सिरोही. जिले में स्थित राजस्थान के एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू के सबसे ऊंचे गांव शेरगांव और उतरज के मतदाता इस साल पहली बार अपने गांव में ही मतदान करेंगे. शेरगांव गुमनामी व अंधेरे के उन पन्नों में शामिल है, जहां तक पहुंचने के लिए दिन में भी रोशनी की जरूरत होती है. वहीं, रात के अंधेरे में इस गांव में पहुंचाना नामुमकिन है. पैंथर, भालू और अन्य जंगली जानवरों के डर से यहां के लोग हमेशा सहमे व डरे रहते हैं. सिरोही कलेक्टर डॉ भवरलाल चौधरी ने बताया कि शेरगांव में पहुंचने के लिए 18 किलोमीटर का पैदल लंबा सफर गुरु शिखर से तय करना पड़ता है. इस रास्ते में न तो कोई सड़क है और न ही जाने के लिए कोई साधन. ऐसे में चट्टानों पर रेंगते हुए पहाड़ों और नदी नालों को पार कर लोग इस गांव तक पहुंचते है.
पहली बार अपने गांव में मतदान करेंगे इस गांव के मतदाता : गुरु शिखर से इस गांव में पहुंचने की पैदल यात्रा शुरू होती है. करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर पहला गांव उतरज आता है और उसके बाद दूसरा गांव शेरगांव पड़ता है. उतरज और शेरगांव के बीच की दूरी करीब 12 किलोमीटर है. वहीं, राजस्थान में कितनी ही सरकारें आई और गईं, लेकिन इस गांव की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया. पहले शेरगांव के लोगों को मतदान करने के लिए 12 किलोमीटर दूर उतरज आना पड़ता था. इसके लिए मतदाताओं को घंटों पैदल चलना पड़ता था, जिसके बाद वो उतरज पहुंचते थे और फिर मतदान के बाद वापस उतनी ही दूरी तय कर वापस लौटते थे. हालांकि अब निर्वाचन विभाग ने यहां के मतदाताओं की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उनके गांव में ही पोलिंग बूथ की व्यवस्था की है. ऐसे में अब उन्हें मतदान के लिए लंबी दूरी तय नहीं करनी होगी.
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117 मतदाताओं के लिए यहां बना पोलिंग बूथ : दरअसल, निर्वाचन विभाग ने शत प्रतिशत मतदान का लक्ष्य रखा है. यही वजह है कि शेरगांव में मतदान निश्चय कराने के लिए पोलिंग बूथ बनाए गए हैं. इस मतदान केंद्र पर 117 मतदाता हैं, जो पहली बार अपने गांव में ही मतदान करेंगे. वहीं, ये गांव जिले के आबू-पिंडवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है और इस गांव तक पहुंचने के लिए मतदान दल को 4921 फीट की ऊंचाई भरे सफर को तय करना पड़ा.