ETV Bharat / state

प्रतिनियुक्ति रद्द होने के बाद भी नहीं गए मूल विभाग में कर्मचारी, शिक्षा विभाग से वेतन रोकने के निर्देश - श्रीगंगानगर शिक्षा विभाग

राज्य सरकार ने व्यवस्था के नाम पर सालों से प्रशासनिक कार्यालयों में प्रतिनियुक्ति पर चल रहे शिक्षकों की स्थिति को गंभीर मानते हुए उन्हें मूल पद पर जाने के निर्देश दिए हैं. ऐसे सभी शिक्षकों और मंत्रालय कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति समाप्त करते हुए उन्हें जुलाई माह में स्कूलों में कार्यभार संभालने के निर्देश दिए थे, लेकिन श्रीगंगानगर जिले के दफ्तरों में अभी भी प्रतिनियुक्ति पर कर्मचारियों की भरमार है.

Sriganganagar education department, श्रीगंगानगर शिक्षा विभाग, Sriganganagar parent department, श्रीगंगानगर मूल विभाग, Sriganganagar news, श्रीगंगानगर समाचार
author img

By

Published : Sep 11, 2019, 4:54 AM IST

श्रीगंगानगर. पिछले दिनों स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख शासन सचिव के आदेश में कहा गया था कि जिला कलेक्टर, जिला परिषद, एसडीएम और अन्य कार्यालयों में शिक्षक और विभाग के मंत्रालय कर्मचारी अपनी मूल जगह छोड़कर सालों से लगे हुए हैं. इससे मूल पद का काम प्रभावित होता है. विशेष तौर पर शिक्षण कार्य प्रभावित होता है. स्कूलों में पहले से ही शिक्षकों की कमी है, ऊपर से शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर जिला मुख्यालयों के सरकारी कार्यालयों में गैर शैक्षणिक पदों पर लग जाते हैं. श्रीगंगानगर जिले में लगे प्रतिनियुक्ति पर कर्मचारी सरकार के इस आदेश के बाद भी अपने मूल विभाग में जाकर कार्य करने को तैयार नही हैं.

मूल विभाग के कर्मचारी कर रहे है नियुक्ति नियमो का उलंघन

जिला कलेक्ट्रेट में कुछ मंत्रालयिक कर्मचारी निर्वाचन शाखा, एसडीएम दफ्तर, कंट्रोल रूम में सालो से लगे हैं, लेकिन ये कर्मचारी सरकार के आदेश के बाद भी अपने मूल पद पर नहीं जा रहे हैं. इसी तरह मटका चोक स्कूल के मंत्रालयिक कर्मचारी को शिक्षा विभाग ने कई बार मूल पद पर आने के लिए पत्र लिखा है, लेकिन वह अभी तक नहीं लौटा है. ऐसे में शिक्षा विभाग ने अब इन कर्मचारि का वेतन रोका है. लेकिन हैरानी इस बात की भी है कि फिर भी जिले में अधिकतर कर्मचारी अभी भी प्रतिनियुक्ति पर डटे हुए हैं.

यह भी पढ़ें- श्रीगंगानगर में 150वीं गांधी जयंती पर हुआ कार्यक्रमों का आयोजन, अब विजेताओं का होगा सम्मान

निशुल्क शिक्षा एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 27 के अनुसार जनगणना आपदा प्रबंधन और चुनाव कार्यों में ही शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जा सकती है. यह काम पूरा होने के बाद उन्हें फिर से अपने मूल शिक्षण कार्य में लौटना होगा. लेकिन देखा यह जाता है कि एक बार कार्यालय में ड्यूटी लगवाने के बाद में शिक्षक स्कूल में जाने में रुचि नही दिखाता है और ना ही अधिकारी उसे वापस स्कूल भेजता है. इसी तरह ब्लॉक शिक्षा विभाग में प्रतिनियुक्ति पर सालो से लगा शारीरिक शिक्षक फर्जी बिलो से 38 करोड़ का घोटाला कर चुका है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि शिक्षा विभाग के मुखिया के आदेश प्रतिनियुक्ति पर लगे कर्मचारि कितना हल्के में ले रहे है, यह गम्भीर बात है.

श्रीगंगानगर. पिछले दिनों स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख शासन सचिव के आदेश में कहा गया था कि जिला कलेक्टर, जिला परिषद, एसडीएम और अन्य कार्यालयों में शिक्षक और विभाग के मंत्रालय कर्मचारी अपनी मूल जगह छोड़कर सालों से लगे हुए हैं. इससे मूल पद का काम प्रभावित होता है. विशेष तौर पर शिक्षण कार्य प्रभावित होता है. स्कूलों में पहले से ही शिक्षकों की कमी है, ऊपर से शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर जिला मुख्यालयों के सरकारी कार्यालयों में गैर शैक्षणिक पदों पर लग जाते हैं. श्रीगंगानगर जिले में लगे प्रतिनियुक्ति पर कर्मचारी सरकार के इस आदेश के बाद भी अपने मूल विभाग में जाकर कार्य करने को तैयार नही हैं.

मूल विभाग के कर्मचारी कर रहे है नियुक्ति नियमो का उलंघन

जिला कलेक्ट्रेट में कुछ मंत्रालयिक कर्मचारी निर्वाचन शाखा, एसडीएम दफ्तर, कंट्रोल रूम में सालो से लगे हैं, लेकिन ये कर्मचारी सरकार के आदेश के बाद भी अपने मूल पद पर नहीं जा रहे हैं. इसी तरह मटका चोक स्कूल के मंत्रालयिक कर्मचारी को शिक्षा विभाग ने कई बार मूल पद पर आने के लिए पत्र लिखा है, लेकिन वह अभी तक नहीं लौटा है. ऐसे में शिक्षा विभाग ने अब इन कर्मचारि का वेतन रोका है. लेकिन हैरानी इस बात की भी है कि फिर भी जिले में अधिकतर कर्मचारी अभी भी प्रतिनियुक्ति पर डटे हुए हैं.

यह भी पढ़ें- श्रीगंगानगर में 150वीं गांधी जयंती पर हुआ कार्यक्रमों का आयोजन, अब विजेताओं का होगा सम्मान

निशुल्क शिक्षा एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 27 के अनुसार जनगणना आपदा प्रबंधन और चुनाव कार्यों में ही शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जा सकती है. यह काम पूरा होने के बाद उन्हें फिर से अपने मूल शिक्षण कार्य में लौटना होगा. लेकिन देखा यह जाता है कि एक बार कार्यालय में ड्यूटी लगवाने के बाद में शिक्षक स्कूल में जाने में रुचि नही दिखाता है और ना ही अधिकारी उसे वापस स्कूल भेजता है. इसी तरह ब्लॉक शिक्षा विभाग में प्रतिनियुक्ति पर सालो से लगा शारीरिक शिक्षक फर्जी बिलो से 38 करोड़ का घोटाला कर चुका है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि शिक्षा विभाग के मुखिया के आदेश प्रतिनियुक्ति पर लगे कर्मचारि कितना हल्के में ले रहे है, यह गम्भीर बात है.

Intro:श्रीगंगानगर : राज्य सरकार ने व्यवस्था के नाम पर सालों से प्रशासनिक कार्यालयों में प्रतिनियुक्ति पर चल रहे शिक्षकों की स्थिति को गंभीर मानते हुए उन्हें मूल पद पर जाने के निर्देश दिए है। ऐसे सभी शिक्षकों व मंत्रालय कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति समाप्त करते हुए उन्हें जुलाई माह में स्कूलों में कार्यभार संभालने के निर्देश दिए थे,लेकिन श्रीगंगानगर जिले के दफ्तरों में अभी भी प्रतिनियुक्ति पर कर्मचारियों की भरमार है। हालांकि सरकार ने प्रतिनियुक्ति से हटकर मूल पदों पर नहीं जाने वाले कर्मचारियों को अगले माह का वेतन नहीं देने के निर्देश भी दिए थे,लेकिन हैरानी इस बात की भी है कि फिर भी जिले में अधिकतर कर्मचारी अभी भी प्रतिनियुक्ति पर डटे हुए हैं।




Body:पिछले दिनों स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख शासन सचिव के आदेश में कहा गया था कि जिला कलेक्टर,जिला परिषद,एसडीएम और अन्य कार्यालयों में शिक्षक और विभाग के मंत्रालय कर्मचारी अपनी मूल जगह छोड़कर सालो से लगे हुए हैं। इससे मूल पद का काम प्रभावित होता है। विशेष तौर पर शिक्षण कार्य प्रभावित होता है। स्कूलों में पहले से ही शिक्षकों की कमी है। ऊपर से शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर जिला मुख्यालयों के सरकारी कार्यालयों में गैर शैक्षणिक पदों पर लग जाते हैं। श्रीगंगानगर जिले में लगे प्रतिनियुक्ति पर कर्मचारी सरकार के इस आदेश के बाद भी अपने मूल विभाग में जाकर कार्य करने को तैयार नही है। जिला कलेक्ट्रेट में कुछ मंत्रालयिक कर्मचारी निर्वाचन शाखा,एसडीएम दफ्तर,कंट्रोल रूम में सालो से लगे है। मगर ये कर्मचारी सरकार के आदेश के बाद भी अपने मूल पद पर नही जा रहे है। इसी तरह मटका चोक स्कूल के मंत्रालयिक कर्मचारी को शिक्षा विभाग ने कई बार मूल पद पर आने के लिए पत्र लिखा है,लेकिन वह अभी तक नही लोटा है। ऐसे में शिक्षा विभाग ने अब इस कर्मचारी का वेतन रोका है। इसी तरह ब्लॉक शिक्षा विभाग में प्रतिनियुक्ति पर सालो से लगा शारीरिक शिक्षक फर्जी बिलो से 38 करोड़ का घोटाला कर चुका है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि शिक्षा विभाग के मुखिया के आदेश प्रतिनियुक्ति पर लगे कर्मचारि कितना हल्के में ले रहे है यह गम्भीर बात है।


क्या कहता है नियम :

निशुल्क शिक्षा एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 27 के अनुसार जनगणना आपदा प्रबंधन और चुनाव कार्यों में ही शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जा सकती है.यह काम पूरा होने के बाद उन्हें फिर से अपने मूल शिक्षण कार्य में लौटना होगा.लेकिन देखा यह जाता है कि एक बार कार्यालय में ड्यूटी लगवाने के बाद में शिक्षक स्कूल में जाने में रुचि नही दिखाता है और ना ही अधिकारी उसे वापस स्कूल भेजता है।

बाइट : राजबीर सिंह गिल,जिला शिक्षा अधिकारी
बाइट : श्यामलाल कुक्ड,प्रिंसिपल,मटका चोक स्कूल


Conclusion:प्रतिनियुक्ति का नही हो रहा मोह भंग।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.