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मिलावटखोरों पर कोई कार्रवाई नहीं, जांच के नाम पर स्वास्थ्य विभाग कर रहा खानापूर्ति

श्रीगंगानगर में स्वास्थ्य विभाग की ओर से खाद्य पदार्थों में मिलावट पर रोक लगाने के लिए चलाया जा रहा 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान महज खानापूर्ति बनकर रह गया है. अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक गिनती के नमूने लिए हैं. दीपावली पर्व को कुछ ही दिन शेष रह गए हैं. ऐसे में मिलावटखोर भी बिना किसी डर के बाजार में धड़ल्ले से अपना माल बेच रहे हैं.

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Published : Oct 24, 2019, 2:58 PM IST

श्रीगंगानगर. स्वास्थ्य विभाग की ओर से दीपावली से पहले खाद्य पदार्थों में मिलावट के खिलाफ 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान चलाया जा रहा है. जिसके तहत विभाग की जांच टीम ने अब तक गिनती के ही नमूने लिए हैं. खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने खाद पदार्थों के नमूने लेने के अलावा जिले में अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की है.

जांच के नाम पर स्वास्थ्य विभाग कर रहा खानापूर्ति

बता दें कि जिले में पिछले कुछ सालों में अमानक खाद्य पदार्थों की बिक्री तेजी से बढ़ी है. जबकि विभागीय कार्रवाई में बहुत से व्यापारियों के यहां बिक रहे खाद्य पदार्थ अमानक पाए जा चुके हैं, लेकिन अब तक किसी भी दोषी पर कड़ी कार्रवाई नहीं हो सकी है. कारण है विभागीय कार्रवाई में लगने वाला समय और अधिकारियों की तरफ से की गई महज छोटी-मोटी कार्रवाई.

वहीं अधिक लाभ के लिए बाजार में अमानक खाद्य पदार्थों की बिक्री पर विभागीय ढिलाई के चलते अंकुश लगाना संभव नजर नहीं आ रहा है. स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार जिले की 20 लाख की जनसंख्या पर एक फूड इंस्पेक्टर को प्रतिदिन 5 नमूने लेने हैं. बावजूद इसके सप्ताह में 3 दिन ही नमूने लिए जा रहे हैं.

पढ़ें: दीपावली विशेष : चाइनीज लाइटों के आगे दीपक की 'लो' होने लगी फीकी, दीपों पर महंगाई की मार ने भी बढ़ा दी मुश्किलें

गंगानगर जिला मुख्यालय पर बनी लैब स्टाफ के अभाव में पिछले एक दशक से बंद पड़ी है. ऐसे में खाद पदार्थों की जांच के लिए नमूने लेकर जयपुर की लैब में भिजवाने पड़ते हैं. जिनकी रिपोर्ट आने में 35 से 45 दिन लग जाते हैं. वहीं तब तक खाद्य पदार्थ और त्योहारी सीजन पर शुरू किया गया अभियान समाप्त हो जाता है.

वहीं खाद्य पदार्थों के नमूने की जांच के लिए शुरू की गई प्रयोगशाला पर पिछले कुछ सालों से ब्रेक लगा हुआ है. जिस कारण जिले के बाजार में बिक रहे खाद्य पदार्थों में मिलावट को बढ़ावा मिलने की आशंका ज्यादा बढ़ गई है. यही नहीं श्रीगंगानगर में मिलावट के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास फूड अधिकारी ही नहीं हैं. जिससे अभियान का जिले में कोई असर ही दिखाई नहीं दे रहा है. बाजार में कोई भी चीज मिलावट से अछूती नहीं है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऐसे लोगों के खिलाफ कभी कभार ही कागजी कार्रवाई की जाती है.

श्रीगंगानगर. स्वास्थ्य विभाग की ओर से दीपावली से पहले खाद्य पदार्थों में मिलावट के खिलाफ 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान चलाया जा रहा है. जिसके तहत विभाग की जांच टीम ने अब तक गिनती के ही नमूने लिए हैं. खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने खाद पदार्थों के नमूने लेने के अलावा जिले में अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की है.

जांच के नाम पर स्वास्थ्य विभाग कर रहा खानापूर्ति

बता दें कि जिले में पिछले कुछ सालों में अमानक खाद्य पदार्थों की बिक्री तेजी से बढ़ी है. जबकि विभागीय कार्रवाई में बहुत से व्यापारियों के यहां बिक रहे खाद्य पदार्थ अमानक पाए जा चुके हैं, लेकिन अब तक किसी भी दोषी पर कड़ी कार्रवाई नहीं हो सकी है. कारण है विभागीय कार्रवाई में लगने वाला समय और अधिकारियों की तरफ से की गई महज छोटी-मोटी कार्रवाई.

वहीं अधिक लाभ के लिए बाजार में अमानक खाद्य पदार्थों की बिक्री पर विभागीय ढिलाई के चलते अंकुश लगाना संभव नजर नहीं आ रहा है. स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार जिले की 20 लाख की जनसंख्या पर एक फूड इंस्पेक्टर को प्रतिदिन 5 नमूने लेने हैं. बावजूद इसके सप्ताह में 3 दिन ही नमूने लिए जा रहे हैं.

पढ़ें: दीपावली विशेष : चाइनीज लाइटों के आगे दीपक की 'लो' होने लगी फीकी, दीपों पर महंगाई की मार ने भी बढ़ा दी मुश्किलें

गंगानगर जिला मुख्यालय पर बनी लैब स्टाफ के अभाव में पिछले एक दशक से बंद पड़ी है. ऐसे में खाद पदार्थों की जांच के लिए नमूने लेकर जयपुर की लैब में भिजवाने पड़ते हैं. जिनकी रिपोर्ट आने में 35 से 45 दिन लग जाते हैं. वहीं तब तक खाद्य पदार्थ और त्योहारी सीजन पर शुरू किया गया अभियान समाप्त हो जाता है.

वहीं खाद्य पदार्थों के नमूने की जांच के लिए शुरू की गई प्रयोगशाला पर पिछले कुछ सालों से ब्रेक लगा हुआ है. जिस कारण जिले के बाजार में बिक रहे खाद्य पदार्थों में मिलावट को बढ़ावा मिलने की आशंका ज्यादा बढ़ गई है. यही नहीं श्रीगंगानगर में मिलावट के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास फूड अधिकारी ही नहीं हैं. जिससे अभियान का जिले में कोई असर ही दिखाई नहीं दे रहा है. बाजार में कोई भी चीज मिलावट से अछूती नहीं है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऐसे लोगों के खिलाफ कभी कभार ही कागजी कार्रवाई की जाती है.

Intro:श्रीगंगानगर : स्वास्थ्य विभाग द्वारा दीपावली से पहले मिलावट पर रोक लगाने के लिए चलाया गया शुद्ध के लिए युद्ध अभियान श्रीगंगानगर में महज खानापूर्ति बनकर रह गया है.अभियान के तहत विभाग ने अभी तक गिनती के नमूने लिए हैं.दीपावली आने को कुछ ही दिन शेष रह गए हैं. ऐसे में मिलावट खोर भी बिना किसी डर के बाजार में धड़ल्ले से अपना माल बेच रहे हैं.खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने खाद पदार्थों के नमूने लेने के अलावा जिले में अभी तक कोई बड़ी कार्यवाही नहीं की है।विभाग की कार्रवाई हो भी कैसे क्योंकि विभाग के पास ने तो स्टाफ है और न ही उपकरण।


Body:नहरी तंत्र से जुड़े श्रीगंगानगर जिले में पिछले कुछ दशकों में अमानक खाद्य पदार्थों की बिक्री तेजी से बढ़ी है।जबकि पिछले एक दशक में विभागीय कार्रवाई में बहुत से व्यापारियों के यहां बिक रहे खाद्य पदार्थ अमानक पाए जा चुके हैं।लेकिन आज तक किसी भी दोषी पर कड़ी कार्यवाही नहीं हो सकी है। कारण है विभागीय कार्रवाई में लगने वाला समय व अधिकारियों की तरफ से महज छोटी मोटी कार्रवाई। त्योहारी सीजन शुरू होते ही बाजारों में मिठाइयां व अन्य पदार्थों की बिक्री में तेजी आनी शुरू हो जाती है। अधिक लाभ के लिए बाजार में अमानक खाद्य पदार्थों की बिक्री पर विभागीय ढिलाई के चलते अंकुश लगाना संभव नजर नहीं आ रहा है। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से त्योहारी सीजन के मद्देनजर खाद्य पदार्थों का शुरू किया गया जांच अभियान अब दम तोड़ता नजर आ रहा है। श्रीगंगानगर के स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार जिले की 20 लाख की जनसंख्या पर एक फ़ूड इंस्पेक्टर प्रतिदिन 5 नमूने लेकर खानापूर्ति करनी थी बावजूद इसके तीन ही नमूने लिए जा रहे हैं। वह भी सप्ताह में 3 दिन ये नमूने लिए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए गए अभियान के लिए महज खानापूर्ति इसलिए कह सकते हैं कि गंगानगर जिला मुख्यालय पर बनी लैब स्टाफ के अभाव में पिछले एक दशक से बंद पड़ी है।ऐसे में अब खाद पदार्थों की जांच के लिए नमूने लेकर जयपुर की लैब में भिजवाने पड़ते हैं। जिनकी रिपोर्ट आने में 35 से 45 दिन लगते हैं। तब तक खाद्य पदार्थ और त्योहारी सीजन पर शुरू किया गया अभियान समाप्त हो जाता है। तभी लोग धड़ल्ले से बिक रहे मिलावटी सामान के बारे में चिंता जाहिर कर रहे हैं.वहीं चिकित्सा अधिकारी अलग ही रोना रो रहे हैं।

बाइट : रामानंद
बाइट : सुमन,ग्रहणी
बाइट : गिरधारी लाल मेहरडा,सीएमएचओ।

खाद्य पदार्थों के नमूने लेकर मौके पर जांच के लिए शुरू की गई चल प्रयोगशाला पर पिछले कुछ वर्षों से ब्रेक लगा हुआ है। जिस कारण जिले के बाजार में बिक रहे खाद्य पदार्थों में मिलावट को बढ़ावा मिलने की आशंका ज्यादा बढ़ गई है। वहीं दीपावली के मौके पर लोगों को मिलावटी चीजें नहीं खानी पड़े इसके लिए राज्य सरकार ने मिलावटखोरों के खिलाफ सैंपल भरने का अभियान तो चलाया,लेकिन अभियान का असर मिलावटखोरो पर नहीं है। जिससे मिलावट खोर बेखौफ होकर मिलावटी खाद्य पदार्थ बेच रहे हैं। यही नहीं श्रीगंगानगर में मिलावट से युद्ध लड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास फ़ूड अधिकारी ही नहीं है। जिससे अभियान का जिले में कोई असर ही दिखाई नहीं दे रहा है। बाजार में कोई भी चीज मिलावट से अछूती नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऐसे लोगों के खिलाफ कभी कभार ही कागजी कार्रवाई की जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि इस दीपावली पर शुद्ध के लिए युद्ध अभियान कागजी साबित हो रहा है।




Conclusion:कागजी साबित हो रहा है शुद्ध के लिए युद्ध अभियान।
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