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Special : एक मां की गुहार....बेटे को जंजीरों से आजाद करा दो 'सरकार'

सादुलशहर क्षेत्र के गांव जोगीवाला के एक परिवार ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. मानसिक संतुलन खो बैठे अपने बेटे के इलाज के लिए परिवार की आंखें हर पल सहायता की राह देख रही हैं. अब ये परिवार सरकार की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है.

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बेटे के इलाज के लिए मदद की गुहार
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Published : Feb 8, 2020, 1:39 PM IST

Updated : Feb 8, 2020, 1:52 PM IST

सादुलशहर (श्रीगंगानगर). सादुलशहर क्षेत्र के गांव जोगीवाला में रहने वाला अंग्रेज सिंह अपने ही घर में जंजीरों में जकड़ा हुआ है. मानसिक रोगी होने के कारण 20 साल के अंग्रेज सिंह को घर पर ही रखा जाता है. अपने बेटे के इलाज के लिए गरीब माता-पिता बदहाली के आंसू बहा रहे हैं.

बेटे के इलाज के लिए मदद की गुहार

अंग्रेज सिंह की मां ने बताया, कि 11 साल पहले अचानक अंग्रेज सिंह का मानसिक संतुलन बिगड़ गया. जिसके बाद वह पागलों जैसी हरकतें करने लगा, तोड़फोड़ करने लगा और चिल्लाने लग गया. इसके बाद उसे राजकीय चिकित्सालय में दिखाया गया. जहां डॉक्टरों ने कहा, कि इसने मानसिक संतुलन खो दिया है और दवाइयां शुरू कर दी.

गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहा परिवार

अंग्रेज सिंह का परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहा है. पिता गांव में ही मजदूरी करते हैं और मां लोगों के घरों में काम कर परिवार का पेट पाल रहीं हैं. वहीं छोटा भाई रेहड़ी लगाकर अंग्रेज सिंह का इलाज करवाने के लिए पैसे जुटा रहा है.

यह भी पढ़ें : Special : यहां भलाई की 'भींत' बनी 'शो रूम'...जानिए पूरी खबर

नहीं मिला किसी भी सरकारी योजना का लाभ

इस परिवार को आज तक किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है, ना ही पेंशन मिल रही है और ना ही बीपीएल कार्ड की सुविधा मिली है. पीड़ित की मां बताती हैं, कि जब उसके बेटे की हालत खराब हो जाती है तो उसे जंजीरों में बांधना पड़ता है, नहीं तो वह पूरे घर में तोड़फोड़ कर देता है.

यह भी पढ़ें : Special : सिर्फ 24 लोगों को ही बीमा क्लेम मिलने से अन्नदाता मायूस, किससे करें फरियाद...

सरकार से मदद की उम्मीद

पीड़ित की मां को अंग्रेज सिंह के स्वस्थ होने का पूरा विश्वास है, लेकिन घर पर गरीबी का साया होने के कारण अंग्रेज सिंह का इलाज नहीं हो पा रहा है. इस गरीब परिवार की आंखें हर पल किसी सहायता की राह देख रही है. परिजनों को सरकार से भी मदद की उम्मीद है, ताकि बेटा इस नरकीय जीवन और मुसीबतों की जंजीरों से आजाद हो सके.

सादुलशहर (श्रीगंगानगर). सादुलशहर क्षेत्र के गांव जोगीवाला में रहने वाला अंग्रेज सिंह अपने ही घर में जंजीरों में जकड़ा हुआ है. मानसिक रोगी होने के कारण 20 साल के अंग्रेज सिंह को घर पर ही रखा जाता है. अपने बेटे के इलाज के लिए गरीब माता-पिता बदहाली के आंसू बहा रहे हैं.

बेटे के इलाज के लिए मदद की गुहार

अंग्रेज सिंह की मां ने बताया, कि 11 साल पहले अचानक अंग्रेज सिंह का मानसिक संतुलन बिगड़ गया. जिसके बाद वह पागलों जैसी हरकतें करने लगा, तोड़फोड़ करने लगा और चिल्लाने लग गया. इसके बाद उसे राजकीय चिकित्सालय में दिखाया गया. जहां डॉक्टरों ने कहा, कि इसने मानसिक संतुलन खो दिया है और दवाइयां शुरू कर दी.

गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहा परिवार

अंग्रेज सिंह का परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहा है. पिता गांव में ही मजदूरी करते हैं और मां लोगों के घरों में काम कर परिवार का पेट पाल रहीं हैं. वहीं छोटा भाई रेहड़ी लगाकर अंग्रेज सिंह का इलाज करवाने के लिए पैसे जुटा रहा है.

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नहीं मिला किसी भी सरकारी योजना का लाभ

इस परिवार को आज तक किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है, ना ही पेंशन मिल रही है और ना ही बीपीएल कार्ड की सुविधा मिली है. पीड़ित की मां बताती हैं, कि जब उसके बेटे की हालत खराब हो जाती है तो उसे जंजीरों में बांधना पड़ता है, नहीं तो वह पूरे घर में तोड़फोड़ कर देता है.

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सरकार से मदद की उम्मीद

पीड़ित की मां को अंग्रेज सिंह के स्वस्थ होने का पूरा विश्वास है, लेकिन घर पर गरीबी का साया होने के कारण अंग्रेज सिंह का इलाज नहीं हो पा रहा है. इस गरीब परिवार की आंखें हर पल किसी सहायता की राह देख रही है. परिजनों को सरकार से भी मदद की उम्मीद है, ताकि बेटा इस नरकीय जीवन और मुसीबतों की जंजीरों से आजाद हो सके.

Intro:स्पेशल स्टोरी

सादुलशहर ( श्री गंगानगर )

कैद में जकड़ी जवानी,बेटे के इलाज के लिए आंसू बहा रही माँ;सरकारी मदद की दरकार

दिन-रात चिल्लाना...अचानक ही तोड़ फोड़ शुरू कर देना ...कोई सामने आ जाए तो मार पिटाई शुरू करना ...ऎसे में लोग उसे पागल समझने लगते हैं...एक 20 वर्षीय बेटा है जो घर में कैद है जिसे देख कर माँ की आँखों में आंसू आते हैं...20 साल का यह बेबस बेटा अंग्रेज सिंह पिछले 10 वर्षों से अपने ही घर में जंजीरों में जकड़ा हुआ है मामला सादुलशहर क्षेत्र के गाँव जोगीवाला का है, इस बेबस लाचार अपने बेटे के इलाज के लिए गरीब माता पिता आंसू बहा रहे है..अंग्रेज सिंह की माता पिता ने बताया उसके तीन संतान है..जिसमे अंग्रेज सिंह सबसे बड़ा है एक छोटा भाई है एक बहन है जो शादीशुदा है..11 वर्ष पहले अचानक अंग्रेज सिंह का मानसिक संतुलन बिगड़ गया और वह पागल हो गया, पागलो जैसी हरकते करने लगा तोड़फोड़ करने चिल्लाने लग गया और किसी को देखते ही पिटाई करना शुरू दी..इसके बाद इसे श्री गंगानगर बीकानेर के राजकीय चिकित्सालय में दिखाया गया जहां डॉक्टरों ने कहा की इसने मानसिक संतुलन खो दिया है और दवाइयां शुरू कर दी..अंग्रेज सिंह का परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहा है इसके पिता गांव में ही मजदूरी करते है और माँ लोगों के घरों में गोबर भारी का काम कर अपने परिवार का पेट पाल रही है वही इसका छोटा भाई गोरु भी अंडे की रेहड़ी लगाकर अंग्रेज सिंह ईलाज करवाने के लिए पैसे जुटा रहा है छोटे भाई ने अंग्रेज सिंह की लाचारी देखकर पांचवी कक्षा के बाद पढ़ाई बीच मे छोड़ दी ओर कमाना शुरू कर दिया इस परिवार को आज तक किसी सरकारी योजना का लाभ नही दिया गया और ना ही इसे पेंशन मिल रही है पीड़ित की माँ के अनुसार जब उसके बेटे की हालत खराब हो जाती है तो उसे जंजीरों में बांधना पड़ता है...इस खराब हालत के चलते उसने कमरा भी पूरी तरह से तोड़ फोड़ दिया है... मानसिक हालत को देखकर एक मां बहुत ही दुखी होकर अपने बेटे को कभी जंजीरों में कभी कमरे के अंदर बंद कर गांव में काम करने जाती है..खुद को नुकसान पहुंचाने की हरकतों के चलते माँ हर समय चिंतित रहती है परिचितों व अन्य के कार्यक्रमों मे आ-जा भी नहीं सकते अंग्रेज सिंह की निगरानी के लिए एक सदस्य की बारी-बारी से डयूटी लगाई जाती है माँ सारा दिन मजदूरी का काम करती है जो कमा के लाती है शाम को वही चूल्हे पर पकता है...माँ को अंग्रेज सिंह के स्वस्थ होने का विश्वास तो है लेकिन घर पर गरीबी का साया होने के कारण अंग्रेज सिंह का इलाज नही हुआ...यह परिवार गरीबी रेखा से बहुत नीचे जीवन यापन कर रहा है लेकिन इस परिवार को सरकारी योजनाओ का लाभ नहीं मिल पा रहा है...बीपीएल कार्ड की सुविधा नहीं है..घर में शौचालय बनाने के लिए भी सरकारी सुविधा नहीं मिल पा रही इस घर में कई जिंदगियां तड़पती नजर आती है...परिजनों का कहना है की आर्थिक मदद मिल जाए तो हमारा बेटा ठीक हो जाए प्रशासन को जानकारी होने के बावजूद आज तक कोई भी नुमाइंदा परिवार की सुध नहीं ले रहा। हर बात पर राय रखने वाले समाज के लोगों ने इस और ध्यान तक नहीं दिया है...गरीबों के इलाज की योजनाये भी यहाँ से भटक गयी..इस बेबस बेटे का इलाज मुमकिन हैं लेकिन इस परिवार की कुछ जरूरते हैं...जरूरत है कुछ हाथों को आगे आने की..शासन प्रशासन के प्रयास से कई सालों से गम के अँधेरे में जी रहे इस परिवार को रौशनी की किरण दिखाई जा सकती है..ईसानियत के लिए अब इस गरीब परिवार की आंखे हरपल किसी सहायता की राह देख रही है lBody:बाइट : 1. परिजन
बाइट : 2 . सुखदीप शेरगिल, स्थानीय निवासी
बाइट : 3 . बलजिन्द्र कौर, माँConclusion:.इस बेबस बेटे का इलाज मुमकिन हैं लेकिन इस परिवार की कुछ जरूरते हैं...जरूरत है कुछ हाथों को आगे आने की..शासन प्रशासन के प्रयास से कई सालों से गम के अँधेरे में जी रहे इस परिवार को रौशनी की किरण दिखाई जा सकती है..ईसानियत के लिए अब इस गरीब परिवार की आंखे हरपल किसी सहायता की राह देख रही है l
Last Updated : Feb 8, 2020, 1:52 PM IST
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