फतेहपुर (सीकर). कृषि विज्ञान केन्द्र पर आत्मा योजना अंतर्गत संरक्षित बागवानी पर दो दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. डॉ. शशि वर्मा ने बताया कि बढ़ती जनसंख्या की मांग को पूरा करने के लिए सब्जियों की फसल के उत्पादन में वृद्धि करना अत्यन्त आवश्यक है. उन्होंने बताया कि प्रतिदिन प्रति व्यक्ति को लगभग 300 ग्राम सब्जियों की आवश्यकता होती है इनमें 100 ग्राम पत्तेदार, 100 ग्राम जड़वाली और 100 ग्राम अन्य सब्जियां सम्मिलित होनी चाहिए, लेकिन यह निर्धारित मात्रा सभी को उपलब्ध नहीं है. उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग के साथ ही अधिक उत्पादन मिल सके.
केन्द्र के उद्यान वैज्ञानिक और प्रशिक्षण प्रभारी डॉ. महेश चौधरी ने बताया कि संरक्षित खेती आधुनिक युग की ऐसी तकनीक है, जिसमें माध्यम से किसान फसलों की मांग के अनुसार वातावरण को नियंत्रित करते हुए फसलों को तैयार कर सकता है. इसके माध्यम से नमी संरक्षण, पानी की बचत, उर्वरकों की बचत, खरपतवारों में कमी, जल और पोषक तत्वों का सुनियोजित उपयोग कर सकते है. उन्होंने बताया कि संरक्षित खेती में कीट अवरोधी जाल, हरितगृह, नवीनतम तकनीक से लैस पॉलीहाउस, प्लास्टिक लो-टनल, प्लास्टिक हाई-टनल, प्लास्टिक मल्चिंग और ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल होता है.
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प्रसार वैज्ञानिक डॉ. बी.एल. आसीवाल ने कृषि विज्ञान केन्द्र की गतिविधियो की जानकारी के साथ किसान प्रशिक्षण और नवीनतम तकनीकीयों के बारे में जानकारी दी. इस अवसर पर शस्य वैज्ञानिक डॉ. लालाराम ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या और खेत के घटते क्षेत्रफल के साथ कम उत्पादन और अधिक लागत के कारण किसान को अपने उपलब्ध संसाधनों का सही ढंग से उपयोग करना चाहिए. डॉ. जितेन्द्र कुमार ने फसलों में लगने वाली कीट और बिमारियों से होने वाले नुकसान और इनके नियंत्रण के तरीकों के बारे में जानकारी उपलब्ध करवाई. प्रशिक्षण में सीकर जिले के 30 किसानों ने भाग लिया .