सिरोही (जयपुर). प्रदेश में चल रही सियासी हलचल को लेकर ईटीवी भारत ने सिरोही के लोगों से राय ली. सत्ता पक्ष की विपक्ष को लेकर मिलीजुली राय देखने को मिली. राजनैतिक विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदेश में चल रहे घमासान से प्रदेशवासियों को नुकसान हो रहा है. राजनैतिक विशेषज्ञ रवि भारद्वाज ने कहा कि प्रदेश में सत्ता और संगठन को लेकर चल रहा है वह दुर्भाग्यपूर्ण है.
ब्यूरोक्रेसी सत्ता से ज्यादा हावी नजर आ रही है जिससे प्रदेशवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. राज्यसभा चुनाव भले ही कांग्रेस ने जीत लिए हो पर प्रदेश में सत्ता और संगठन के बीच तालमेल की कमी है जिससे प्रदेश में अराजकता का माहौल है. उन्होंने कहा कि सरकार अपने विधायकों को बचाने में लगी है. जिससे अपना वर्चस्व कायम रह सके. सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष की स्थिति भी मजबूत नही है भाजपा के स्थानीय विधायक विधानसभा में बोलने से कतराते है.
भारद्वाज ने आगे कहा कि कोविड -19 को लेकर अभी तक लोगों को राहत नहीं मिल पाई है. स्थानीय स्तर पर राहत पैकेड खराब होते रहे पर लोगों को नहीं मिले जो विपक्ष की कमजोरी के चलते हुए. वर्तमान में भाजपा में खेमेबाजी है जबकि अगर भाजपा की सरकार बनाने की बात आई तो वसुंधरा राजे का कोई विकल्प नहीं है. प्रदेश में सरकार की वापसी हो या संगठन में एकजुटता वसुंधरा राजे को आगे लाना नहीं पड़ेगा.
वहीं समाजसेवी दिनेश खण्डलेवाल ने कहा कि सरकार के गठन को 1.5 वर्ष हो चुका है पर अब तक कोई काम नहीं हुआ. यही कारण है कि जिन्होंने चुनाव में मेहनत की जो लोगों से वादे किए वह पूरे नहीं किए जिसके चलते कांग्रेस पार्टी में फूट पड़ी. फुट का ही कारण था कि प्रदेश के चीफ और उपमुख्यमंत्री सहित कई विधायक बगावत पर उतर आए और सरकार गिरने के कगार पर आ गई है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की आपसी फूट का आरोप भाजपा पर लगाया पर यह आरोप गलत है जब घर में फुट हो तो दूसरा भला क्या कर सकता है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में युवाओं को प्रोजेक्ट नहीं करने का मुख्य कारण है राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ताकि उनके अस्तित्व पर कोई खतरा उत्पन्न ना हो सके.
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वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष जैन कहते हैं कि भाजपा द्वारा एक सोचा समझा षडयंत्र किया गया है जिसमें जनता द्वारा चुनी गई सरकारों को किस प्रकार से गिराया जाय. कर्नाटक, मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान में सरकार को गिराने का प्रयास किया गया जिसमें वह सफल नहीं हो पाए पैसे देकर विधायकों को खरीदने की कोशिश की गई पर अशोक गहलोत सरकार का गिरना मुश्किल है.
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जैन आगे कहते हैं कि, सचिन पायलट को सत्ता को लेकर कुछ नाराजगी हो पायलट कांग्रेस परिवार से है वह कहीं नहीं जाएंगे यहीं आएंगे. साथ ही कहा कि अशोक गहलोत सरकार कभी अल्पमत में नहीं आएगी. जब भी फ्लोर टेस्ट की बात होगी अशोक गहलोत अपना बहुमत साबित करेंगे. एसओजी द्वारा पायलट को बुलाये जाने के सवाल पर कहा कि यह एक रूटीन प्रकिया है जिसमें बुलाकर बयान लिए जाते हैं जो सब पर लागू होते हैं. वही उन्होंने कहा कि भाजपा में अगर सरकार बनाने को लेकर सुगबुगाहट होती है तो वसुंधरा राजे के अलावा कोई विकल्प नहीं है