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श्रीगंगानगरः रेगुलेशन बैठक में किसानों ने लगाया असमान पानी वितरण का आरोप - Gangnahar Project

श्रीगंगानगर में असमान पानी वितरण होने से गंगनहर के किसानों की फसलें जलने लगी है. किसान बर्बादी के कगार पर है. बुधवार को हुई रेगुलेशन कमेटी की बैठक में किसानों ने गंगनहर के चेयरमैन और सिंचाई अधिकारियों के सामने जब यह बात रखी तो अधिकारी किसानों को कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए.

श्रीगंगानगर की खबर,Uneven water distribution
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Published : Sep 18, 2019, 5:44 PM IST

श्रीगंगानगर. जिले में असमान पानी वितरण होने से गंगनहर के किसानों की फसलें जलने लगी है. किसान बर्बादी के कगार पर है. बुधवार को हुई रेगुलेशन कमेटी की बैठक में किसानों ने गंगनहर के चेयरमैन और सिंचाई अधिकारियों के सामने जब यह बात रखी तो अधिकारी किसानों को कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए.

किसानों ने लगाया असमान पानी वितरण का आरोप

किसानों की मानें तो असमान पानी वितरण से उन्हें 21 वें दिन भी पानी नहीं मिल पा रहा है. जिसके चलते उनकी फसल खराब हो चुकी है. वहीं किसानों ने सिंचाई अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि अधिकारी रेगुलेशन बैठक में खुद पानी वितरण को निर्धारित करते हैं. लेकिन नेहरों में पानी छोड़ने के समय अधिकारी मौके पर पहुंचकर अपनी मनमर्जी से पानी छोड़ते हैं. जिससे किसानों को असमान पानी वितरण होता है.

पढ़ें- बारां में देवर ने शराब के नशे में काटी भाभी की गर्दन

वहीं प्रभावशाली किसान लगातार पानी की बारीया ले लेते हैं, जबकि कमजोर किसानों को 21 दिनों के बाद भी सिंचाई पानी की बारीया नहीं दी जाती है. ऐसे में सिंचाई अधिकारियों की लापरवाही से किसानों की फसल बर्बादी के कगार पर है.

किसान नेताओं की मानें तो रेगुलेशन कमेटी की बैठक महत्वहीन है, क्योंकि बैठक में रेगुलेशन कमेटी सदस्य जो फैसला लेते हैं उन फैसलों को अधिकारी अपनी टेबल पर ले जाकर बदल देते हैं. किसान नेताओं ने सिंचाई अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि बुधवार की रेगुलेशन बैठक में आरबी नहर को चलाने का फैसला लिया है, लेकिन अगर नहर नहीं चलाई तो इस बार किसान आमरण अनशन कर अपने हक का पानी लेंगे. वहीं रेगुलेशन कमेटी के लिए फैसलों को बदलने की बात पर सिंचाई अधिकारियों के कुछ अलग ही तर्क हैं. अधिकारी कहते हैं कि कई बार पानी कम ज्यादा होने के कारण फैसले बदले जाते हैं.

गंगनहर में इन दिनों लगातार 2100 से 2200 क्यूसेक पानी मिल रहा है. लेकिन कागजों में 3300 क्यूसेक वाली इस सिस्टम की वितरिकाओं और माइनरों के अनेक किसानों को दो से तीन बारियां सुखी चली जाती है.
इतनी भीषण गर्मी और पकाव पर आई फसल को अगर 21 दिन पानी नहीं मिले तो उसमें कुछ नहीं बचता और फसल जलने लग जाती है. किसान संगठन कई रेगुलेशन कमेटी में शोर-शराबा कर चुके हैं.

बता दें कि किसान हैड़ो पर धरना प्रदर्शन लगा चुके हैं. लेकिन उन्हें पानी नहीं मिल पा रहा. पिछले महीने कलेक्टर ने अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि कम से कम यह व्यवस्था तो पुख्ता होनी चाहिए कि किसी किसान की 21 वें दिन पानी की बारी सुखी न जाए, भले ही खुलने वाली दूसरी नहरो को रोका जाए.

पढ़ें- लालसोट के साथ कांग्रेस का जुगाड़ भी फेमस हो गया : पूनिया

इसके बावजूद पिछले 1 महीने में फार्म माइनर, एलएनपी, करणी जी और समेजा वितरिकाओं में कुछ वार वाले किसानों की बारीया पिट गई. एलएनपी, समेजा और फार्म माइनर के किसान तो हेड पर धरना प्रदर्शन कर चुके हैं.

गंगनहर प्रोजेक्ट के पूर्व चेयरमैन गुरबल पाल सिंह संधू का कहना है कि खरीफ सीजन में अधिकांश नहरों को 72 से 80 दिन पानी मिला है. लेकिन आरबी में अब भी 64 दिन पानी आया है. ऐसे में आरबी नहर के किसानों ने रेगुलेशन कमेटी के समक्ष बुधवार को यह मुद्दा रखकर पानी की मांग की है.

श्रीगंगानगर. जिले में असमान पानी वितरण होने से गंगनहर के किसानों की फसलें जलने लगी है. किसान बर्बादी के कगार पर है. बुधवार को हुई रेगुलेशन कमेटी की बैठक में किसानों ने गंगनहर के चेयरमैन और सिंचाई अधिकारियों के सामने जब यह बात रखी तो अधिकारी किसानों को कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए.

किसानों ने लगाया असमान पानी वितरण का आरोप

किसानों की मानें तो असमान पानी वितरण से उन्हें 21 वें दिन भी पानी नहीं मिल पा रहा है. जिसके चलते उनकी फसल खराब हो चुकी है. वहीं किसानों ने सिंचाई अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि अधिकारी रेगुलेशन बैठक में खुद पानी वितरण को निर्धारित करते हैं. लेकिन नेहरों में पानी छोड़ने के समय अधिकारी मौके पर पहुंचकर अपनी मनमर्जी से पानी छोड़ते हैं. जिससे किसानों को असमान पानी वितरण होता है.

पढ़ें- बारां में देवर ने शराब के नशे में काटी भाभी की गर्दन

वहीं प्रभावशाली किसान लगातार पानी की बारीया ले लेते हैं, जबकि कमजोर किसानों को 21 दिनों के बाद भी सिंचाई पानी की बारीया नहीं दी जाती है. ऐसे में सिंचाई अधिकारियों की लापरवाही से किसानों की फसल बर्बादी के कगार पर है.

किसान नेताओं की मानें तो रेगुलेशन कमेटी की बैठक महत्वहीन है, क्योंकि बैठक में रेगुलेशन कमेटी सदस्य जो फैसला लेते हैं उन फैसलों को अधिकारी अपनी टेबल पर ले जाकर बदल देते हैं. किसान नेताओं ने सिंचाई अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि बुधवार की रेगुलेशन बैठक में आरबी नहर को चलाने का फैसला लिया है, लेकिन अगर नहर नहीं चलाई तो इस बार किसान आमरण अनशन कर अपने हक का पानी लेंगे. वहीं रेगुलेशन कमेटी के लिए फैसलों को बदलने की बात पर सिंचाई अधिकारियों के कुछ अलग ही तर्क हैं. अधिकारी कहते हैं कि कई बार पानी कम ज्यादा होने के कारण फैसले बदले जाते हैं.

गंगनहर में इन दिनों लगातार 2100 से 2200 क्यूसेक पानी मिल रहा है. लेकिन कागजों में 3300 क्यूसेक वाली इस सिस्टम की वितरिकाओं और माइनरों के अनेक किसानों को दो से तीन बारियां सुखी चली जाती है.
इतनी भीषण गर्मी और पकाव पर आई फसल को अगर 21 दिन पानी नहीं मिले तो उसमें कुछ नहीं बचता और फसल जलने लग जाती है. किसान संगठन कई रेगुलेशन कमेटी में शोर-शराबा कर चुके हैं.

बता दें कि किसान हैड़ो पर धरना प्रदर्शन लगा चुके हैं. लेकिन उन्हें पानी नहीं मिल पा रहा. पिछले महीने कलेक्टर ने अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि कम से कम यह व्यवस्था तो पुख्ता होनी चाहिए कि किसी किसान की 21 वें दिन पानी की बारी सुखी न जाए, भले ही खुलने वाली दूसरी नहरो को रोका जाए.

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इसके बावजूद पिछले 1 महीने में फार्म माइनर, एलएनपी, करणी जी और समेजा वितरिकाओं में कुछ वार वाले किसानों की बारीया पिट गई. एलएनपी, समेजा और फार्म माइनर के किसान तो हेड पर धरना प्रदर्शन कर चुके हैं.

गंगनहर प्रोजेक्ट के पूर्व चेयरमैन गुरबल पाल सिंह संधू का कहना है कि खरीफ सीजन में अधिकांश नहरों को 72 से 80 दिन पानी मिला है. लेकिन आरबी में अब भी 64 दिन पानी आया है. ऐसे में आरबी नहर के किसानों ने रेगुलेशन कमेटी के समक्ष बुधवार को यह मुद्दा रखकर पानी की मांग की है.

Intro:श्रीगंगानगर : असमान पानी वितरण होने से गंगनहर के किसानों की फसलें जलने लगी है.किसान बर्बादी के कगार पर है.बुधवार को हुई रेगुलेशन कमेटी की बैठक में किसानों ने गंगनहर के चेयरमैन व सिंचाई अधिकारियों के सामने जब यह बात रखी तो अधिकारी किसानों को कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। किसानों की मानें तो असमान पानी वितरण से उन्हें 21 वें दिन भी पानी नहीं मिल पा रहा है।जिसके चलते उनकी फसल खराब हो चुकी है। किसानों ने सिंचाई अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि अधिकारी रेगुलेशन बैठक में खुद पानी वितरण को निर्धारित करते हैं।लेकिन नेहरो में पानी छोड़ने के समय अधिकारी मौके पर पहुंचकर अपनी मनमर्जी से पानी छोड़ते हैं। जिससे किसानों को असमान पानी वितरण होता है।वही प्रभावशाली किसान लगातार पानी की बारीया ले लेते हैं,जबकि कमजोर किसानों को 21 दिनों के बाद भी सिंचाई पानी की बारीया नहीं दी जाती है। ऐसे में सिंचाई अधिकारियों की लापरवाही से किसानों की फसल बर्बादी के कगार पर है। किसान किसान नेताओं की मानें तो रेगुलेशन कमेटी की बैठक महत्वहीन है,क्योंकि बैठक में रेगुलेशन कमेटी सदस्य जो फैसला लेते हैं उन फैसलों को अधिकारी अपनी टेबल पर ले जाकर बदल देते हैं। किसान नेताओं ने सिंचाई अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि बुधवार की रेगुलेशन बैठक में आरबी नहर को चलाने का फैसला लिया है,लेकिन अगर नहर नहीं चलाई तो इस बार किसान आमरण अनशन कर अपने हक का पानी लेंगे। वही रेगुलेशन कमेटी के लिए फैसलों को बदलने की बात पर सिंचाई अधिकारियों के कुछ अलग ही तर्क हैं। अधिकारी कहते हैं कि कई बार पानी कम ज्यादा होने के कारण फैसले बदले जाते हैं।


Body:गंगनहर में इन दिनों लगातार 2100 से 2200 क्यूसेक पानी मिल रहा है। लेकिन कागजों में 3300 क्यूसेक वाली इस सिस्टम की वितरिकाओं एवं माइनरों के अनेक किसानों को दो से तीन बारियां सुखी चली जाती है। इतनी भीषण गर्मी और पकाव पर आई फसल को अगर 21 दिन पानी नहीं मिले तो उसमें कुछ नहीं बचता और फसल जलने लग जाती है। किसान संगठन कई रेगुलेशन कमेटी में शोर-शराबा कर चुके हैं। हैड़ो पर धरना प्रदर्शन लगा चुके हैं। लेकिन उन्हें पानी नहीं मिल पा रहा। पिछले महीने कलेक्टर ने अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि कम से कम यह व्यवस्था तो पुख्ता होनी चाहिए कि किसी किसान की 21 वे दिन पानी की भारी सुखी न जाए,भले ही खुलने वाली दूसरी नहरो को रोका जाए। इसके बावजूद पिछले 1 महीने में फार्म माइनर, एलएनपी,करणी जी और समेजा वितरिकाओं में कुछ वार वाले किसानों की बारीया पिट गई। एलएनपी,समेजा और फार्म माइनर के किसान तो हेड पर धरना प्रदर्शन कर चुके हैं।

गंगनहर प्रोजेक्ट के पूर्व चेयरमैन गुरबल पाल सिंह संधू का कहना है। खरीफ सीजन में अधिकांश नहरों को 72 से 80 दिन पानी मिला है। लेकिन आरबी में अब भी 64 दिन पानी आया है। ऐसे में आरबी नहर के किसानों ने रेगुलेशन कमेटी के समक्ष बुधवार को यह मुद्दा रखकर पानी की मांग की है।

बाइट : अरुण,किसान
बाइट : तरसेम,किसान
बाइट : गुरबलपाल सिंह,पूर्व प्रोजेक्ट चेयरमैन
बाइट : धीरज चावला,एक्सईएन,सिंचाई


Conclusion:रेगुलेशन बैठक में किसानों के आरोप।
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