फतेहपुर/सीकर. शहीद जयपाल सिंह का जन्म 1977 में हुआ था. पिता शिशुपाल सिंह घर में बेटे की किलकारियां सुन उस दिन खुशी के मारे झूम रहे थे. मां बनारसी देवी बेटे के चेहरे को बार-बार उसे चूम रही थी. जयपाल अपने सभी भाई और बहनों में सबसे बड़े थे. 1994 को 7 जाट रेजिमेन्ट में भर्ती हुए थे.
जम्मू कश्मीर में सेना द्वारा साल 2006 में आतंकवादियों के खिलाफ शुरू किए गए ऑपरेशन रक्षक के दौरान जयपाल सिंह सर्च एंड डिस्ट्राय पार्टी के राकेट लांचर के पद पर नियुक्त थे. इस दौरान 22 जुलाई 2006 को दोपहर 12.45 बजे आतंकवादियों ने अचानक हमला कर दिया. इस फायरिंग में उनके साथी बुरी तरह जख्मी हो गए. नायक जयपाल सिंह साहस दिखाते हुए वहीं डटे रहे.
अपनी जान की परवाह किए बिना रॉकेट लांचर से आतंकवादियों पर फायर किया. दुश्मनों को मिटाने के लिए ग्रेनेड फेंकते रहे. इस दौरान दो आतंकवादी को ढेर भी कर चुके थे. जयपाल सिंह घायल होने के बावजूद घायल साथियों को बाहर निकालने तक वहीं डटे रहे, इसके बाद वे वीरगति को प्राप्त हो गए. इस ऑपरेशन में आठ आतंकवादी मारे गए थे जिनके पास से भारी मात्रा में गोला बारूद बरामद हुआ था.
हर साल लगता है शहीद मेला:
शहीद जयपाल सिंह चलका की शहादत को नमन करने के लिए हर वर्ष 22 जुलाई शहीद मेले का आयोजन किया जाता है. मेले में सेना से रिटायर्ड एवं सेना में कार्यरत अधिकारियों को बुलाकर युवा वर्ग को सेना के प्रति जागृत करने का कार्य अमर शहीद जयपाल सिंह स्मृति संस्थान द्वारा किया जाता है. वहीं जय फुटबाल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है, जिसमें आस-पास के गांवों की टीमें भाग लेती हैं. जाट रेजिमेन्ट के अधिकारी और सिपाही हर वर्ष मेले में शिरकत करते हैं और परिवार से मिलकर जाते हैं.
शहीद स्मारक स्थल पर चलता है पुस्तकालय:
शहीद स्मारक के लिए सांसद कोटे से 3.5 लाख रुपये की सहायता दी गई है, शहीद मेले के आयोजन के लिए स्टेज और लोगों की बैठने की व्यवस्था लिए विधायक कोष से 4 लाख की सहायता दी गई है. शहीद परिवार द्वारा शहीद स्मारक के चारों तरफ चारदीवारी तथा स्मारक स्थल के पास पुस्तकालय का निर्माण करवाया गया है जिसमें युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए पुस्तकें प्रदान की जाती हैं ताकि वे समाज को नई दिशा दे सके. शहीद जयपाल सिंह के बारे में आज भी स्थानिय लोग गर्व से बात करते है.