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उदयपुर सीट पर BTP ने बढ़ाई भाजपा-कांग्रेस की धड़कनें, कड़ी टक्कर देने को तैयार

विधानसभा चुनाव में दो सीटें जीतकर चर्चा में आई भारतीय ट्राइबल पार्टी ने भी लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों को टक्कर देने के लिए अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा है.

डिजाइन फोटो- रघुवीर सिंह मीणा, बीरदीलाल मीणा और अर्जुन लाल मीणा
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Published : Apr 10, 2019, 10:07 PM IST

उदयपुर. लोकसभा सीट उदयपुर पर इस बार भाजपा और कांग्रेस को टक्कर देने के लिए भारतीय ट्राइबल पार्टी ने भी अपना उम्मीदवार मैदान में उतार दिया है. बीटीपी के मैदान में आने से भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ गई हैं. आदिवासी बाहुल्य इस लोकसभा सीट पर अब मुकाला टक्कर का हो सकता है.

उदयपुर लोकसभा क्षेत्र के दायरे में कुल 8 विधानसभाएं आती हैं. कुल जनसंख्या की बात करें तो यह 2952470 है. इस जनसंख्या का 80% से ज्यादा हिस्सा ग्रामीण है जबकि 20% शहरी है. कुल आबादी का 5.5% अनुसूचित जाति जबकि 59.8 फीसदी हिस्सा अनुसूचित जनजाति का है. ऐसे में क्षेत्र में सबसे अधिक आदिवासी वोट हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए दोनों प्रमुख पार्टियां भाजपा और कांग्रेस आदिवासी समुदाय से ही प्रत्याशी को मैदान में उतारा है.

वीडियोः उदयपुर सीट पर बीटीपी ने किए भाजपा-कांग्रेस के कान खड़े

वहीं विधानसभा चुनाव में दो सीटें जीतकर चर्चा में आई भारतीय ट्राइबल पार्टी ने भी लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों को टक्कर देने के लिए अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा है. खास बात यह है कि बीटीपी का प्रत्याशी भी आदिवासी (मीणा) समुदाय से ही चुना गया है. जहां बीजेपी ने अर्जुन लाल मीणा को मैदान में उतरा है तो वहीं कांग्रेस ने रघुवीर मीणा पर भरोसा जताया है.

जिस तरह मेवाड़ के डूंगरपुर और बांसवाड़ा (वागड़) में पहली बार विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरी बीटीपी ने जीत का परचम लहराया था वैसा ही करिश्मा लोकसभा चुनाव में भी दिखाने के प्रयास में जुटी है. यही वजह है कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण बीटीपी ने बांसवाड़ा-डूंगरपुर के बाद उदयपुर में भी प्रत्याशी उतारा है. भारतीय ट्राइबल पार्टी ने उम्मीदवार के तौर पर बीरदीलाल मीणा को चुणा है.

वागड़ में अपना प्रभाव दिखाने वाली बीटीपी को उम्मीद है कि वो आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण मेवाड़ की सबसे बड़ी सीट पर भी वर्चस्व बना सकती है. उदयपुर लोकसभा क्षेत्र में जातिगत आंकड़ों की बात की जाए तो यहां के 8 विधानसभा क्षेत्रों में 7 विधानसभाएं ऐसी हैं जहां मीणा समाज के लोग ही नेता को चुनने में अहम भूमिका अदा करते हैं.

उदयपुर लोकसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरणों की अगर बात की जाए तो यहां मतदाताओं की संख्या 20 लाख से उपर है. एक अनुमानित आंकड़े के अनुसार यहां 55 से 60 प्रतिशत एसटी मतदाता हैं, 10 प्रतिशत के करीब ओबीसी, 7 प्रतिशत के करीब ब्राह्मण, 6 प्रतिशत के करीब जैन और इतने ही प्रतिशत राजपूत मतदाता हैं. अलपसंख्यक मतदाता यहां 5 फीसदी के करीब हैं. ऐसे में एसटी के लिए रिजर्व इस सीट पर आदिवासी मतदाता प्रत्याशी की जीत तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं.

बीटीपी के उदयपुर में आने से ऐसा माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में मूल आदिवासी वोट अब तीन पार्टियों में विभाजित हो सकता है. वोटों के इस ध्रूविकरण से जहां बीटीपी फायदा उठा सकती है वहीं भाजपा और कांग्रेस के वोट खिसक सकते हैं. आपको बता दें कि भारतीय ट्राइबल पार्टी विधानसभा चुनावों में आदिवासी हित और आदिवासियों के लिए अलग राज्य की मांग भीलस्थान को लेकर चुनाव में उतरी थी. जिसका खासा असर देखने को मिला था.

उदयपुर. लोकसभा सीट उदयपुर पर इस बार भाजपा और कांग्रेस को टक्कर देने के लिए भारतीय ट्राइबल पार्टी ने भी अपना उम्मीदवार मैदान में उतार दिया है. बीटीपी के मैदान में आने से भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ गई हैं. आदिवासी बाहुल्य इस लोकसभा सीट पर अब मुकाला टक्कर का हो सकता है.

उदयपुर लोकसभा क्षेत्र के दायरे में कुल 8 विधानसभाएं आती हैं. कुल जनसंख्या की बात करें तो यह 2952470 है. इस जनसंख्या का 80% से ज्यादा हिस्सा ग्रामीण है जबकि 20% शहरी है. कुल आबादी का 5.5% अनुसूचित जाति जबकि 59.8 फीसदी हिस्सा अनुसूचित जनजाति का है. ऐसे में क्षेत्र में सबसे अधिक आदिवासी वोट हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए दोनों प्रमुख पार्टियां भाजपा और कांग्रेस आदिवासी समुदाय से ही प्रत्याशी को मैदान में उतारा है.

वीडियोः उदयपुर सीट पर बीटीपी ने किए भाजपा-कांग्रेस के कान खड़े

वहीं विधानसभा चुनाव में दो सीटें जीतकर चर्चा में आई भारतीय ट्राइबल पार्टी ने भी लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों को टक्कर देने के लिए अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा है. खास बात यह है कि बीटीपी का प्रत्याशी भी आदिवासी (मीणा) समुदाय से ही चुना गया है. जहां बीजेपी ने अर्जुन लाल मीणा को मैदान में उतरा है तो वहीं कांग्रेस ने रघुवीर मीणा पर भरोसा जताया है.

जिस तरह मेवाड़ के डूंगरपुर और बांसवाड़ा (वागड़) में पहली बार विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरी बीटीपी ने जीत का परचम लहराया था वैसा ही करिश्मा लोकसभा चुनाव में भी दिखाने के प्रयास में जुटी है. यही वजह है कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण बीटीपी ने बांसवाड़ा-डूंगरपुर के बाद उदयपुर में भी प्रत्याशी उतारा है. भारतीय ट्राइबल पार्टी ने उम्मीदवार के तौर पर बीरदीलाल मीणा को चुणा है.

वागड़ में अपना प्रभाव दिखाने वाली बीटीपी को उम्मीद है कि वो आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण मेवाड़ की सबसे बड़ी सीट पर भी वर्चस्व बना सकती है. उदयपुर लोकसभा क्षेत्र में जातिगत आंकड़ों की बात की जाए तो यहां के 8 विधानसभा क्षेत्रों में 7 विधानसभाएं ऐसी हैं जहां मीणा समाज के लोग ही नेता को चुनने में अहम भूमिका अदा करते हैं.

उदयपुर लोकसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरणों की अगर बात की जाए तो यहां मतदाताओं की संख्या 20 लाख से उपर है. एक अनुमानित आंकड़े के अनुसार यहां 55 से 60 प्रतिशत एसटी मतदाता हैं, 10 प्रतिशत के करीब ओबीसी, 7 प्रतिशत के करीब ब्राह्मण, 6 प्रतिशत के करीब जैन और इतने ही प्रतिशत राजपूत मतदाता हैं. अलपसंख्यक मतदाता यहां 5 फीसदी के करीब हैं. ऐसे में एसटी के लिए रिजर्व इस सीट पर आदिवासी मतदाता प्रत्याशी की जीत तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं.

बीटीपी के उदयपुर में आने से ऐसा माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में मूल आदिवासी वोट अब तीन पार्टियों में विभाजित हो सकता है. वोटों के इस ध्रूविकरण से जहां बीटीपी फायदा उठा सकती है वहीं भाजपा और कांग्रेस के वोट खिसक सकते हैं. आपको बता दें कि भारतीय ट्राइबल पार्टी विधानसभा चुनावों में आदिवासी हित और आदिवासियों के लिए अलग राज्य की मांग भीलस्थान को लेकर चुनाव में उतरी थी. जिसका खासा असर देखने को मिला था.

Intro:मेवाड़ संभाग की उदयपुर लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा और कांग्रेस को टक्कर देने के लिए भारतीय ट्राइबल पार्टी ने भी अपना उम्मीदवार मैदान में उतार दिया है जिसके चलते इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय संघर्ष में बदलता नजर आ रहा है जी हां प्रदेश की आदिवासी बाहुल्य लोकसभा सीट पर अब तीन प्रमुख पार्टियों में मुकाबला देखने को मिल रहा है पेश है एक रिपोर्ट


Body:उदयपुर लोकसभा सीट पर इस बार का मुकाबला त्रिकोणीय संघर्ष में बदल गया है जहां तक मैदान में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी के नेता थे तो वहीं अब भारतीय ट्राइबल पार्टी ने भी अपने उम्मीदवार को मैदान में उतार दिया है उदयपुर लोकसभा सीट पर कुल 8 विधानसभा क्षेत्र हैं जिसमें कुल जनसंख्या 2952470 है इस जनसंख्या का 81% हिस्सा ग्रामीण है जबकि 18% हिस्सा शहरी है कुल आबादी का 5.5% अनुसूचित जाति जबकि 59.8 फीस दी हिस्सा अनुसूचित जनजाति का है ऐसे में क्षेत्र में सबसे अधिक आदिवासी वोट है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए जहां दोनों पार्टियां आदिवासी समुदाय के प्रत्याशी को मैदान में उतारा था तो वहीं अब आदिवासी क्षेत्र में विधानसभा चुनाव में झंडे गाड़ चुकी भारतीय ट्राइबल पार्टी ने भी अपना प्रत्याशी उतार मुकाबला त्रिकोणीय कर दिया है बता दें कि उदयपुर लोकसभा सीट से जहां बीजेपी ने अर्जुन लाल मीणा को मैदान में उतरा तो तो वहीं कांग्रेस ने रघुवीर मीणा को सीट पर अपना उम्मीदवार बनाया था जहां अब तक इन दोनों उम्मीदवारों को देखिए मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में लग रहा था तो वहीं अब भारतीय ट्राइबल पार्टी का उम्मीदवार बीरदीलाल मीणा को तार मुकाबला त्रिकोणीय संघर्ष में बदल दिया है आपको बता दें कि इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय होने का कारण यह है कि उदयपुर लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्रों में से 7 विधानसभा क्षेत्रों में मीणा बाहुल्य वोट है और विधानसभा चुनाव में इन क्षेत्रों में भारतीय ट्राइबल पार्टी के उम्मीदवारों ने बीजेपी और कांग्रेस को जहां सीधी टक्कर दी थी तो वहीं 2 उम्मीदवार विधानसभा भी पहुंचे जिसका सीधा असर क्षेत्र में दिखाई दे रहा है ऐसे में माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में भी मूल आदिवासी वोट अब तीन पार्टियों में विभाजित होगा जिसके चलते यह मुकाबला त्रिकोणीय संघर्ष में बदला है आपको बता दें कि भारतीय ट्राइबल पार्टी क्षेत्र में लंबे समय से आदिवासी हित और आदिवासियों के लिए काम कर रही है जिसके चलते क्षेत्र के आदिवासियों में भारतीय ट्राइबल पार्टी की गहरी पैठ बन चुकी है


Conclusion:कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि उदयपुर लोकसभा सीट जहां भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी में सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा था तो वहीं अब भारतीय ट्राइबल पार्टी ने अपना उम्मीदवार उतार इस मुकाबले को त्रिकोणीय कर दिया है ऐसे में अब देखना होगा उदयपुर लोकसभा सीट की जनता किस पार्टी को अपना वोट होती है
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