सिरोही. आबूरोड में रेलवे और एनडीआरएफ ने मंगलवार को एक बड़े रेल हादसे को लेकर मॉक ड्रिल किया. इस मॉक ड्रिल के दौरान किस प्रकार से हादसे के बाद लोगों को ट्रेन से बाहर निकाला जाए और राहत पहुंचाने की व्यवस्थाओं को परखने के लिए यह ड्रिल की गई. वहीं जिला प्रशासन ने इस ड्रिल पर खामियां गिनाते हुए नाराजगी जताई.
मंगलवार को सुबह 10:30 पर आबूरोड रेलवे को सूचना मिली कि आबूरोड के पास ही हॉलीडे स्पेशल ट्रेन पटरी से उतर गई है. साथ ही उसके दो डिब्बे एक दूसरे पर चढ़ गए. जिस पर रेलवे के अधिकारी और कर्मचारी मौके पर पहुंचे. अधिकारियों ने घटना की जानकारी उच्च अधिकारियों को दी. जानकारी मिलते ही एनडीआरएफ की टीम और रेलवे के अधिकारी मौके पर पहुंचे और राहत कार्य शुरू किया. एनडीआरएफ की टीम ट्रेन के डिब्बों में फंसे लोगों को ट्रेन की खिड़की काटकर बाहर निकालने का काम किया. वहीं चिकित्सकों की टीम ने उन्हें उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया.
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घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन तहसीलदार दिनेश आचार्य, आबूरोड शहर थाना अधिकारी अनिल कुमार मौके पर पहुंचे और राहत कार्य में जुट गए. इस मॉक ड्रिल के दौरान रेलवे के अधिकारियों और कर्मचारियों ने जिला प्रशासन और जिला कंट्रोल रूम को कोई भी जानकारी नहीं दी गई. जिस पर जिला कलेक्टर सुरेंद्र कुमार सोलंकी और एसपी कल्याणमल मीणा ने मौके पर पहुंचकर नाराजगी जताई. जिला कलेक्टर ने कहा कि इस तरह की मॉक ड्रिल का करना और जिला प्रशासन को अवगत नहीं कराना अपने आप में गंभीर विषय है. अगर हमें पहले सूचित करते तो मौके पर और भी राहत कार्य को तेजी से करवा सकते थे. अगर वास्तव में इस तरह की घटना हो जाए और इस तरह की लापरवाही हो तो यह गंभीर विषय है.
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वहीं मॉक ड्रिल में रेलवे अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही साफ देखने को मिली. रेलवे के अधिकारियों और संबंधित रेलवे के विभागों को इस मॉक ड्रिल के बारे में पूर्व से ही जानकारी दी गई. जिसके चलते घटना की जानकारी मिलते ही चंद मिनटों में अधिकारी कर्मचारी मौके पर पहुंच गए और राहत कार्य शुरू कर दिया. रेलवे और एनडीआरएफ द्वारा की गई है मॉक ड्रिल अपने आप में सवाल खड़े करती है कि अगर वास्तव में इस तरह का बड़ा हादसा हो जाता है तो क्या रेलवे के अधिकारी और और राहत टीम इतना जल्दी मौके पर पहुंच पाती है.