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स्पेशल स्टोरी: प्रदेश की 1478 ग्राम पंचायतों में कोई पशु चिकित्सालय नहीं, इलाज के लिए दर-दर भटकते हैं पशुपालक

प्रदेश के 1478 ग्राम पंचायतों में कोई पशु चिकित्सालय नहीं है. जिस वजह से इलाज के पशुपालकों को पशुओं के इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ता है.

सीकर में पशु चिकित्सालय नही, No veterinary hospital in Sikar, पशु चिकित्सा ईकाई संचालित नहीं है, Veterinary unit is not operated, सीकर की स्पेशल स्टोरी, special story of sikar
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Published : Oct 2, 2019, 2:05 PM IST

फतेहपुर (सीकर). प्रदेश में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए भले ही सरकार किसानों, पशुपालकों के लिए कई तरह की योजनाओं का जिक्र करती है. लेकिन हकीकत यह है कि प्रदेश की 15 फीसदी ग्राम पंचायतों में पशुओं के इलाज के लिए चिकित्सालय का कोई प्रबंध नही है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि पशु पालन कैसे होगा.? छोटी-छोटी बीमारियों के लिए पशुपालकों को पशुओं को लेकर कई किमी. दूर जाना पड़ता है.

पशु चिकित्सालय नहीं होने की वजह से इलाज के लिए दर-दर भटकते हैं पशुपालक

बता दें कि विधायक राजकुमार शर्मा के प्रश्र के उत्तर में विधानसभा में दी गई जानकारी के अनुसार प्रदेश में वर्तमान में 9892 ग्राम पंचायतें हैं. इनमें से 1478 ग्राम पंचायतों में पशु चिकित्सा से संबंधित कोई ईकाई संचालित नहीं हो रही है. प्रदेश में किसानों के आय का एक प्रमुख जरिया पशुपालन भी है. ऐसे में पशुओं के बीमार होने की स्थिति में किसानों पर आर्थिक भार आता है. राज्य सरकार और केन्द्र सरकार की योजनाओं की जानकारी भी नहीं पहुंच पाती है. प्रदेश में विगत वर्षों में तेजी से पशु चिकित्सालय खोले गए हैं. लेकिन इतने लंबे काल के बाद भी पूरी ग्राम पंचायतों में चिकित्सा सुविधा नहीं है. आंकड़े सामने आने के बाद सरकार के दावों की पोल खुल गई.

पढ़ेंः सीकर के पुलिस बेड़े में बड़ा फेरबदल, 300 से ज्यादा तबादले

अगर आंकड़ों की बात करे तो प्रदेश में सीमावर्ती जिलों में पशु चिकित्सा की स्थिति बेहद खराब है. बाड़मेर जिले की 158 ग्राम पंचायतों में आज भी कोई पशु चिकित्सा ईकाई संचालित नहीं है. यह आंकड़ा प्रदेश के अन्य जिलों से सबसे ज्यादा है. इसके बाद उदयपुर जिले में स्थिति बेहद खराब है. उदयपुर जिले की 108 ग्राम पंचायतों में पशु चिकित्सा ईकाई संचालित नहीं है. प्रदेश में कोटा जिले में स्थिति सही है. कोटा में महज 6 ग्राम पंचायतों में ही चिकित्सा ईकाई संचालित नहीं है.

पढ़ेंः स्काउट शिविर में खेलते समय गिरकर चोटिल हुआ छात्र, हाथ में फ्रैक्चर

वहीं सीकर, चुरू, झुंझुनू जिले में भी पशु चिकित्सा की स्थिति ठीक नहीं है. तीनों जिलों की 53 ग्राम पंचायतों में आज भी कोई पशु चिकित्सा ईकाई संचालित नहीं है. सर्वाधिक वंचित ग्राम पंचायतें सीकर जिले की है. सीकर जिले की 21 ग्राम पंचायतों में, झुंझुनूं जिले की 19 ग्राम पंचायतों में व चुरू जिले की 13 ग्राम पंचायतों में कोई पशु चिकित्सा की व्यवस्था खराब है.

फतेहपुर (सीकर). प्रदेश में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए भले ही सरकार किसानों, पशुपालकों के लिए कई तरह की योजनाओं का जिक्र करती है. लेकिन हकीकत यह है कि प्रदेश की 15 फीसदी ग्राम पंचायतों में पशुओं के इलाज के लिए चिकित्सालय का कोई प्रबंध नही है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि पशु पालन कैसे होगा.? छोटी-छोटी बीमारियों के लिए पशुपालकों को पशुओं को लेकर कई किमी. दूर जाना पड़ता है.

पशु चिकित्सालय नहीं होने की वजह से इलाज के लिए दर-दर भटकते हैं पशुपालक

बता दें कि विधायक राजकुमार शर्मा के प्रश्र के उत्तर में विधानसभा में दी गई जानकारी के अनुसार प्रदेश में वर्तमान में 9892 ग्राम पंचायतें हैं. इनमें से 1478 ग्राम पंचायतों में पशु चिकित्सा से संबंधित कोई ईकाई संचालित नहीं हो रही है. प्रदेश में किसानों के आय का एक प्रमुख जरिया पशुपालन भी है. ऐसे में पशुओं के बीमार होने की स्थिति में किसानों पर आर्थिक भार आता है. राज्य सरकार और केन्द्र सरकार की योजनाओं की जानकारी भी नहीं पहुंच पाती है. प्रदेश में विगत वर्षों में तेजी से पशु चिकित्सालय खोले गए हैं. लेकिन इतने लंबे काल के बाद भी पूरी ग्राम पंचायतों में चिकित्सा सुविधा नहीं है. आंकड़े सामने आने के बाद सरकार के दावों की पोल खुल गई.

पढ़ेंः सीकर के पुलिस बेड़े में बड़ा फेरबदल, 300 से ज्यादा तबादले

अगर आंकड़ों की बात करे तो प्रदेश में सीमावर्ती जिलों में पशु चिकित्सा की स्थिति बेहद खराब है. बाड़मेर जिले की 158 ग्राम पंचायतों में आज भी कोई पशु चिकित्सा ईकाई संचालित नहीं है. यह आंकड़ा प्रदेश के अन्य जिलों से सबसे ज्यादा है. इसके बाद उदयपुर जिले में स्थिति बेहद खराब है. उदयपुर जिले की 108 ग्राम पंचायतों में पशु चिकित्सा ईकाई संचालित नहीं है. प्रदेश में कोटा जिले में स्थिति सही है. कोटा में महज 6 ग्राम पंचायतों में ही चिकित्सा ईकाई संचालित नहीं है.

पढ़ेंः स्काउट शिविर में खेलते समय गिरकर चोटिल हुआ छात्र, हाथ में फ्रैक्चर

वहीं सीकर, चुरू, झुंझुनू जिले में भी पशु चिकित्सा की स्थिति ठीक नहीं है. तीनों जिलों की 53 ग्राम पंचायतों में आज भी कोई पशु चिकित्सा ईकाई संचालित नहीं है. सर्वाधिक वंचित ग्राम पंचायतें सीकर जिले की है. सीकर जिले की 21 ग्राम पंचायतों में, झुंझुनूं जिले की 19 ग्राम पंचायतों में व चुरू जिले की 13 ग्राम पंचायतों में कोई पशु चिकित्सा की व्यवस्था खराब है.

Intro:प्रदेश की 1478 ग्राम पंचायतों में कोई पशु चिकित्सा ईकाई नहीं, इलाज के लिए दर दर भटकते है पशुपालकBody:फतेहपुर (सीकर). प्रदेश में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए भले ही सरकारें किसानों, पशुपालकों के लिए कई तरह की योजनाओं का जिक्र करती है, लेकिन हकीकत यह है कि प्रदेश की 15 फीसदी ग्राम पंचायतों में पशुओं की चिकित्सा के लिए कोई ईकाई संचालित नहीं है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि पशु पालन कैसे होगा, जब छोटी छोटी बीमारियों के लिए पशुपालकों को पशुओं को लेकर कई किमी चलता पड़ता है। विधायक राजकुमार शर्मा के प्रश्र के उत्तर में विधानसभा में दी गई जानकारी के अनुसार प्रदेश में वर्तमान में 9892 ग्राम पंचायतें है। इनमें से 1478 ग्राम पंचायतों में पशु चिकित्सा से संबंधित कोई ईकाई संचालित नहीं हो रही है। प्रदेश में किसानों का आय एक प्रमुख जरिया पशुपालन भी है, ऐसे में पशुओं के बीमार होने की स्थिति में किसानों पर आर्थिक भार आता है व राज्य सरकार व केन्द्र सरकार की योजनाओं की जानकारी भी नहीं पहुंच पाती है। प्रदेश में विगत वर्षों में तेजी से पशुचिकित्सालय खोले गए है, लेकिन इतने लंबे काल के बाद भी पूरी ग्राम पंचायतों में चिकित्सा सुविधा नहीं है तो समस्त गांवों तक पशु चिकित्सा सुविधा होना दूर की बात है। आंकड़े सामने आने के बाद सरकार के दावों की पोल खुल गई।


बाड़मेर, उदयपुर में सबसे ज्यादा ग्राम पंचायतें वंचित, कोटा में सबसे कम
प्रदेश में सीमावर्ती जिलों में पशु चिकित्सा की स्थिति बेहद खराब है। बाड़मेर जिले की 158 ग्राम पंचायतों में आज भी कोई पशु चिकित्सा ईकाई संचालित नहीं है। यह आंकड़ा प्रदेश के अन्य जिलों से सबसे ज्यादा है। इसके बाद उदयपुर जिले में स्थिति बेहद खराब है। उदयपुर जिले की 108 ग्राम पंचायतों में पशु चिकित्सा ईकाई संचालित नहीं है। प्रदेश में कोटा जिले में स्थिति सबसे सही है। कोटा में महज 6 ग्राम पंचायतों में ही चिकित्सा ईकाई संचालित नहीं है।

शेखावाटी की 53 ग्राम पंचायतों में नहीं है पशु चिकित्सा की कोई ईकाई
सीकर, चुरू, झुंझुनूं जिले में भी पशु चिकित्सा की स्थिति बेहद ठीक नहीं है। तीनों जिलों की 53 ग्राम पंचायतों में आज भी कोई पशु चिकित्सा ईकाई संचालित नहीं है। सर्वाधिक वंचित ग्राम पंचायतें सीकर जिले की है। सीकर जिले की 21 ग्राम पंचायतों में, झुंझुनूं जिले की 19 ग्राम पंचायतों में व चुरू जिले की 13 ग्राम पंचायतों में कोई पशु चिकित्सा ईकाई संचालित नहीं है।

Conclusion:बाइट डॉ अशोक सैनी नोडल अधिकारी फतेहपुर
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