श्रीगंगानगर. तीन महीने पहले एक वकील पर खुद की साढ़े तीन साल की बेटी के साथ दुष्कर्म करने के लगे आरोप सीआईडी सीबी की जांच के बाद आखिरकार गलत साबित हुए है.
पोक्सो न्यायालय के आदेश पर वकील की रिहाई हुई. साथी वकील की रिहाई के बाद बार एसोसिएशन ने गुरुवार को बैठक कर आगे की रणनीति पर चर्चा करते हुए इस पूरे मामले में षडयंत्र रचने वाले दोषियों के खिलाफ लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है. बार की बैठक में उन दो अधिवक्ताओं की सदस्यता भी रद्द कर दी है. जिन्होंने इस मामले में अनुशासनहीनता की थी. बैठक में फैसला लिया गया कि साथी वकील के खिलाफ पोक्सो एक्ट में झूठा मामला दर्ज करवाने वाले लोगों का पता लगवाया जाएगा. वहीं, जिन पुलिस अधिकारियों ने मामले में बिना जांच किये वकील की नाटकीय तरीके से गिरफ्तारी की उनके खिलाफ कानूनी कारवाई कर सजा दिलाई जाएगी.
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बैठक में बार पदाधिकारियों ने अधिवक्ता जसवंत भादू और मंजू पांडे के खिलाफ एक स्वर में निंदा प्रस्ताव पारित करते हुए दोनों अधिवक्ताओ की बार से सदस्यता रद्द कर दी है. वहीं, अधिवक्ता वीरेंद्र सिहाग ने बताया कि प्रभारी मंत्री और जिला कलेक्टर द्वारा की गई कमेटी में दोषी पुलिस वालों के खिलाफ कानूनी कारवाई की मांग की जाएगी. उन्होंने कहा की वकील की गिरफ्तारी बार एसोसिएशन की जीत है. सीनियर अधिवक्ता चरणदास कम्बोज ने बताया कि जिस तरीके से पुलिस ने पूरे प्रकरण में अपनी भूमिका निभाई उससे साफ प्रतीत होता है कि पुलिस अधिकारीयों ने किसी के प्रभाव और दबाव में काम किया था.