श्रीगंगानगर. स्वास्थ्य विभाग की ओर से दीपावली से पहले खाद्य पदार्थों में मिलावट के खिलाफ 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान चलाया जा रहा है. जिसके तहत विभाग की जांच टीम ने अब तक गिनती के ही नमूने लिए हैं. खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने खाद पदार्थों के नमूने लेने के अलावा जिले में अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की है.
बता दें कि जिले में पिछले कुछ सालों में अमानक खाद्य पदार्थों की बिक्री तेजी से बढ़ी है. जबकि विभागीय कार्रवाई में बहुत से व्यापारियों के यहां बिक रहे खाद्य पदार्थ अमानक पाए जा चुके हैं, लेकिन अब तक किसी भी दोषी पर कड़ी कार्रवाई नहीं हो सकी है. कारण है विभागीय कार्रवाई में लगने वाला समय और अधिकारियों की तरफ से की गई महज छोटी-मोटी कार्रवाई.
वहीं अधिक लाभ के लिए बाजार में अमानक खाद्य पदार्थों की बिक्री पर विभागीय ढिलाई के चलते अंकुश लगाना संभव नजर नहीं आ रहा है. स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार जिले की 20 लाख की जनसंख्या पर एक फूड इंस्पेक्टर को प्रतिदिन 5 नमूने लेने हैं. बावजूद इसके सप्ताह में 3 दिन ही नमूने लिए जा रहे हैं.
गंगानगर जिला मुख्यालय पर बनी लैब स्टाफ के अभाव में पिछले एक दशक से बंद पड़ी है. ऐसे में खाद पदार्थों की जांच के लिए नमूने लेकर जयपुर की लैब में भिजवाने पड़ते हैं. जिनकी रिपोर्ट आने में 35 से 45 दिन लग जाते हैं. वहीं तब तक खाद्य पदार्थ और त्योहारी सीजन पर शुरू किया गया अभियान समाप्त हो जाता है.
वहीं खाद्य पदार्थों के नमूने की जांच के लिए शुरू की गई प्रयोगशाला पर पिछले कुछ सालों से ब्रेक लगा हुआ है. जिस कारण जिले के बाजार में बिक रहे खाद्य पदार्थों में मिलावट को बढ़ावा मिलने की आशंका ज्यादा बढ़ गई है. यही नहीं श्रीगंगानगर में मिलावट के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास फूड अधिकारी ही नहीं हैं. जिससे अभियान का जिले में कोई असर ही दिखाई नहीं दे रहा है. बाजार में कोई भी चीज मिलावट से अछूती नहीं है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऐसे लोगों के खिलाफ कभी कभार ही कागजी कार्रवाई की जाती है.