सीकर: राजस्थान में एक बार फिर मानवता दम तोड़ती नजर आई. सीकर जिले के नीमकाथाना में रास्ते को लेकर हुए विवाद की कीमत एक गर्भवती को कोख में पल रहे बच्चे की जान देकर चुकानी पड़ी. असंवेदनशीलता की हद तो तब पार हो गई जब मारपीट में घायल महिला की नानी पीड़िता को अस्पताल लेकर पहुंची. लेकिन अस्पताल वालों ने बिना पुलिस में मामला दर्ज किए इलाज करने से मना कर दिया. इसके बाद पीड़ित महिला नवजात के शव को लिए 2 दिन तक भटकती रही.
मामला नीमकाथाना सदर थाने का है. थाना क्षेत्र के लोहारवास गांव में रास्ते को लेकर 2 पक्षों में विवाद चल रहा था. रास्ते को लेकर विमला बावरिया और सरदारा मीणा के परिवार के बीच 18 अक्टूबर को मारपीट हो गई. विमला की दोहिती रेखा उसी दिन अपने ससुराल श्रीमाधोपुर से लुहारवास आई थी, जो गर्भवती थी. मारपीट में उसे भी चोट लगी, जिससे उसके पेट में पल रहे बच्चे की मौत हो गई.
7 से 9 दिन बाद होनी थी डिलीवरी
पीड़िता की नानी विमला ने बताया कि 7 से 9 दिन बाद ही महिला की डिलीवरी होनी थी. लेकिन मारपीट की वजह से महिला का गर्भपात हो गया. मृत बच्चे को जन्म देने के बाद पीड़िता रेखा और बच्चे के शव को लेकर वह कपिल अस्पताल पहुंचीं. लेकिन वहां पुलिस केस होने की बात कहकर अस्पताल वालों ने भर्ती करने से मना कर दिया. अस्पताल वालों ने कहा कि पुलिस केस है, पहले थाने जाकार रिपोर्ट दर्ज करानी होगी उसके बाद ही पीड़िता को भर्ती किया जाएगा. ऐसे में एक घंटे तक प्रसूता अस्पताल के बाहर ही तड़पती रही.
कोर्ट में जाने के बाद पुलिस चेती
पीड़ित परिवार अपनी फरियाद लेकर थाने पहुंचा, लेकिन पुलिस ने भी सुनवाई नहीं की. आखिरकार 2 दिन चक्कर काटने के बाद पीड़ित परिवार गोद में बच्चे का शव लेकर न्याय के लिए कोर्ट पहुंचा. मामला तूल पकड़ने के बाद पुलिस ने बुधवार रात पीड़िता को कपिल अस्पताल में भर्ती करवाया और शव को मोर्चरी में रखवा दिया. गुरुवार को मारपीट में महिला के गर्भपात के मामले में सदर पुलिस ने 2 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर की. इसके साथ ही नवजात के शव का पोस्टमार्टम कर परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है.
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पीड़ित की नानी विमला का आरोप है कि घटना की सूचना उसने टोडा पुलिस को दी थी. पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई. उन्होंने जैसे-तैसे गांव में रात गुजारी. बुधवार को पुलिस अधिकारियों से मिलने पहुंची, लेकिन वहां भी उसकी गुहार किसी ने नहीं सुनी. पीड़िता की नानी की मांग है कि पुलिस मारपीट में शामिल आरोपियों पर सख्त कार्रवाई करे.
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वहीं अस्पताल प्रशासन का कहना है कि पीड़िता अस्पताल में चिकित्सकों के पास नहीं पहुंची. इलाज के लिए मना करने का सवाल ही नहीं है. जबकि पुलिस का कहना है कि गर्भवती से मारपीट और शिशु की मौत के मामले की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है. पीड़ित परिवार पुलिस थाने तक आया ही नहीं था.