श्रीगंगानगर. साथी अधिवक्ता को उसकी पत्नी द्वारा ढाई साल की पुत्री के साथ कथित दुष्कर्म के प्रयास के प्रकरण में षड्यंत्र पूर्वक फसाने के मामले में बरती गई लापरवाही के लिए पुलिस अधीक्षक हेमंत शर्मा को तत्काल प्रभाव से हटाने सहित तीन मांगों को लेकर श्रीगंगानगर बार एसोसिएशन के वकीलों की चल रही हड़ताल आखिरकार15 दिनों बाद स्थगित हो गई.
वकीलों के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात करके पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी. जिसके बाद मुख्यमंत्री के आश्वाशन पर मंगलवार को वकीलों ने बार एसोसिएशन की बैठक में हड़ताल स्थगित करने का निर्णय लिया.
साथी अधिवक्ता पर उसकी पत्नी द्वारा पोक्सो में मुकदमा दर्ज करवाने के बाद वकीलों ने पुलिस जांच पर सवाल खड़े करते हुए 18 दिनों तक आंदोलन किया था. जिसके बाद पूरे मामले की सीआईडी सीबी द्वारा हुई जांच में वकील को निर्दोष मानते हुए न्यायालय ने सीआरपीसी की धारा 169 में रिहाई के आदेश दिए थे.
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वहीं कुछ समय बाद इस मामले में एक बार फिर से एसपी के निर्देश पर वकील का नार्को टेस्ट करने के लिए एक नोटिस जारी हुआ. जिसके बाद से बार एसोसिएशन के वकीलों ने पुलिस पर मिलीभगत का आरोप लगाकर एसपी को हटाने और नार्को का नोटिस वापिस लेने की मांग रखते हुए फिर से हड़ताल शुरू कर दी.
वकीलों की हड़ताल के 15 दिन बाद प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी. जिसके बाद मुख्यमंत्री के आश्वाशन पर मंगलवार को बार की बैठक में हड़ताल स्थगित करने की एकमत राय हुई. आंदोलनकारी वकीलों ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जयपुर में मिला, जिस पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वकीलों के प्रतिनिधि मंडल को आश्वस्त करते हुए कहा कि उपचुनाव के बाद जल्दी वकीलों की मांगों पर सकारात्मक परिणाम आएगा.
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वहीं वकीलों ने कहा कि आंदोलन को खत्म नहीं किया है बल्कि स्थगित किया है. ऐसे में सरकार का रवैया अगर पूर्व की तरह रहा तो फिर से वकील आंदोलन शुरू करेंगे. बैठक में बार के दो सदस्यों के खिलाफ निर्णय लेते हुए उनकी मान्यता रद्द करने की प्रस्ताव पास किया है.