सिरोही. आबू पिंडवाड़ा विधायक समाराम गरासिया ने रिश्वत मामले में निलंबित पूर्व तहसीलदार कल्पेश जैन के सरकारी आवास में रहने का विरोध किया है. इसके बाद प्रशासन हरकत में आया और तत्कालीन तहसीलदार कल्पेश जैन को तुरंत प्रभाव से सरकारी आवास खाली करने का आदेश दिया.
जानकारी के अनुसार मंगलवार को आबू पिंडवाड़ा विधायक समाराम गरासिया और वकील मंडल के प्रतिनिधियों ने तहसीलदार गोंगाराम मीणा को बताया कि पूर्व में एक लाख रुपये की रिश्वत में ट्रैप और भारतीय मुद्राओं को जलाने के मामले में गिरफ्तार हुए तत्कालीन तहसीलदार कल्पेश जैन जमानत पर रिहा होने के दौरान पिछले शुक्रवार से तहसील परिसर में स्थित तहसीलदार के सरकारी क्वार्टर में रह रहे हैं.
जबकि तत्कालीन तहसीलदार जैन को पिछले 26 मार्च को निलंबित किया गया है. गरासिया ने बताया कि किसी निलंबित अधिकारी का सरकारी आवास में निवास करना गैरकानूनी और तत्कालीन तहसीलदार का भ्रष्ट रवैया है. तत्कालीन तहसीलदार जैन के खिलाफ रिश्वत तथा भारतीय मुद्रा जलाने के मामले न्यायालय में विचाराधीन है.ऐसे में इनका तहसील परिसर में सरकारी आवास में रहना संदेहास्पद है.
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गरासिया ने तत्कालीन तहसीलदार कल्पेश जैन को तुरंत प्रभाव से सरकारी क्वार्टर खाली करवाने की मांग की. विधायक गरासिया ने इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव कुलदीप रांका, जिला कलेक्टर, एडीएम तथा एसडीएम को भी अवगत करवाकर बताया कि तत्कालीन तहसीलदार कल्पेश जैन के खिलाफ रिश्वत एवं भारतीय मुद्रा जलाने के मामले न्यायालय में विचाराधीन है और इनका निलंबन भी हो चुका है.
इसके बाद तहसीलदार गोंगाराम मीणा ने उच्च अधिकारियों को मामले से अवगत करवाया एवं पूर्व तहसीलदार कल्पेश जैन को तुरंत प्रभाव से सरकारी आवास खाली करने का आदेश दिया. गौरतलब है कि पूर्व तहसीलदार जैन ने इस आदेश को लेने से इंकार कर दिया. मामले में तहसीलदार गोगाराम मीणा ने कहा की पूर्व तहसीलदार को सरकारी आवास खाली करने के लिए आदेश जारी कर दिया है तथा उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया. जल्द ही आवास खाली करवा लिया जाएगा. इस दौरान भाजपा ग्रामीण मंडल अध्यक्ष लीला राम प्रजापत, ओबीसी मोर्चा से नारायण प्रजापत, वकील मंडल से अर्जुन राजपुरोहित, धर्मवीर सिंह आढा आदि मौजूद थे.