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सूरतगढ़ में पशु चिकित्सकों की कमी, पशुपालक हो रहे परेशान

केंद्र और राज्य सरकार के मंत्री खेती के साथ ही पशुपालन को बढ़ावा देने की सलाह देते नजर आते हैं, लेकिन पशुधन के लिए जरूरी सुविधाएं तो दूर इलाज का सही इंतजाम भी नहीं है. सूरतगढ़ ब्लॉक में पशु संपदा की हालत कितनी चिंताजनक है. इसका अनुमान सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है, कि पूरे ब्लॉक में सिर्फ एक पशु चिकित्सा अधिकारी मौजूद हैं. जबकि सबसे ज्यादा पशुधन सूरतगढ़ पंचायत समिति में है.

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Published : Dec 12, 2019, 12:29 PM IST

Updated : Dec 13, 2019, 2:50 PM IST

पशु चिकित्सकों की कमी से जूझता उपखंड क्षेत्र  उपचार के पैसे भी नसीब नहीं हो पा रहा है  struggling with shortage  पशु संपदा की हालत कितनी चिंताजनक  Subdivision area struggling
सुविधा नहीं मिलने से पशुपालक परेशान

सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर). शहर के 46 ग्राम पंचायतों सहित पशुधन वन्यजीवों के लिए पूरे ब्लॉक में सिर्फ एक ही पशु चिकित्सक है. जिसका खामियाजा पशुधन से आजीविका चलाने वाले हजारों पशुपालकों को भुगतना पड़ रहा है.

सुविधा नहीं मिलने से पशुपालक परेशान

पशु संपदा में मालामाल सुविधा में तंगहाल...

पशुपालन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक श्रीगंगानगर जिले में सबसे ज्यादा पशुधन सूरतगढ़ पंचायत समिति में है. सूरतगढ़ ब्लॉक के करीब 3 लाख 55 हजार गौवंश , 2 लाख भेड़-बकरियां हैं. ब्लॉक में करीब 22 हजार ऊंट हैं, जिनका कृषि कार्य में इस्तेमाल किया जाता है. श्रीगंगानगर जिले में सबसे ज्यादा वन क्षेत्र भी सूरतगढ़ में पाया जाता है. यहां लाखों की संख्या में वन्यजीव विचरण करते हैं. इनमें हिरण, नीलगाय, मोर, लोमड़ी, गीदड़ और दूसरे वन्यजीव शामिल हैं, लेकिन पशु संपदा के लिए सबसे अहम सुविधा यानि पशु चिकित्सा की हालत काफी चिंताजनक है.

पढ़ें:52 साल बाद होगा अलवर सहित प्रदेश के 6 जिलों में गजेटियर का प्रकाशन

पूरे उपखंड में सिर्फ एक पशु चिकित्सक...

सूरतगढ़, राजियासर, जानकीदास वाला, सरदारगढ़ रामसरा जाखड़ान, सरदारपुरा बिका में पशु चिकित्सालय है. शहर और राजिसासर में प्रथम श्रेणी के पशु चिकित्सालय मौजूद हैं. सूरतगढ़ चिकित्सालय में एक आरोग्य पशु चिकित्सा ईकाई स्थापित है, लेकिन पूरे उपखंड में सिर्फ जानकीदास वाला के राजकीय चिकित्सालय में एकमात्र पशु चिकित्सक डॉ एस के श्योराण मौजूद हैं, जिनके कंधों पर पूरे उपखंड की पशु चिकित्सा का भार है.

सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर). शहर के 46 ग्राम पंचायतों सहित पशुधन वन्यजीवों के लिए पूरे ब्लॉक में सिर्फ एक ही पशु चिकित्सक है. जिसका खामियाजा पशुधन से आजीविका चलाने वाले हजारों पशुपालकों को भुगतना पड़ रहा है.

सुविधा नहीं मिलने से पशुपालक परेशान

पशु संपदा में मालामाल सुविधा में तंगहाल...

पशुपालन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक श्रीगंगानगर जिले में सबसे ज्यादा पशुधन सूरतगढ़ पंचायत समिति में है. सूरतगढ़ ब्लॉक के करीब 3 लाख 55 हजार गौवंश , 2 लाख भेड़-बकरियां हैं. ब्लॉक में करीब 22 हजार ऊंट हैं, जिनका कृषि कार्य में इस्तेमाल किया जाता है. श्रीगंगानगर जिले में सबसे ज्यादा वन क्षेत्र भी सूरतगढ़ में पाया जाता है. यहां लाखों की संख्या में वन्यजीव विचरण करते हैं. इनमें हिरण, नीलगाय, मोर, लोमड़ी, गीदड़ और दूसरे वन्यजीव शामिल हैं, लेकिन पशु संपदा के लिए सबसे अहम सुविधा यानि पशु चिकित्सा की हालत काफी चिंताजनक है.

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पूरे उपखंड में सिर्फ एक पशु चिकित्सक...

सूरतगढ़, राजियासर, जानकीदास वाला, सरदारगढ़ रामसरा जाखड़ान, सरदारपुरा बिका में पशु चिकित्सालय है. शहर और राजिसासर में प्रथम श्रेणी के पशु चिकित्सालय मौजूद हैं. सूरतगढ़ चिकित्सालय में एक आरोग्य पशु चिकित्सा ईकाई स्थापित है, लेकिन पूरे उपखंड में सिर्फ जानकीदास वाला के राजकीय चिकित्सालय में एकमात्र पशु चिकित्सक डॉ एस के श्योराण मौजूद हैं, जिनके कंधों पर पूरे उपखंड की पशु चिकित्सा का भार है.

Intro:केन्द्र व राज्य सरकार के मंत्री आए दिन उद्बोधनों में कृषकों को खेती के साथ पशु पालन को बढ़ावा देने की सलाह देते नजर आते हैं लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि पशुपालकों को सरकार से पशुधन के लिए वांछित सुविधाएं तो दूर उपचार तक नसीब नहीं हो पा रहा। पशुधन में वन्यजीवों की दृष्टि से जिले में सबसे समृद्ध सूरतगढ़ ब्लॉक पर नजर डालें तो तस्वीर बेहद भयानक नजर आती है।
Body:
शहर सहित 46 ग्राम पंचायतों की पशुधन वन्यजीवों के लिए पूरे ब्लॉक में केवल एक ही चिकित्सक युक्त है हालात यह है कि शहर व राज्य सरकारों में भी चिकित्सक उपलब्ध नहीं है। ऐसे में पशुपालकों के लिए अपनी बीमार पशुधन को अपनी आंखों के सामने दम तोड़ते हुए देखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सरकार की कथनी व करनी का फर्क केवल पशुधन पर ही नहीं बल्कि इस पर आजीविका चलाने वाले हजारों पशुपालकों पर भी भारी पड़ रहा है।
पशु संपदा में मालामाल सुविधा में तंगहाल
पशुपालन विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो श्री गंगानगर जिले में सर्वाधिक पशुधन सूरतगढ़ पंचायत समिति में मौजूद हैं पंचायत समिति के टिब्बा क्षेत्र की धुरी तो विशेष तौर पर पशु पालकों पालन पर टिकी हुई है पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार सूरतगढ़ ब्लॉक के लगभग 3 लाख गोवंश 55 हजार तथा 2 लाख भेड़ बकरियां मौजूद हैं वहीं श्रीगंगानगर में सर्वाधिक ऊंची पंचायत समिति के क्षेत्र में पाए जाते हैं पशुपालन विभाग के अनुसार ब्लाक के लगभग 22 हजार ऊंट मौजूद हैं। जिनको कृषि आदि कार्यो में उपयोग किया जाता है वही बात करें तो श्री गंगानगर जिले में सर्वाधिक वन क्षेत्र भी सूरतगढ़ में पाया जाता है यहां लाखों की संख्या में वन्य जीव विचरण करते हैं इनमें हिरण नीलगाय मोर लोमड़ी गीदड़ सहित विभिन्न विविध प्रकार के वन्य जीव शामिल है लेकिन पशु संपदा के लिए सबसे अहम सुविधा अर्थात पशु चिकित्सा पर नजर डालें तो हालत काफी चिंताजनक है।

Conclusion:
पूरे उपखंड में केवल एक चिकित्सक
सूरतगढ़ ब्लॉक में पशु संपदा की हालत कितनी चिंताजनक है यह अनुमान सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व ब्लाक में केवल एक पशु चिकित्सा अधिकारी मौजूद हैं। पशु चिकित्सा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार ब्लाक में पशु चिकित्सालय हैं इनमें सूरतगढ़ राजियासर, जानकीदास वाला, सरदारगढ़ रामसरा जाखड़ान, सरदारपुरा बिका, में पशु चिकित्सालय स्थित है शहर व राजिसासर में प्रथम श्रेणी के पशु चिकित्सालय मौजूद हैं। वहीं सूरतगढ़ चिकित्सालय में एक आरोग्य पशु चिकित्सा इकाई स्थापित है। लेकिन पूरे उपखंड में केवल जानकीदास वाला के राजकीय चिकित्सालय में एकमात्र पशु चिकित्सक डॉ एस के श्योराण मौजूद हैं। जिनके कंधों पर समस्त उपखंड की पशु चिकित्सा का भार है।
बरहाल देखने वाली बात होगी की राज्य सरकार कब पशु चिकित्सा की सुध लेती है और पूरे ब्लाॅक में पशु चिकित्सों की नियुक्ति करेगी या यूं ही पशुपालक अपने पशुधन के इलाज के लिए तरसते रहेगे।
बाईट- 1 एस के श्योराण, पशु चिकित्सक
बाईट- 2 पृथ्वीसिंह, ग्रामीण
बाईट- 3 शकुन्तला देवी, स्थानीय महिला
विजय स्वामी सूरतगढ़
मों. 9001606958
Last Updated : Dec 13, 2019, 2:50 PM IST
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