पर भगवान का जन्म तो होगा लेकिन दर्शन करने के लिए वक्त नहीं पहुंच पाएंगे.

यह भी पढ़ें. Special : जन्माष्टमी पर फीकी पड़ी 'छोटी काशी' की रौनक...इस बार टूट जाएगी 300 साल पुरानी परंपरा

वहीं इस दौरान पुजारी परिवार की मुखिया कहना है कि हम भगवान से अब यही कामना करते हैं कि इस महामारी को जल्द से जल्द खत्म कर फिर से पुराने दिन लौटा दे क्योंकि जनता अब और सहन नहीं कर सकती.

कृष्ण जन्माष्टमी, Jagdish temple of Udaipur
हर साल मंदिर में होता था भव्य आयोजन

मंदिर पुजारी परिवार ही सिर्फ करेंगे जन्मोत्सव

बता दें कि हर साल उदयपुर के जगदीश मंदिर में जन्माष्टमी के मौके पर न सिर्फ उदयपुर बल्कि पूरे प्रदेश और देश के श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है. वहीं जन्माष्टमी पर यहां दही मटकी का विशेष कार्यक्रम होता है. जो यहां की पहचान है लेकिन इस साल कोरोना ने रंग में भंग डाल दिया है. इनमें से कोई भी कार्यक्रम नहीं हो पा रहा है. मंदिर में सिर्फ पुजारी परिवार के चुनिंदा लोग ही मंदिर प्रांगण में साज सज्जा कर भगवान जगदीश का जन्मोत्सव मनाने की तैयारी में जुटे हैं.

कृष्ण जन्माष्टमी, Jagdish temple of Udaipur
इस बार मंदिर में लगा ताला

यह भी पढ़ें. जन्माष्टमी पर आज गोविंददेवजी मंदिर में कब-कौनसी सजेगी झांकी, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

बता दें कि सिर्फ लेक सिटी उदयपुर ही नहीं बल्कि प्रदेश के कई अन्य मंदिरों में भी हालात इसी तरह के हैं, जहां पर भगवान के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु नहीं पहुंच पा रहे हैं. ऐसा इतिहास में पहली बार हो रहा है कि मानो भगवान को भी अब भक्तों का इंतजार है.

उदयपुर. श्री कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर बुधवार को उदयपुर के जगदीश मंदिर में 400 साल बाद हालात पूरी तरह बदल गए हैं. कोरोना वायरस के चलते इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है, जब भगवान जगदीश को भी अपने भक्तों का इंतजार है. वहीं भक्त भी भगवान के दर्शन नहीं करने से निराश हैं. पेश है एक रिपोर्ट..

जन्माष्टमी की 400 साल पुरानी परंपरा टूटी

कोरोना वायरस के कारण जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है. प्रशासन ने लगातार संक्रमित मरीजों की संख्या को देखते हुए सख्ती बढ़ा दिया है. ऐसे में जन्माष्टमी पर भी होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों पर इसका सीधा असर पड़ा है. देश में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. मनोहर झांकिया निकलती है, झूले सजते हैं लेकिन इस बार झीलों के शहर उदयपुर में जन्माष्टमी की रंगत मानों खत्म ही हो गई है. हर साल की तरह भक्तों से आबाद रहने वाला उदयपुर का जगदीश मंदिर इस साल भक्तों के बिना सूनसान नजर आने लगा है. उदयपुर के माहौल में पिछले साल जैसी जन्माष्टमी का उल्लास कहीं गायब नजर आ रहा है.

कृष्ण जन्माष्टमी, Jagdish temple of Udaipur
मंदिर पुजारी गोविंद लालाा का श्रृंगार करते हुए

कामना की भगवान फिर पुराने दिन लौटा दें

हालांकि, जगदीश मंदिर में हर साल की तरह इस साल भी भगवान का विशेष श्रृंगार किया जा रहा है. मंदिर को सजाया जा रहा है लेकिन इस साल भगवान के दर्शन के लिए सिर्फ पुजारी परिवार के चुनिंदा लोग ही मौजूद है. पुजारी परिवार के सदस्यों का भी कहना है कि लगभग 400 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा, जब जन्माष्टमी पर भगवान का जन्म तो होगा लेकिन दर्शन करने के लिए वक्त नहीं पहुंच पाएंगे.

यह भी पढ़ें. Special : जन्माष्टमी पर फीकी पड़ी 'छोटी काशी' की रौनक...इस बार टूट जाएगी 300 साल पुरानी परंपरा

वहीं इस दौरान पुजारी परिवार की मुखिया कहना है कि हम भगवान से अब यही कामना करते हैं कि इस महामारी को जल्द से जल्द खत्म कर फिर से पुराने दिन लौटा दे क्योंकि जनता अब और सहन नहीं कर सकती.

कृष्ण जन्माष्टमी, Jagdish temple of Udaipur
हर साल मंदिर में होता था भव्य आयोजन

मंदिर पुजारी परिवार ही सिर्फ करेंगे जन्मोत्सव

बता दें कि हर साल उदयपुर के जगदीश मंदिर में जन्माष्टमी के मौके पर न सिर्फ उदयपुर बल्कि पूरे प्रदेश और देश के श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है. वहीं जन्माष्टमी पर यहां दही मटकी का विशेष कार्यक्रम होता है. जो यहां की पहचान है लेकिन इस साल कोरोना ने रंग में भंग डाल दिया है. इनमें से कोई भी कार्यक्रम नहीं हो पा रहा है. मंदिर में सिर्फ पुजारी परिवार के चुनिंदा लोग ही मंदिर प्रांगण में साज सज्जा कर भगवान जगदीश का जन्मोत्सव मनाने की तैयारी में जुटे हैं.

कृष्ण जन्माष्टमी, Jagdish temple of Udaipur
इस बार मंदिर में लगा ताला

यह भी पढ़ें. जन्माष्टमी पर आज गोविंददेवजी मंदिर में कब-कौनसी सजेगी झांकी, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

बता दें कि सिर्फ लेक सिटी उदयपुर ही नहीं बल्कि प्रदेश के कई अन्य मंदिरों में भी हालात इसी तरह के हैं, जहां पर भगवान के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु नहीं पहुंच पा रहे हैं. ऐसा इतिहास में पहली बार हो रहा है कि मानो भगवान को भी अब भक्तों का इंतजार है.

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