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स्पेशल: श्रीगंगानगर की उमा ने एशियन गेम्स में जीता गोल्ड, नेपाल को हराकर इंडिया बनी चैंपियन

नेपाल में आयोजित साउथ एशियन गेम्स में भारत की ओर से खेल रही वॉलीबॉल की महिला टीम ने गोल्ड हासिल किया है. इस टीम में अपने बेहतर प्रदर्शन का लोहा मनवाने वाली उमा भी शामिल रहीं. जो राजस्थान के श्रीगंगानगर की रहने वाली हैं. ईटीवी भारत की उमा से खास बातचीत...

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ईटीवी भारत की उमा और उसके परिजनों से खास बातचीत
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Published : Feb 18, 2020, 5:25 PM IST

श्रीगंगानगर. बेटियां किसी से कम नहीं हैं. श्रीगंगानगर की बेटी उमा ने नेपाल में अपने बेहतरीन प्रदर्शन से लोहा मनवाकर यह साबित कर दिखाया है. लालगढ़ गांव को पूरे प्रदेश भर में वॉलीबॉल से अलग पहचान मिली हुई है. इस गांव की महिला खिलाड़ी ने वॉलीबॉल में एक और उपलब्धि अपने नाम दर्ज की है. नेपाल में आयोजित साउथ एशियन गेम्स के फाइनल मैच में उमा और भारत की टीम की अन्य खिलाड़ियों ने नेपाल को हराकर जीत का परचम लहराया है.

ईटीवी भारत की उमा और उसके परिजनों से खास बातचीत

बेटियां किसी से कमजोर नहीं

दरअसल, उमा के पिता पृथ्वीराज वर्मा मनरेगा में मेट है और मां तारा रानी हाउस वाइफ है. उमा की इस उपलब्धि पर जिले को नाज है. पृथ्वीराज बताते हैं कि उसकी बेटी उमा किसी अनमोल हीरे से कम नहीं है. वे कहते हैं कि जो लोग बेटियों को कमजोर समझते हैं. ऐसे लोगों का मुंह बंद करवाने के लिए उमा जैसी बेटियां मिसाल बन रही हैं.

यह भी पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: बेरोजगारी भत्ते का सच, जब ईटीवी भारत ने पूछा सवाल, तो मंत्री डोटासरा ने जोड़े हाथ

पिता रह चुके हैं कबड्डी प्लेयर

2007 की बात है. जब उमा आठवीं में पढ़ती थी. तो घर के पास बने ग्राउंड में खेल रहे खिलाड़ियों को देखकर उसके मने में भी खेलने की ललक जगी. धीरे-धीरे उमा ने उन खिलाड़ियों के साथ खेलना शुरू कर दिया. उमा कहती हैं कि उसके पिता कुश्ती और कबड्डी के खिलाड़ी रहे हैं. पिता को खेलते देखकर भी उमा के मन में खेलों के प्रति उत्साह जगा. साथ ही उमा के पिता ने उसके सपने पूरे करने में उसका पूरा साथ दिया.

2008 में जीता पहला गोल्ड

उमा ने 2008 में पहली बार जिलास्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर गोल्ड मेडल जीता. उसके बाद उमा लगातार मेडल हासिल करती रही. अब तक उमा 9 बार नेशनल में पदक जीत चुकी हैं. उमा ने ईटीवी भारत ने बातचीत में कहा, कि खेल के मैदान में जब टीम मैच हारती है, तब भी उन्हें अपनी हार से बहुत कुछ सीखने को मिलता है. साल 2015 में जोधपुर से बीपीएड और 2017 में एमपीएड करने के बाद 2019 में उमा का पीटीआई पद पर भी चयन हुआ.

यह भी पढे़ं- SPECIAL : भगवान के भोग के लिए बजट का टोटा, उधारी से चल रहा काम

दिसंबर 2019 में नेपाल में आयोजित साउथ एशियन हैंडबॉल गेम में उमा को भी खेलने का मौका मिला. इस मैच में भारत की टीम ने पहले भारतीय टीम ने श्रीलंका को, उसके बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान को हराया. फिर फाइनल मुकाबला नेपाल से हुआ. नेपाल को हराकर भारत की टीम विजेता रही.

उमा कहती हैं कि जिस दिन हमारी टीम विजेता बनी. वह दिन मेरी जिंदगी के अहम दिनों में एक है. उमा आने वाले समय में और भी मेडल जीतकर भारत और अपने माता-पिता का नाम रौशन करना चाहती हैं. उमा अब देश की क्रिकेट टीम में अपना स्थान स्थापित करना चाहती हैं.

श्रीगंगानगर. बेटियां किसी से कम नहीं हैं. श्रीगंगानगर की बेटी उमा ने नेपाल में अपने बेहतरीन प्रदर्शन से लोहा मनवाकर यह साबित कर दिखाया है. लालगढ़ गांव को पूरे प्रदेश भर में वॉलीबॉल से अलग पहचान मिली हुई है. इस गांव की महिला खिलाड़ी ने वॉलीबॉल में एक और उपलब्धि अपने नाम दर्ज की है. नेपाल में आयोजित साउथ एशियन गेम्स के फाइनल मैच में उमा और भारत की टीम की अन्य खिलाड़ियों ने नेपाल को हराकर जीत का परचम लहराया है.

ईटीवी भारत की उमा और उसके परिजनों से खास बातचीत

बेटियां किसी से कमजोर नहीं

दरअसल, उमा के पिता पृथ्वीराज वर्मा मनरेगा में मेट है और मां तारा रानी हाउस वाइफ है. उमा की इस उपलब्धि पर जिले को नाज है. पृथ्वीराज बताते हैं कि उसकी बेटी उमा किसी अनमोल हीरे से कम नहीं है. वे कहते हैं कि जो लोग बेटियों को कमजोर समझते हैं. ऐसे लोगों का मुंह बंद करवाने के लिए उमा जैसी बेटियां मिसाल बन रही हैं.

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पिता रह चुके हैं कबड्डी प्लेयर

2007 की बात है. जब उमा आठवीं में पढ़ती थी. तो घर के पास बने ग्राउंड में खेल रहे खिलाड़ियों को देखकर उसके मने में भी खेलने की ललक जगी. धीरे-धीरे उमा ने उन खिलाड़ियों के साथ खेलना शुरू कर दिया. उमा कहती हैं कि उसके पिता कुश्ती और कबड्डी के खिलाड़ी रहे हैं. पिता को खेलते देखकर भी उमा के मन में खेलों के प्रति उत्साह जगा. साथ ही उमा के पिता ने उसके सपने पूरे करने में उसका पूरा साथ दिया.

2008 में जीता पहला गोल्ड

उमा ने 2008 में पहली बार जिलास्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर गोल्ड मेडल जीता. उसके बाद उमा लगातार मेडल हासिल करती रही. अब तक उमा 9 बार नेशनल में पदक जीत चुकी हैं. उमा ने ईटीवी भारत ने बातचीत में कहा, कि खेल के मैदान में जब टीम मैच हारती है, तब भी उन्हें अपनी हार से बहुत कुछ सीखने को मिलता है. साल 2015 में जोधपुर से बीपीएड और 2017 में एमपीएड करने के बाद 2019 में उमा का पीटीआई पद पर भी चयन हुआ.

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दिसंबर 2019 में नेपाल में आयोजित साउथ एशियन हैंडबॉल गेम में उमा को भी खेलने का मौका मिला. इस मैच में भारत की टीम ने पहले भारतीय टीम ने श्रीलंका को, उसके बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान को हराया. फिर फाइनल मुकाबला नेपाल से हुआ. नेपाल को हराकर भारत की टीम विजेता रही.

उमा कहती हैं कि जिस दिन हमारी टीम विजेता बनी. वह दिन मेरी जिंदगी के अहम दिनों में एक है. उमा आने वाले समय में और भी मेडल जीतकर भारत और अपने माता-पिता का नाम रौशन करना चाहती हैं. उमा अब देश की क्रिकेट टीम में अपना स्थान स्थापित करना चाहती हैं.

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