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राजधानी समेत कई जिलों की प्यास बुझाने वाले बीसलपुर के पानी को तरसता टोंक

राज्य के कई जिलों की प्यास बुझाने वाले बीसलपुर बांध के गृह जिले टोंक में ही लोग पानी को तरसते नजर आ रहे है जैसे- जैसे गर्मी का प्रकोप बढ़ रहा है वैसे-वैसे पानी की मांग भी बढ़ती जा रही है.

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Published : May 8, 2019, 10:58 PM IST

पानी की कमी से परेशान होते लोग

टोंक. राज्य के कई जिलों की प्यास बुझाने वाला बीसलपुर बांध है, जिसके पानी से राजधानी जयपुर सहित कई जिलों की जनता की प्यास बुझाती है पर टोंक की जनता आज भी प्यासी है. अब आप समझ गए होंगे कि जिला मुख्यालय होने के बावजूद नवाबी नगरी टोंक में ही पेयजल की सप्लाई में इतनी जटिलता है तो ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल सप्लाई किस तरह होती होगी, जिला मुख्यालय के कई क्षेत्रों में पानी नहीं आने से लोग परेशान तो है लेकिन उनकी सुनने वाला कोई भी नहीं है, और जनता हैंड पंपों का खारा पानी पीकर अपनी प्यास बुझा रही है.

टोंक जिले में पेयजल की किल्लत

वहीं दूसरी ओर आजादी के कई सालों बाद आज भी जिले के कई हिस्सों में पीने योग्य पानी का लोगों को इंतजार है, आज से कई साल पहले जिले में बीसलपुर बांध बनने के बाद उम्मीद जगी थी कि क्षेत्र के लोगों को पीने योग्य पानी मिल पाये लेकिन बांध बनने के बाद जैसे ही बनास नदी सूखने लगी बनास नदी में अवैध दोहन के रूप में शुरू हो गया खिलवाड़ और यही खिलवाड़ नदी में मौजूद अधिकतर मीठे पानी के कुओं को लील गया.

जिला मुख्यालय पर आए दिन पानी को लेकर धरना प्रदर्शन हो रहे हैं लेकिन जिला मुख्यालय की जनता की सुनने वाला कोई भी नहीं है, जनता कहती है कि वोट मांगने के समय तो आ जाते हैं और जीतने के बाद लौटकर ही नहीं आते. अब जिला मुख्यालय की जनता जाए तो किसके पास जाए, जनता की सुनने वाला कोई नजर ही नहीं आता.

टोंक. राज्य के कई जिलों की प्यास बुझाने वाला बीसलपुर बांध है, जिसके पानी से राजधानी जयपुर सहित कई जिलों की जनता की प्यास बुझाती है पर टोंक की जनता आज भी प्यासी है. अब आप समझ गए होंगे कि जिला मुख्यालय होने के बावजूद नवाबी नगरी टोंक में ही पेयजल की सप्लाई में इतनी जटिलता है तो ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल सप्लाई किस तरह होती होगी, जिला मुख्यालय के कई क्षेत्रों में पानी नहीं आने से लोग परेशान तो है लेकिन उनकी सुनने वाला कोई भी नहीं है, और जनता हैंड पंपों का खारा पानी पीकर अपनी प्यास बुझा रही है.

टोंक जिले में पेयजल की किल्लत

वहीं दूसरी ओर आजादी के कई सालों बाद आज भी जिले के कई हिस्सों में पीने योग्य पानी का लोगों को इंतजार है, आज से कई साल पहले जिले में बीसलपुर बांध बनने के बाद उम्मीद जगी थी कि क्षेत्र के लोगों को पीने योग्य पानी मिल पाये लेकिन बांध बनने के बाद जैसे ही बनास नदी सूखने लगी बनास नदी में अवैध दोहन के रूप में शुरू हो गया खिलवाड़ और यही खिलवाड़ नदी में मौजूद अधिकतर मीठे पानी के कुओं को लील गया.

जिला मुख्यालय पर आए दिन पानी को लेकर धरना प्रदर्शन हो रहे हैं लेकिन जिला मुख्यालय की जनता की सुनने वाला कोई भी नहीं है, जनता कहती है कि वोट मांगने के समय तो आ जाते हैं और जीतने के बाद लौटकर ही नहीं आते. अब जिला मुख्यालय की जनता जाए तो किसके पास जाए, जनता की सुनने वाला कोई नजर ही नहीं आता.

Intro:जिले में पेयजल की किल्लत...

एंकर- राज्य के कई जिलो की प्यास बुझाने वाले बीसलपुर बांध के गृह जिले टोंक में ही लोग पानी को तरसते नजर आते हैं, जैसे जैसे गर्मी का प्रकोप बढ़ रहा है वैसे-वैसे पानी की मांग भी बढ़ती जा रही है, जिला मुख्यालय के कई क्षेत्रों में पेयजल के लिए लोगों को परेशान होना पड़ रहा है, कहीं पानी के लिए लंबी लाइनों में इंतजार करना पड़ता है तो कई लोग हेडपंप से पानी लाकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं, जबकि नवाबी नगरी में तो कई सालों से कई क्षेत्रों में 48 घंटों में एक बार पानी आ रहा है वह भी कुछ समय के लिये, क्या कहती है जिला मुख्यालय की जनता खुद सुनिये उनकी जुबानी।




Body:वीओ-01- कहने को तो टोंक जिले में राज्य के आधा दर्जन से ज्यादा जिलों की प्यास बुझाने वाला बीसलपुर बांध है, जिसके पानी से राजधानी जयपुर सहित कई जिलों की जनता की प्यास बुझाती है पर टोंक की जनता आज प्यासी है। अब आप समझ गए होंगे कि जिला मुख्यालय होने के बावजूद नवाबी नगरी टोंक में ही पेयजल की सप्लाई में इतनी जटिलता है तो ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल सप्लाई किस तरह होती होगी, जिला मुख्यालय के कई क्षेत्रों में पानी नहीं आने से लोग परेशान तो है लेकिन उनकी सुनने वाला कोई भी नहीं है, और जनता हेड पंपों का खारा पानी पीकर अपनी प्यास बुझा रही है।

बाईट-01-सीता देवी- स्थानीय निवासी
बाईट-02- फरीदा खान- स्थानीय निवासी

वीओ-02- वहीं दूसरी ओर आजादी के कई सालों बाद आज भी जिले के कई हिस्सों में पीने योग्य पानी का लोगों को इंतजार है, आज से कई साल पूर्व जिले में बीसलपुर बांध बनने के बाद उम्मीद जगी थी कि क्षेत्र के लोगों को पीने योग्य पानी मिल पाये परंतु बांध बनने के बाद जैसे ही बनास नदी सूखने लगी बनास नदी में अवैध दोहन के रूप में शुरू हो गया खिलवाड़ और यही खिलवाड़ नदी में मौजूद अधिकतर मीठे पानी के कुओं को लील गया।

बाईट-03- फरजाना खान- स्थानीय निवासी
बाईट-04- राधेश्याम- सहायक अभियंता जलदाय विभाग टोंक




Conclusion:फाइनल वीओ- जिला मुख्यालय पर आए दिन पानी को लेकर धरना प्रदर्शन हो रहे हैं लेकिन जिला मुख्यालय की जनता की सुनने वाला कोई भी नहीं है, जनता कहती है कि वोट मांगने के समय तो आ जाते हैं और जीतने के बाद लौटकर ही नही आते। अब जिला मुख्यालय की जनता जाए तो किसके पास जाए, जनता की सुनने वाला कोई नजर ही नहीं आता।

रविश टेलर

टोंक
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