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SPECIAL: लॉकडाउन में टैक्सी चालकों की टूटी कमर, पहिए थमने से गहराया खाने का संकट

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Published : Jun 3, 2020, 9:27 AM IST

कोरोना के कारण लगाए गए लॉकडाउन की वजह से टैक्सी चालकों पर भी संकट गहरा गया है. श्रीगंगानगर में हजारों लोग टैक्सी चलाकर ही अपना जीवनयापन करते हैं. किस्त पर गाड़ियां खरीदकर चलाने वाले इन चालकों को लॉकडाउन के कारण भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है.

rajasthan hindi news, संकट में टैक्सी उद्योग, Taxi drivers are facing loss, loss due to lockdown
लॉकडाउन के चलते बंद है आवाजाही

श्रीगंगानगर. लॉकडाउन की मार परिवहन, होटल, पर्यटन समेत लाखों कारोबारियों, छोटे काम धंधा करने वालों पर पड़ी है. ऐसे में कोरोना के संकट काल में अब इन्हें मदद की दरकार है. टैक्सी उद्योग भी लॉकडाउन के दौरान बर्बादी की कगार पर है. कोरोना संक्रमण के चलते अब लोगों का आवाजाही पूरी तरह से बंद है. जिसके चलते टैक्सी चालक हाथ पर हाथ धरे बैठने को मजबूर हैं.

rajasthan hindi news, संकट में टैक्सी उद्योग, Taxi drivers are facing loss, loss due to lockdown
टैक्सी चालकों का ईटीवी भारत ने जाना हाल

श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय पर भी टैक्सी चालकों का यह हाल है. रोजगार नहीं मिलने से आमदनी पूरी तरह से बंद हो गई है. जिसकी वजह से इनके चेहरों पर मायूसी छाई हुई है.

rajasthan hindi news, संकट में टैक्सी उद्योग, Taxi drivers are facing loss, loss due to lockdown
टैक्सी स्टैंड में मात्र गिनती ही गाड़ियां नजर आती हैं

श्रीगंगानगर जिला पंजाब और हरियाणा राज्यों की सीमा से लगता है. जिसकी वजह से यहां का टैक्सी उद्योग ज्यादातर इन्हीं राज्यों से जुड़ा हुआ है. ऐसे में कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के दौरान बाहर जाने की अनुमति नहीं मिलने से टैक्सी संचालक खाली बैठे हुए हैं.

यह भी पढ़ें- EXCLUSIVE: राज्यों के साथ किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं किया गया: अर्जुन राम मेघवाल

छूट तो मिली लेकर बाहर जाने के लिए परमिशन नहीं

टैक्सी संचालकों की मानें तो लॉकडाउन में मंदी की मार से टैक्सी उद्योग पूरी तरह खत्म हो चुका है. लॉकडाउन 5.0 में छूट मिलने के बाद भी जिले से बाहर जाने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है. जिसके चलते टैक्सी संचालक जिले से बाहर नहीं जा पा रहे हैं.

लॉकडाउन में टैक्सी उद्योग की टूटी कमर

खाली हाथ लौटना पड़ रहा है घर

टैक्सी संचालकों का कहना है कि कहीं जाने की छूट नहीं मिलने से लोगों ने सफर करना बंद कर दिया है. जिससे बाहर से आने वाले लोग भी अब जिले में नहीं आ रहे हैं. हम टैक्सी स्टैंड पर गाड़ी लगाते हैं और फिर खाली हाथ ही शाम को घर लौट जाते हैं. अगर जिले से बाहर जाते भी हैं तो वापस लौटने पर 14 दिन की क्वॉरेंटाइन अवधि पूरी करनी पड़ती है.

अब लगा रहे हैं सब्जी का ठेला

टैक्सी मालिक नोज छाबड़ा कहते हैं कि कुछ टैक्सी संचालकों ने काम धंधा ना होने के चलते अब सब्जी के ठेले लगाना शुरू कर दिया है. मंदी की वजह से गाड़ियों की किस्त निकालना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे में अगर हालात यही रहे तो उनकी गाड़ियां बैंक वाले उठाकर ले जाएंगे.

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लॉकडाउन के चलते बंद है आवाजाही

यह भी पढ़ें- सीकर सांसद का 1 साल: नहरी पानी और मेडिकल कॉलेज शुरू करने से लेकर कई बड़े प्रोजेक्ट अधूरे, सिर्फ लंबी दूरी की ट्रेनें मिली

चालक गुरविंदर सिंह ने बताया कि लॉकडाउन के बाद जो हालात उपजे हैं, उससे टैक्सी उद्योग पूरी तरह से खत्म हो चुका है. लॉकडाउन से पहले रेलवे टैक्सी स्टैंड पर 110 से अधिक गाड़ियां खड़ी होती थी. लेकिन अब मात्र 15 से 20 गाड़ियां ही खड़ी होती हैं. लेकिन सवारी नहीं मिलने से इनके ड्राइवर भी खाली हाथ घर लौट जाते हैं.

गाड़ियां अब स्टैंड पर खड़ी रहने से टैक्सी चालक ना केवल बैंक लोन की किस्तें जमा करवा पा रहे हैं, बल्कि अब इनके लिए घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे में इन सभी को सरकार से मदद की दरकार है.

श्रीगंगानगर. लॉकडाउन की मार परिवहन, होटल, पर्यटन समेत लाखों कारोबारियों, छोटे काम धंधा करने वालों पर पड़ी है. ऐसे में कोरोना के संकट काल में अब इन्हें मदद की दरकार है. टैक्सी उद्योग भी लॉकडाउन के दौरान बर्बादी की कगार पर है. कोरोना संक्रमण के चलते अब लोगों का आवाजाही पूरी तरह से बंद है. जिसके चलते टैक्सी चालक हाथ पर हाथ धरे बैठने को मजबूर हैं.

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टैक्सी चालकों का ईटीवी भारत ने जाना हाल

श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय पर भी टैक्सी चालकों का यह हाल है. रोजगार नहीं मिलने से आमदनी पूरी तरह से बंद हो गई है. जिसकी वजह से इनके चेहरों पर मायूसी छाई हुई है.

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टैक्सी स्टैंड में मात्र गिनती ही गाड़ियां नजर आती हैं

श्रीगंगानगर जिला पंजाब और हरियाणा राज्यों की सीमा से लगता है. जिसकी वजह से यहां का टैक्सी उद्योग ज्यादातर इन्हीं राज्यों से जुड़ा हुआ है. ऐसे में कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के दौरान बाहर जाने की अनुमति नहीं मिलने से टैक्सी संचालक खाली बैठे हुए हैं.

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छूट तो मिली लेकर बाहर जाने के लिए परमिशन नहीं

टैक्सी संचालकों की मानें तो लॉकडाउन में मंदी की मार से टैक्सी उद्योग पूरी तरह खत्म हो चुका है. लॉकडाउन 5.0 में छूट मिलने के बाद भी जिले से बाहर जाने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है. जिसके चलते टैक्सी संचालक जिले से बाहर नहीं जा पा रहे हैं.

लॉकडाउन में टैक्सी उद्योग की टूटी कमर

खाली हाथ लौटना पड़ रहा है घर

टैक्सी संचालकों का कहना है कि कहीं जाने की छूट नहीं मिलने से लोगों ने सफर करना बंद कर दिया है. जिससे बाहर से आने वाले लोग भी अब जिले में नहीं आ रहे हैं. हम टैक्सी स्टैंड पर गाड़ी लगाते हैं और फिर खाली हाथ ही शाम को घर लौट जाते हैं. अगर जिले से बाहर जाते भी हैं तो वापस लौटने पर 14 दिन की क्वॉरेंटाइन अवधि पूरी करनी पड़ती है.

अब लगा रहे हैं सब्जी का ठेला

टैक्सी मालिक नोज छाबड़ा कहते हैं कि कुछ टैक्सी संचालकों ने काम धंधा ना होने के चलते अब सब्जी के ठेले लगाना शुरू कर दिया है. मंदी की वजह से गाड़ियों की किस्त निकालना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे में अगर हालात यही रहे तो उनकी गाड़ियां बैंक वाले उठाकर ले जाएंगे.

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लॉकडाउन के चलते बंद है आवाजाही

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चालक गुरविंदर सिंह ने बताया कि लॉकडाउन के बाद जो हालात उपजे हैं, उससे टैक्सी उद्योग पूरी तरह से खत्म हो चुका है. लॉकडाउन से पहले रेलवे टैक्सी स्टैंड पर 110 से अधिक गाड़ियां खड़ी होती थी. लेकिन अब मात्र 15 से 20 गाड़ियां ही खड़ी होती हैं. लेकिन सवारी नहीं मिलने से इनके ड्राइवर भी खाली हाथ घर लौट जाते हैं.

गाड़ियां अब स्टैंड पर खड़ी रहने से टैक्सी चालक ना केवल बैंक लोन की किस्तें जमा करवा पा रहे हैं, बल्कि अब इनके लिए घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे में इन सभी को सरकार से मदद की दरकार है.

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