उदयपुर. श्री कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर बुधवार को उदयपुर के जगदीश मंदिर में 400 साल बाद हालात पूरी तरह बदल गए हैं. कोरोना वायरस के चलते इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है, जब भगवान जगदीश को भी अपने भक्तों का इंतजार है. वहीं भक्त भी भगवान के दर्शन नहीं करने से निराश हैं. पेश है एक रिपोर्ट..
कोरोना वायरस के कारण जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है. प्रशासन ने लगातार संक्रमित मरीजों की संख्या को देखते हुए सख्ती बढ़ा दिया है. ऐसे में जन्माष्टमी पर भी होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों पर इसका सीधा असर पड़ा है. देश में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. मनोहर झांकिया निकलती है, झूले सजते हैं लेकिन इस बार झीलों के शहर उदयपुर में जन्माष्टमी की रंगत मानों खत्म ही हो गई है. हर साल की तरह भक्तों से आबाद रहने वाला उदयपुर का जगदीश मंदिर इस साल भक्तों के बिना सूनसान नजर आने लगा है. उदयपुर के माहौल में पिछले साल जैसी जन्माष्टमी का उल्लास कहीं गायब नजर आ रहा है.
कामना की भगवान फिर पुराने दिन लौटा दें
हालांकि, जगदीश मंदिर में हर साल की तरह इस साल भी भगवान का विशेष श्रृंगार किया जा रहा है. मंदिर को सजाया जा रहा है लेकिन इस साल भगवान के दर्शन के लिए सिर्फ पुजारी परिवार के चुनिंदा लोग ही मौजूद है. पुजारी परिवार के सदस्यों का भी कहना है कि लगभग 400 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा, जब जन्माष्टमी पर भगवान का जन्म तो होगा लेकिन दर्शन करने के लिए वक्त नहीं पहुंच पाएंगे.
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वहीं इस दौरान पुजारी परिवार की मुखिया कहना है कि हम भगवान से अब यही कामना करते हैं कि इस महामारी को जल्द से जल्द खत्म कर फिर से पुराने दिन लौटा दे क्योंकि जनता अब और सहन नहीं कर सकती.
मंदिर पुजारी परिवार ही सिर्फ करेंगे जन्मोत्सव
बता दें कि हर साल उदयपुर के जगदीश मंदिर में जन्माष्टमी के मौके पर न सिर्फ उदयपुर बल्कि पूरे प्रदेश और देश के श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है. वहीं जन्माष्टमी पर यहां दही मटकी का विशेष कार्यक्रम होता है. जो यहां की पहचान है लेकिन इस साल कोरोना ने रंग में भंग डाल दिया है. इनमें से कोई भी कार्यक्रम नहीं हो पा रहा है. मंदिर में सिर्फ पुजारी परिवार के चुनिंदा लोग ही मंदिर प्रांगण में साज सज्जा कर भगवान जगदीश का जन्मोत्सव मनाने की तैयारी में जुटे हैं.
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बता दें कि सिर्फ लेक सिटी उदयपुर ही नहीं बल्कि प्रदेश के कई अन्य मंदिरों में भी हालात इसी तरह के हैं, जहां पर भगवान के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु नहीं पहुंच पा रहे हैं. ऐसा इतिहास में पहली बार हो रहा है कि मानो भगवान को भी अब भक्तों का इंतजार है.