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कोरोना कालः लॉकडाउन के दौरान घरों में ड्रॉइंग बना रहे बच्चे

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Published : May 23, 2020, 1:27 PM IST

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए प्रदेश में 22 मार्च से लॉकडाउन जारी है. इस दरमियान स्कूल बंद होने सें बच्चें, घर के बड़े बुजुर्ग सहित पूरा परिवार घरों में कैद हैं. भागदौड़ भरी जिदंगी में लोग जहां दिनभर व्यस्त रहते थे, ऐसे में कई लोग अपने परिवार को समय नहीं दे पाते थे.

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लॉकडाउन ने बदली बच्चों की जिंदगी

टोंक. दो महीने के लंबे लॉकडाउन ने बच्चों की शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक जिंदगी को बदल कर रख दिया है और आज यह बच्चे अपने घरों में रहकर पर्यावरण के लिए ड्राइंग के माध्यम से संदेश दे रहे हैं.

लॉकडाउन ने बदली बच्चों की जिंदगी

बता दें, कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए प्रदेश में 22 मार्च से लॉकडाउन जारी है. इस दरमियान स्कूल बंद होने सें बच्चें, घर के बड़े बुजुर्ग सहित पूरा परिवार घरों में कैद हैं. भागदौड़ भरी जिदंगी में लोग जहां दिनभर व्यस्त रहते थे, ऐसे में कई लोग अपने परिवार को समय नहीं दे पाते थे. फिलहाल बच्चों ने लॉकडाउन में योग, मेडिटेशन, चौपड़ पासा खेल, ड्रांइग, कुकिंग, कबाड़ के सामान से पक्षियों के लिए पक्षी घर, सकोरे रखना, गौसेवा और सूर्य के दर्शन आदि को अपने दिनचर्या में शामिल किया है.

पढ़ेंः श्रमिक बसों का एक रुपया भी नहीं लिया, 36 लाख का बिल भी यूपी परिवहन निगम की ओर से मांगा गया थाः खाचरियावास

इन बच्चों के परिवार वाले भी मानते है, कि लॉकडाउन में बच्चों के साथ पहली बार समय बिताने और आपसी रिश्ते मजबूत करने का समय मिला है. बच्चों को इनके दादाजी ने खेल-खेल में कई गतिविधियों से जोड़कर पारंपरिक खेल, धर्म, योग और संस्कार की शिक्षा दी हैं.

बच्चों के दिनभर घर पर रहने से घर तितर-बितर पड़ा रहता था, लेकिन बच्चों के घर पर रहने से कोई शिकायत नहीं है. बुजुर्ग चिरंजीलाल दाधीच बताते हैं, कि लॉकडाउन के दौरान रामायण और महाभारत सीरियल के दौरान परिवार के सभी सदस्यों ने एकजुट होकर इन्हें देखा है.

टोंक. दो महीने के लंबे लॉकडाउन ने बच्चों की शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक जिंदगी को बदल कर रख दिया है और आज यह बच्चे अपने घरों में रहकर पर्यावरण के लिए ड्राइंग के माध्यम से संदेश दे रहे हैं.

लॉकडाउन ने बदली बच्चों की जिंदगी

बता दें, कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए प्रदेश में 22 मार्च से लॉकडाउन जारी है. इस दरमियान स्कूल बंद होने सें बच्चें, घर के बड़े बुजुर्ग सहित पूरा परिवार घरों में कैद हैं. भागदौड़ भरी जिदंगी में लोग जहां दिनभर व्यस्त रहते थे, ऐसे में कई लोग अपने परिवार को समय नहीं दे पाते थे. फिलहाल बच्चों ने लॉकडाउन में योग, मेडिटेशन, चौपड़ पासा खेल, ड्रांइग, कुकिंग, कबाड़ के सामान से पक्षियों के लिए पक्षी घर, सकोरे रखना, गौसेवा और सूर्य के दर्शन आदि को अपने दिनचर्या में शामिल किया है.

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इन बच्चों के परिवार वाले भी मानते है, कि लॉकडाउन में बच्चों के साथ पहली बार समय बिताने और आपसी रिश्ते मजबूत करने का समय मिला है. बच्चों को इनके दादाजी ने खेल-खेल में कई गतिविधियों से जोड़कर पारंपरिक खेल, धर्म, योग और संस्कार की शिक्षा दी हैं.

बच्चों के दिनभर घर पर रहने से घर तितर-बितर पड़ा रहता था, लेकिन बच्चों के घर पर रहने से कोई शिकायत नहीं है. बुजुर्ग चिरंजीलाल दाधीच बताते हैं, कि लॉकडाउन के दौरान रामायण और महाभारत सीरियल के दौरान परिवार के सभी सदस्यों ने एकजुट होकर इन्हें देखा है.

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