श्रीगंगानगर. एक तरफ दुनिया भर में महिलाओं के सम्मान के लिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ राजस्थान सरकार से आहत होकर महिला पटवारी एक दिन के लिए अनशन पर बैठी हैं. महिला दिवस के मौके पर महिला पटवारियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर एक दिन का अनशन रखा है.
राजस्थान पटवार संघ के बैनर तले पिछले लम्बे समय से पटवारी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आन्दोलित है. इसी क्रम में सोमवार से महिला पटवारियों ने अनशन शुरू किया है. अपनी मांगों को मनवाने के लिए अनशन पर बैठी इन महिला पटवारियों का कहना है कि पटवारी प्रशासन की सबसे महत्वपूर्ण और अंतिम कड़ी है. सरकार की सभी योजनाओं को धरातल पर लागू करने में पटवारी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
इनकी मानें तो पटवारी एक अल्प वेतनभोगी कर्मचारी हैं और राजस्थान पटवार संघ वेतन सुधार के लिए सालों से अपनी मांगे विभिन्न क्षेत्रों पर विभिन्न माध्यमों से सरकार तक पहुंचाता रहा है. राज्य सरकार और राजस्थान पटवार संघ के बीच समझौते भी हुए हैं. 28 अप्रैल 2018 को पटवारियों के साथ सरकार ने 3600 पे ग्रेड और वेतन सुधार के संबंध में जो समझौता किया वो आज तक लागू नहीं किया गया है. राज्य सरकार की ओर से कोई भी प्रभावी कार्रवाई नहीं करने के विरोध स्वरूप पटवारी पहले भी धरना प्रदर्शन करते रहे हैं.
अपनी वाजिब मांगों के लिए राजस्थान पटवार संघ की ओर से पिछले 14 माह से शांतिपूर्ण आंदोलन किया जा रहा है. जिस पर सरकार की ओर से कोई संज्ञान नहीं लेने के विरोध स्वरूप पटवार मंडलों का बहिष्कार भी किया गया. इसी क्रम में पटवार संघ ने सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिला पटवारियों के साथ अनशन रखा है. राज्य सरकार पटवारियों की मांगों को नहीं मानती है तो पटवारी आंदोलन करेंगे.
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अनशन पर बैठी महिला पटवारी सुनीता चौधरी और सुनीता गोदारा का कहना है कि सरकार एक तरफ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को सुविधाएं दे रही हैं. वहीं दूसरी तरफ अपनी वाजिब मांगों को लेकर महिला पटवारियों को अनशन करना पड़ रहा है. ऐसे में सरकार को महिलाओं का सम्मान करते हुए महिला पटवारियों की वाजिब मांगों को लागू करना चाहिए.