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साल 2005 में 5 हजार रुपए से शुरू किया कारोबार, 14 साल में युवा जुगल किशोर और श्रवण ने खड़ी कर दी 40 कर्मचारियों वाली कंपनी

बढ़ती बेरोजगारी के इस दौर में युवाओं के लिए प्रेरक के रूप में उभर कर सामने आए हैं श्रीगंगानगर के जुगल किशोर और श्रवण. जिन्होंने अपनी कड़ी लगन और मेहनत से बीते 14 साल में घरेलू उद्योग से एक बड़ी कंपनी बना दी.जिनको मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में उद्योग रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया है. इन युवा उद्यमियों के फर्श से अर्श तक का सफर ईटीवी भारत की इस स्पेशल रिपोर्ट में....

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श्रींगगानगर के युवा बिजनेसमैन का दास्तां
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Published : Jan 16, 2020, 7:27 PM IST

श्रीगंगानगर. साल 2005 में मात्र 5 हजार रुपए से दो युवाओं ने मिलकर कारोबार की शुरूआत की. 14 साल के बाद उनकी इस कंपनी में 40 और लोगों को भी रोजगार दिया है. जो लगातार मुनाफे में चल रही है. मध्यम वर्गीय परिवार और खराब आर्थिक हालातों के बावजूद हार नहीं मानी और जो सपना इन्होंने देखा, उन्हें आखिरकार पूरा कर दिखाया और बन गए युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल.

श्रींगगानगर के युवा बिजनेसमैन का दास्तां

दरअसल यह कहानी है एक ऐसे परिवार की, जिसका मुखिया हनुमान प्रसाद खाने-पीने से जुड़े आइटम बनाने में तो माहिर थे, लेकिन घर की आर्थिक हालत पस्त होने के कारण मात्र 3 हजारी की नौकरी करने पर मजबूर थे. इसके बाद वक्त ने करवट बदली और जब हनुमान के बेटे पढ़-लिख गए तो घर को हालातों को सुधारने के लिए अपने ग्लैमरस सपने को छोड़कर पिता की मदद को आगे आए. उन्होंने पापा के साथ एक योजना बनाई कि क्यों ना खुद का कोई आइटम तैयार करके बाजार में बेचा जाए. फिर क्या था, तीनों ने मिलकर घर पर ही मात्र 5 हजार रुपए जमा करके अपना खुद का बिजनेस शुरू कर दिया.

यह भी पढ़ें- झुंझुनू: 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' कैलेंडर का कलेक्टर ने किया विमोचन

पिता के हाथों में है स्वाद का खजाना

यह बात सन् 2005 की है. पिता नमकीन, स्वीट आईट्म बनाने के बेहतरीन कलाकार थे ही. इसके बाद दोनों बेटों ने पिता के बनाए गए इन आइटमों को बाजार में ब्रांडिंग करके बेचना शुरू कर दिया. समय के साथ बाजार में इनके आइटम की डिमांड बढ़ती गई. फिर तीनों ने मिलकर घर से बाहर किराए की जगह ली और अपने काम को थोड़ा और विस्तारित किया.

इस प्रकार बना 'विशाल फूड प्रोड्क्ट'

इसके बाद इनकी तो जैसे गाड़ी चल ही पड़ी. धीरे-धीरे बाजार में बढ़ते ग्राहकों की बढ़ती डिमांड के चलते माल की क्वालिटी में नई-नई प्रयोग किए जाने लगे. तेजी से बढ़ते व्यवसाय को देखते हुए इन्होंने 'विशाल फूड प्रोडक्ट' के नाम से रजिस्ट्रेशन करवा लिया और अपना बनाया सामान दूसरे राज्यों में भी भेजना शुरू कर दिया. बेहतरीन क्वालिटी के कारण ग्राहकों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी. ज्यादा माल तैयार करने के लिए इन्हें अब कारीगरों और हेल्परों की जरूरत थी, तो वो भी रख लिए गए.

यह भी पढ़ें- हिसारः एक महीने में गौशालाओं में 529 गायों ने तोड़ा दम, क्या है वजह ?

40 लोगों को मिला रोजगार

जुगल किशोर की मानें तो आज के युवाओं को सरकारी नौकरियों के पीछे लोगों को दौड़ने की बजाय खुद का रोजगार करके आत्मनिर्भर बनना चाहिए. सरकार की ओर से मिलने वाली मदद से युवा न केवल अपना कारोबार बढ़ा सकते हैं, बल्कि अनेक लोगों को रोजगार भी दे सकते हैं. जुगल ने कहा कि मैं भी कभी खुद भी सरकारी नौकरी करना चाहता था, पर वक्त बदला और सोच भी और आज मैं न सिर्फ अपना घर चला रहा हूं, बल्कि हमारे इस कंपनी से 40 और भी घरों का पेट पलता है.

'विशाल फूड प्रोडक्ट' के नाम से बाजार में बिक रहे इनके बनाए आइटमों की क्वालिटी बेहतर मानी जाती है. यही कारण है कि जुगल किशोर को कुछ दिन पहले जयपुर में राजस्थान सरकार की ओर से 'राजस्थान राज्य स्तरीय निर्यात और उद्योग रत्न' पुरस्कार से युवा उद्यमी का खिताब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिया है. साथ ही राज्य उद्योग रत्न अवार्ड व्यवसाय के टर्नओवर में उत्कृष्ट वृद्धि हेतु सूक्ष्म उद्योग श्रेणी में सरकार ने एक लाख रुपए की राशि का चेक, राजस्थान उद्योग रत्न पुरस्कार, प्रशस्ति पत्र और शॉल ओढ़ाकर जयपुर में सम्मानित भी किया गया है.

यह भी पढ़ें- साल 2020 में आज से गूंजेंगी शहनाइयां, पूरे वर्ष क्या रहेगा शुभ मुहूर्त जानिए...

युवा उद्यमियों में नं. 1 पर जुगल किशोर

यह अवार्ड राज्य में 8 उद्यमियों को मिला है. जिसमें जुगल किशोर राजस्थान के सबसे युवा व्यवसायी के रूप में उभर कर सामने आए हैं. परिवार के सदस्यों के गजक निर्माण से शुरुआत करके मात्र 14 साल के अंदर राजस्थान की सर्वोच्च क्वालिटी में श्रीगंगानगर का नाम रोशन किया है. इनके प्रोडक्ट गजक, नमकीन, कोकोनट, पेड़े और सभी प्रकार के उत्पाद देश के विभिन्न राज्यों में सप्लाई किए जाते हैं. ईटीवी भारत जुगल और उनके परिवार के इस जज्बे को सलाम करता है.

श्रीगंगानगर. साल 2005 में मात्र 5 हजार रुपए से दो युवाओं ने मिलकर कारोबार की शुरूआत की. 14 साल के बाद उनकी इस कंपनी में 40 और लोगों को भी रोजगार दिया है. जो लगातार मुनाफे में चल रही है. मध्यम वर्गीय परिवार और खराब आर्थिक हालातों के बावजूद हार नहीं मानी और जो सपना इन्होंने देखा, उन्हें आखिरकार पूरा कर दिखाया और बन गए युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल.

श्रींगगानगर के युवा बिजनेसमैन का दास्तां

दरअसल यह कहानी है एक ऐसे परिवार की, जिसका मुखिया हनुमान प्रसाद खाने-पीने से जुड़े आइटम बनाने में तो माहिर थे, लेकिन घर की आर्थिक हालत पस्त होने के कारण मात्र 3 हजारी की नौकरी करने पर मजबूर थे. इसके बाद वक्त ने करवट बदली और जब हनुमान के बेटे पढ़-लिख गए तो घर को हालातों को सुधारने के लिए अपने ग्लैमरस सपने को छोड़कर पिता की मदद को आगे आए. उन्होंने पापा के साथ एक योजना बनाई कि क्यों ना खुद का कोई आइटम तैयार करके बाजार में बेचा जाए. फिर क्या था, तीनों ने मिलकर घर पर ही मात्र 5 हजार रुपए जमा करके अपना खुद का बिजनेस शुरू कर दिया.

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पिता के हाथों में है स्वाद का खजाना

यह बात सन् 2005 की है. पिता नमकीन, स्वीट आईट्म बनाने के बेहतरीन कलाकार थे ही. इसके बाद दोनों बेटों ने पिता के बनाए गए इन आइटमों को बाजार में ब्रांडिंग करके बेचना शुरू कर दिया. समय के साथ बाजार में इनके आइटम की डिमांड बढ़ती गई. फिर तीनों ने मिलकर घर से बाहर किराए की जगह ली और अपने काम को थोड़ा और विस्तारित किया.

इस प्रकार बना 'विशाल फूड प्रोड्क्ट'

इसके बाद इनकी तो जैसे गाड़ी चल ही पड़ी. धीरे-धीरे बाजार में बढ़ते ग्राहकों की बढ़ती डिमांड के चलते माल की क्वालिटी में नई-नई प्रयोग किए जाने लगे. तेजी से बढ़ते व्यवसाय को देखते हुए इन्होंने 'विशाल फूड प्रोडक्ट' के नाम से रजिस्ट्रेशन करवा लिया और अपना बनाया सामान दूसरे राज्यों में भी भेजना शुरू कर दिया. बेहतरीन क्वालिटी के कारण ग्राहकों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी. ज्यादा माल तैयार करने के लिए इन्हें अब कारीगरों और हेल्परों की जरूरत थी, तो वो भी रख लिए गए.

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40 लोगों को मिला रोजगार

जुगल किशोर की मानें तो आज के युवाओं को सरकारी नौकरियों के पीछे लोगों को दौड़ने की बजाय खुद का रोजगार करके आत्मनिर्भर बनना चाहिए. सरकार की ओर से मिलने वाली मदद से युवा न केवल अपना कारोबार बढ़ा सकते हैं, बल्कि अनेक लोगों को रोजगार भी दे सकते हैं. जुगल ने कहा कि मैं भी कभी खुद भी सरकारी नौकरी करना चाहता था, पर वक्त बदला और सोच भी और आज मैं न सिर्फ अपना घर चला रहा हूं, बल्कि हमारे इस कंपनी से 40 और भी घरों का पेट पलता है.

'विशाल फूड प्रोडक्ट' के नाम से बाजार में बिक रहे इनके बनाए आइटमों की क्वालिटी बेहतर मानी जाती है. यही कारण है कि जुगल किशोर को कुछ दिन पहले जयपुर में राजस्थान सरकार की ओर से 'राजस्थान राज्य स्तरीय निर्यात और उद्योग रत्न' पुरस्कार से युवा उद्यमी का खिताब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिया है. साथ ही राज्य उद्योग रत्न अवार्ड व्यवसाय के टर्नओवर में उत्कृष्ट वृद्धि हेतु सूक्ष्म उद्योग श्रेणी में सरकार ने एक लाख रुपए की राशि का चेक, राजस्थान उद्योग रत्न पुरस्कार, प्रशस्ति पत्र और शॉल ओढ़ाकर जयपुर में सम्मानित भी किया गया है.

यह भी पढ़ें- साल 2020 में आज से गूंजेंगी शहनाइयां, पूरे वर्ष क्या रहेगा शुभ मुहूर्त जानिए...

युवा उद्यमियों में नं. 1 पर जुगल किशोर

यह अवार्ड राज्य में 8 उद्यमियों को मिला है. जिसमें जुगल किशोर राजस्थान के सबसे युवा व्यवसायी के रूप में उभर कर सामने आए हैं. परिवार के सदस्यों के गजक निर्माण से शुरुआत करके मात्र 14 साल के अंदर राजस्थान की सर्वोच्च क्वालिटी में श्रीगंगानगर का नाम रोशन किया है. इनके प्रोडक्ट गजक, नमकीन, कोकोनट, पेड़े और सभी प्रकार के उत्पाद देश के विभिन्न राज्यों में सप्लाई किए जाते हैं. ईटीवी भारत जुगल और उनके परिवार के इस जज्बे को सलाम करता है.

Intro:श्रीगंगानगर : इरादा मजबूत और कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो इंसान अपनी कड़ी मेहनत व लगन से मुश्किल हालातों में भी कामयाबी हासिल कर लेता है।कुछ कर गुजरने की ज़िद्द व कड़ी मेहनत से ठीक एसा की कारनामा कर दिखाया है श्रीगंगानगर के जुगल किशोर और श्रवण नामक इन दो भाइयों ने।जिनको मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में उद्योग रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया है।दरअसल यह कहानी है एक ऐसे परिवार की जिसका मुखिया खाने-पीने से जुड़े आइटम बनाने में तो माहिर था लेकिन घर की आर्थिक हालत व अकेला होने के कारण मात्र 3000 की नौकरी करने पर मजबूर था।वक्त के साथ करवट बदली और पढ़े-लिखे बेटों ने पिता से बातचीत करके योजना बनाई कि क्यों ना खुद का कोई आइटम तैयार करके बाजार में सप्लाई किया जाए। फिर क्या था तीनों ने मिलकर घर पर ही मात्र 5000 की पूंजी से 2005 में काम शुरू कर दिया। पिता नमकीन ,स्वीट आईट्म बनाने के बेहतरीन कलाकार थे तो दोनों बेटों ने पिता के बनाए गए इन आइटम को बाजार में ब्रांडिंग करके बेचना शुरू कर दिया। समय के साथ बाजार में इनके आइटम की डिमांड बढ़ी तो तीनों ने मिलकर घर से बाहर किराए की जगह लेकर काम का थोड़ा विस्तार किया।


धीरे-धीरे बाजार में ग्राहकों की डिमांड के अनुसार माल में क्वालिटी के साथ नवाचार भी होने लगा। तेजी से बढ़ते व्यवसाय व बाजार में डिमांड के अनुसार इन्होंने विशाल फूड प्रोडक्ट के नाम से रजिस्ट्रेशन करवा लिया और अपना माल दूसरे राज्यों में भी भेजना शुरू कर दिया। बेहतरीन क्वालिटी के कारण माल की तेजी से डिमांड बढ़ी तो इन्होंने काम को और बड़ा करते हुए कारीगर व हेल्पर पर भी रख लिए। इस प्रकार आज 14 साल बाद इनके पास करीब 40 व्यक्ति नौकरी कर रहे हैं। जुगल किशोर की मानें तो आज के युवाओं को सरकारी नौकरियों के पीछे दौड़ने की बजाय खुद का व्यवसाय करके आत्मनिर्भर बनना चाहिए। सरकार द्वारा मिलने वाली मदद से युवा ना केवल अपना कारोबार बढ़ा सकते हैं बल्कि अनेक लोगों को रोजगार भी दे सकते हैं। कभी खुद सरकारी नौकरी की चाहत रखते हुये सरकारी नौकरी के पीछे दौड़ने वाले जुगल किशोर आज अपनी इस इकाई में 40 से अधिक लोगों को नौकरी दे रखी है। विशाल फूड प्रोडक्ट के नाम से बाजार में बिक रहे इनके आइटम में बेहतर क्वालिटी मानी जाती है। यही कारण है कि जुगल किशोर को कुछ दिन पूर्व जयपुर में राजस्थान सरकार द्वारा राजस्थान राज्य स्तरीय निर्यात एवं उद्योग रत्न पुरस्कार से युवा उद्यमी का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खिताब दिया है। राज्य उद्योग रत्न अवार्ड व्यवसाय के टर्नओवर में उत्कृष्ट वृद्धि हेतु सूक्ष्म उद्योग श्रेणी में सरकार ने एक लाख रुपए की राशि का चेक,राजस्थान उद्योग रतन पुरस्कार,प्रशस्ति पत्र व शॉल ओढ़ाकर जयपुर में सम्मानित किया।





Body:यह अवार्ड राज्य में 8 उद्यमियों को मिला है। जिसमें जुगल किशोर राजस्थान के सबसे युवा व्यवसाई के रूप में उभर कर सामने आए हैं। जुगल किशोर ने अपने पिता और भाई के साथ मिलकर मात्र 5हजार की लागत से 2005 में इस व्यवसाय की घर से शुरुआत की थी।परिवार के सदस्यों द्वारा गजक निर्माण से शुरुआत करके मात्र 14 साल के अंदर राजस्थान की सर्वोच्च क्वालिटी में श्रीगंगानगर का नाम रोशन किया है। इनके प्रोडक्ट गजक,नमकीन,कोकोनट पेड़े सभी प्रकार के उत्पाद देश के विभिन्न राज्यों में सप्लाई किये जाने लगे है। आज जुगल किशोर ने अपनी फैक्ट्री में ना केवल कारीगरों को बल्कि हेल्पर व मार्केट में माल सप्लाई करने वाले सदस्यों सहित महिलाओं-पुरुषों को मिलाकर करीब 40 से अधिक लोगों को नौकरी दे रखी है।फैक्ट्री में मशीनें लगाकर आधुनिक तरीके से प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं।

बाईट : जुगल किशोर,युवा उधमी से सम्मानित।
बाईट : हनुमान प्रशाद,पिता
बाइट : श्रवण कुमार,भाई।


Conclusion:युवा उद्यमी का खिताब।
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