सीकर. जिले की सात नगर पालिकाओं में चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है और 28 जनवरी को मतदान होना है. इन सातों नगर पालिकाओं में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर होनी तय है लेकिन दोनों ही पार्टियों के सामने चुनौतियां भी कम नहीं है. कांग्रेस पिछले निकाय चुनाव की जीत को बरकरार रखकर गढ़ बचाने की जुगत में होगी, वहीं इसपर पंचायत चुनाव में खराब प्रदर्शन का दबाव भी है. जबकि भाजपा पंचायत चुनाव की जीत से उत्साहित है लेकिन इन नगरपालिकाओं का इतिहास पार्टी के पक्ष में कम है.
सीकर में रामगढ़ शेखावाटी, फतेहपुर शेखावाटी, लक्ष्मणगढ़, लोसल, रींगस, खंडेला और श्रीमाधोपुर नगर पालिका में चुनाव होने हैं. चुनाव में कांग्रेस के कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर रहेगी. इसके साथ ही भाजपा भी इन पर अपना कब्जा जमा कर पंचायत चुनाव की तरह ही जिले में धाक जमाए रखना चाहेगी.
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पिछले चुनाव की बात की जाए तो यहां पर रामगढ़, लक्ष्मणगढ़, लोसल खंडेला और रींगस में कांग्रेस के पालिका अध्यक्ष बने थे, वहीं फतेहपुर और श्रीमाधोपुर सीट भाजपा के खाते में गई थी. पिछले चुनाव में विपक्ष में होने के बाद भी कांग्रेस ने यहां अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन इसके बाद भी यहां जीत हासिल करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा. हाल ही पंचायत चुनाव में सीकर में भाजपा का जिला प्रमुख बना और छह पंचायत समितियों में भाजपा ने अपने प्रधान भी बनाए जबकि छह में कांग्रेस ने जीत हासिल की. यानी कि भाजपा कांग्रेस से आगे रही. अब निकाय चुनाव में भी दोनों ही पार्टियों को पूरी ताकत झोंकनी पड़ेगी.
ये हैं सात नगर पालिका में दोनों पार्टियों के समीकरण
रामगढ़ शेखावाटी : यहां पर कांग्रेस का दबदबा रहा है और पिछले दो चुनावों से कांग्रेस के ही नगर पालिका अध्यक्ष बने हैं. मुस्लिम आबादी अधिक होने की वजह से कांग्रेस को यहां लाभ होता दिख रहा है. स्थानीय विधायक हाकम अली हाल ही में कांग्रेस के प्रदेश महासचिव बनाए गए हैं. इसलिए उनकी प्रतिष्ठा भी इससे जुड़ी रहेगी. भाजपा के पास यहां कोई बड़ा चेहरा नहीं है.
फतेहपुर शेखावाटी : दो चुनावों से लगातार भारतीय जनता पार्टी यहां पर नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा जमा रही है. पिछले चुनाव में तो कांग्रेस से कम सीट जीतने के बाद भी नगर पालिका अध्यक्ष का पद भाजपा के खाते में गया था. शहर में मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी तादाद है लेकिन कांग्रेस की गुटबाजी यहां पर हमेशा भाजपा के लिए फायदे का सौदा रही है. यहां भी चुनाव में स्थानीय विधायक हाकम अली की प्रतिष्ठा दांव पर रहेगी.
लक्ष्मणगढ़ : कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की नगरपालिका होने की वजह से यहां कांग्रेस हर हाल में जीत हासिल करना चाहेगी. पहले लक्ष्मणगढ़ विकास मंच नगर पालिका अध्यक्ष रहे दिनेश जोशी भाजपा में शामिल हो चुके हैं. इस वजह से भाजपा यहां काफी मजबूत हो चुकी है. लक्ष्मणगढ़ विकास मंच के विलय के बाद यहां भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहा है इस वजह से कांग्रेस की राह इस सीट पर आसान नहीं होगी.
लोसल : यहां भी कांग्रेस के दिग्गज नेता परसराम मोरदिया की प्रतिष्ठा दांव पर रहेगी. यहां पर पिछले चुनाव में जरूर कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी लेकिन इससे पहले भाजपा यहां भारी पड़ी थी. पंचायत चुनाव में भी इसबार यहां भाजपा ने ही बोर्ड बनाया है. ऐसे में इस बार कांग्रेस की राह आसान नहीं होगी. पिछले कुछ चुनावों से भाजपा यहां मजबूत रही है लेकिन पिछली बार उसे हार का सामना करना पड़ा था.
श्रीमाधोपुर: पिछली बार यह सीट भाजपा के खाते में गई थी और इस बार भी यहां पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत की प्रतिष्ठा दांव पर होगी. पिछले दो चुनाव से जीत हासिल कर रही भाजपा यहां कड़ी चुनौती दे सकती है.
खंडेला और रींगस : यह दोनों ही नगर पालिका कांग्रेस के दिग्गज नेता महादेव सिंह खंडेला के विधानसभा क्षेत्र में हैं. हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में कोंग्रेस ने यहां शानदार प्रदर्शन किया है. पिछले निकाय चुनाव में भी दोनों जगह कांग्रेस के बोर्ड बने थे. खंडेला में मुस्लिम आबादी अधिक होने की वजह से यहां इस बार भी कांग्रेस केलिए ज्यादा मुश्किल नजर नहीं आ रही है लेकिन रींगस में समीकरण बदल सकते हैं.