श्रीगंगानगर. पंजाब से आ रहे केमिकल युक्त व दूषित पानी से यहां के लोगों में अब भय पैदा होता जा रहा है. हैवी मेटल्स युक्त काले पानी के लगातार इस्तेमाल से यहां के लोगों मे कैंसर जैसी भयंकर बीमारियां तेजी से फैलती जा रही है. लोगों ने अब दूषित पानी से बचने के लिए रास्ते निकाले है. दूषित पानी से पिछले कुछ समय में यहां के अस्पतालों में जहां मरीजों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है. वहीं शुद्ध पानी के नाम पर पानी की जो फैक्ट्रियां खुली है वो बताने के लिए काफी है कि नहरों के पानी से लोग कितने डरे हुए है.
30 लाख के करीब जनसंख्या वाला यह जिला आर्थिक रूप से काफी समृद्ध है. लेकिन पंजाब से आ रहे काले व केमिकलयुक्त पानी ने यहां के लोगों को बीमारियों की जद में जकड़ लिया है. श्रीगंगानगर जिले में दूषित पानी से बचने के लिए लोगों ने तरह तरह के रास्ते निकाल रखे है. ग्रामीण क्षेत्रों में लोग दूषित व काले पानी से बचने के लिए अब पानी में फिटकरी, चूना डालकर पानी को पीने लगे है. ग्रामीण एरिया में दूषित पानी के हालात काफी भयावह है. बॉर्डर से सटे गांवो में तो हालात और भी ज्यादा खराब है. जहां जलदाय विभाग के फिल्टर खराब पड़े होने से लोग यही दूषित व काला पानी पीने को मजबूर है.
दूषित पानी से बचने के लिए लोग अब किस तरह का रास्ता अपना रहे है. इसका जायजा लिया ईटीवी भारत की टीम ने तो हैरान करने वाला नजारा सामने आया. टीम ने देखा कि जिन अधिकारियों के कंधों पर दूषित पानी को रोकने की जिम्मेदारी है. वे अधिकारी दूषित पानी पर रोक लगे इसके लिए कोई ठोस कदम उठाने की बजाए दूषित पानी से बचने के लिए रास्ते निकाल रहे है. हमने देखा कि जिले में दूषित पानी से लोगों में भय तो बहुत है लेकिन दूषित पानी के खिलाफ आवाज उठाने की बजाए लोग दूषित पानी के खतरों से बचने के लिए अब आरओ,एक्वागार्ड या कैम्पर का पानी इस्तेमाल करने लगे है.
यही वजह है कि पिछले दस सालों में जिले में 100 से अधिक पानी के प्लांट लग चुके है. पंजाब से आ रहे दूषित पानी का ही एक कारण है कि यहां पर अब शुद्ध पानी के नाम पर एक पानी उद्योग पनप चुका है. हालांकि इस पानी की गुणवत्ता आज तक किसी ने चेक नहीं की. लेकिन लोग कैम्पर का पानी पीकर खुद को खतरे से दूर समझ रहे है. सवाल यह भी है कि कैम्पर व फैक्ट्रियों में तैयार किये जा रहे पानी से खतरा भले ही ना टले मगर पानी तैयार करने वाले जरूर शुद्ध पानी के नाम पर मोटी कमाई शुरू कर रखी है. ईटीवी भारत की टीम ने शहर का जायजा लिया तो पता चला कि शहर के दुकानों से लेकर अधिकतर घरों में कैंपर का पानी पीने के लिए आ रहा है. वहीं सरकारी दफ्तरों का जायजा लिया तो हैरानी इस बात की हुई कि लोगों को शुद्ध पानी पिलाने का दावा करने वाला जलदाय विभाग खुद अपने दफ्तर में आरओ व एक्वागार्ड लगाकर पानी पी रहा है. शायद विभाग के अधिकारियों को खुद के पानी पर विश्वास नहीं है. इसलिए वे अपने दफ्तर में एक्वागार्ड व आरओ लगवा रखे है. ताकि दूषित पानी से बीमार ना पड़े.
इसी तरह थोड़ा आगे चले तो जिला कोषधिकारी कार्यालय में भी यही आरओ प्लांट लगा मिला. तो वहीं जिला कलेक्ट्रेट में भी आरपी व फिल्टर नजर आया. मतलब साफ अधिकारी जरा भी विश्वास नहीं करते है कि उन्हें पंजाब से आ रहा पानी सीधे जलदाय विभाग की सप्लाई का मिले और वे पीकर बीमार हो जाये. शहर की सभी बैंकों में भी अधिकारियों ने दूषित पानी पीने से बचने के लिए इसी तरह के आरओ व एक्वागार्ड लगवा रखे है. ताकि केमिकल युक्त पानी उनके शरीर में ना जाए. बैंक मैनेजर पूर्ण खन्ना ने बताया कि शहर के अधिकतर सरकारी दफ्तरों में दूषित पानी से बचने के लिए आरओ व एक्वागार्ड लगा रखे है. शहर के जागरूक लोग कहते है कि दूषित पानी की बड़ी समस्या है इसका समाधान होना चाहिए ना कि आरओ,एक्वागार्ड व फिटकरी युक्त पानी पीकर काम चलाया जाए.