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तीन दिवसीय जल सम्मेलन का आगाजः 6 महाद्वीपों के जल जीवन विशेषज्ञ करेंगे समस्या समाधान पर चर्चा

उदयपुर में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आगाज गुरुवार से (World water conference in Udaipur) होगा. इसमें विभिन्न देशों के प्रति​निधि सूखा, बाढ़ सहित अन्य वैश्विक समस्याओं पर चर्चा करेंगे और इसका समाधान खोजेंगे. सम्मेलन 10 दिसंबर तक चलेगा

Discussion on drought and flood in World water conference in Udaipur
तीन दिवसीय जल सम्मेलन का आगाजः 6 महाद्वीपों के जल जीवन विशेषज्ञ करेंगे समस्या समाधान पर चर्चा
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Published : Dec 8, 2022, 4:07 PM IST

उदयपुर. जी-20 शेरपा बैठक की सफल मेजबानी के बाद अब सूखे व बाढ़ की वैश्विक समस्या पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय) उदयपुर के सभागार में गुरुवार से आयोजित (World water conference in Udaipur) होगा. 10 दिसंबर तक चलने वाले इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सूखा, बाढ़ और वैश्विक समस्याओं के समाधान पर गहन मंथन और चिंतन किया जाएगा.

विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शिव सिंह सारंगदेवोत ने बताया कि 'सूखा और बाढ़: विकेंद्रीकृत जल संरक्षण के माध्यम से शमन, अनुकूलन और अंबन्ध्य’ विषयक इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य दुनिया में आ रही बाढ़ और सूखे के कारणों को जान उसका समाधान खोज कार्य योजना पर चर्चा करना है.

पढ़ें: जलवायु परिर्वतन से भारत में सूखा पड़ने की तीव्रता बढ़ेगी : अध्ययन

इसमें बोस्निया के राजदूत मोहम्मद शेनजिच, मैग्सेसे पुरस्कार विजेता व सूखा एवं बाढ़ के विश्व जन आयोग स्वीडन के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र सिंह, लक्ष्यराज सिंह मेवाड़, कुलाधिपति प्रो बलवंत राय जानी, कुलपति प्रो एसएस सारंगदेवोत, इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस मटेरियल स्वीडन के निदेशक डॉ आशुतोष तिवारी, रजिस्ट्रार डॉ हेमशंकर दाधीच, डॉ मौलाना शाहीन कास्मी, डॉ मौलाना अजाजुर रहमान, डॉ मनोहर मानव, डॉ नीतू कुमारी, डॉ सत्यम कुमार आदि राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय ख्यातनाम विषय विशेषज्ञ मौजूद रहेंगे.

पढ़ें: देश का लगभग 42 फीसदी हिस्सा सूखाग्रस्त

आयोग के कमिश्नर एवं कुलपति प्रो सारंगदेवोत ने बताया कि तीन दिवसीय विश्व जल सम्मेलन में 6 महाद्वीपों से प्रतिनिधि आयेंगे. जिसमें अफ्रीका, अमेरीका, उत्तरी अमेरिका, एशिया, यूरोप, बोस्निया, स्वीडन, कनाड़ा, मिस्र, पुर्तगाल, लिथूआनिया, आस्ट्रेलिया, नेपाल सहित भारत के महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, लद्दाख, दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान के विभिन्न राज्यों से 120 से अधिक प्रतिभागी 'एक ग्रह, एक विश्व और एक पानी, हम साथ मिलकर बदलाव ला सकते हैं', के आदर्श को साकार करने के उद्देश्य से भाग लेंगे. इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन में विशेष रूप से ऐसे देशों के प्रतिनिधि सम्मिलित होंगे, जो विगत दो वर्षों में बाढ़ और सूखे से प्रभावित हुए हैं.

उदयपुर. जी-20 शेरपा बैठक की सफल मेजबानी के बाद अब सूखे व बाढ़ की वैश्विक समस्या पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय) उदयपुर के सभागार में गुरुवार से आयोजित (World water conference in Udaipur) होगा. 10 दिसंबर तक चलने वाले इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सूखा, बाढ़ और वैश्विक समस्याओं के समाधान पर गहन मंथन और चिंतन किया जाएगा.

विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शिव सिंह सारंगदेवोत ने बताया कि 'सूखा और बाढ़: विकेंद्रीकृत जल संरक्षण के माध्यम से शमन, अनुकूलन और अंबन्ध्य’ विषयक इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य दुनिया में आ रही बाढ़ और सूखे के कारणों को जान उसका समाधान खोज कार्य योजना पर चर्चा करना है.

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इसमें बोस्निया के राजदूत मोहम्मद शेनजिच, मैग्सेसे पुरस्कार विजेता व सूखा एवं बाढ़ के विश्व जन आयोग स्वीडन के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र सिंह, लक्ष्यराज सिंह मेवाड़, कुलाधिपति प्रो बलवंत राय जानी, कुलपति प्रो एसएस सारंगदेवोत, इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस मटेरियल स्वीडन के निदेशक डॉ आशुतोष तिवारी, रजिस्ट्रार डॉ हेमशंकर दाधीच, डॉ मौलाना शाहीन कास्मी, डॉ मौलाना अजाजुर रहमान, डॉ मनोहर मानव, डॉ नीतू कुमारी, डॉ सत्यम कुमार आदि राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय ख्यातनाम विषय विशेषज्ञ मौजूद रहेंगे.

पढ़ें: देश का लगभग 42 फीसदी हिस्सा सूखाग्रस्त

आयोग के कमिश्नर एवं कुलपति प्रो सारंगदेवोत ने बताया कि तीन दिवसीय विश्व जल सम्मेलन में 6 महाद्वीपों से प्रतिनिधि आयेंगे. जिसमें अफ्रीका, अमेरीका, उत्तरी अमेरिका, एशिया, यूरोप, बोस्निया, स्वीडन, कनाड़ा, मिस्र, पुर्तगाल, लिथूआनिया, आस्ट्रेलिया, नेपाल सहित भारत के महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, लद्दाख, दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान के विभिन्न राज्यों से 120 से अधिक प्रतिभागी 'एक ग्रह, एक विश्व और एक पानी, हम साथ मिलकर बदलाव ला सकते हैं', के आदर्श को साकार करने के उद्देश्य से भाग लेंगे. इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन में विशेष रूप से ऐसे देशों के प्रतिनिधि सम्मिलित होंगे, जो विगत दो वर्षों में बाढ़ और सूखे से प्रभावित हुए हैं.

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