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SPECIAL: सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल 'सद्भावना' स्थल, कब्रिस्तान की जमीन पर बना देवी का भव्य मंदिर - Temple in cemetery

सीकर के कोलीड़ा गांव के ग्रामीणों ने सांप्रदायिक सौहार्द की एक मिसाल पेश की है. इस गांव में मुस्लिम समाज के लोगों ने हिंदू समाज की ओर से बनाए गए एक मंदिर के लिए अपने कब्रिस्तान की जमीन दान में दे दी. पढ़ें पूरी खबर..

Temple in the cemetery at Sikar,  Temple in cemetery
सीकर में कब्रिस्तान पर मंदिर
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Published : Jun 9, 2020, 10:25 PM IST

सीकर. मंदिर-मस्जिद की लड़ाई भले की काफी पुरानी हो, लेकिन राजस्थान के सीकर जिले में मुसलमानों ने एक अनूठी मिसाल पेश की है. जिले के कोलीड़ा गांव में मुसलमानों ने 0.2100 हेक्टेयर जमीन सुरजल माता मंदिर के लिए दान कर दी. आमतौर पर मंदिर के लिए जमीन दान देने के उदाहरण तो सामने आते रहते हैं, लेकिन मंदिर के लिए कब्रिस्तान की जमीन दे दी गई हो ऐसा शायद ही कहीं हुआ हो. ये जमीन भी वैसी है जहां पुरानी कब्रें बनी हुई थी.

सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल सद्भावना स्थल

बता दें कि सीकर जिले के कोलीड़ा गांव की आबादी करीब 9 हजार है. इस गांव में हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं. गांव में जाट समाज के मील गोत्र की कुल देवी सुरजल माता का मंदिर गांव के ही कब्रिस्तान के पास बना हुआ था. 4 साल पहले गांव के लोगों ने इस मंदिर का विस्तार कर बड़ा मंदिर बनाने की सोची, लेकिन समस्या यह थी कि मंदिर के पास इतनी जमीन नहीं थी. जमीन की कमी के कारण बड़ा मंदिर बनाना संभव नहीं हो रहा था. यह बात गांव के मुस्लिम समाज के युवाओं को पता चली तो उन्होंने अपने समाज के बुजुर्गों से संपर्क किया.

Temple in the cemetery at Sikar,  Temple in cemetery
सुरजल माता का मंदिर

पढ़ें- SPECIAL: केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में रिक्शा वालों ने झेला बेरोजगारी का दंश, कर्ज लेकर पाल रहे परिवार

आखिर में मुस्लिम समाज ने तय किया कि मंदिर के पास खाली पड़ी पुराने कब्रिस्तान की जमीन मंदिर को दान में दे दी जाए तो गांव में भव्य मंदिर बन जाएगा. इसके बाद मुस्लिम युवाओं ने मील समाज के लोगों के साथ बैठक की और कब्रिस्तान की जमीन मंदिर के लिए दान में देने का एलान कर दिया. इसके बाद मंदिर का निर्माण काफी बड़े स्तर पर हो गया और मंदिर के पास काफी खाली जमीन भी बच गई. मुस्लिम समाज के लोगों ने मंदिर के लिए जमीन दान में दे कर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश की है.

Temple in the cemetery at Sikar,  Temple in cemetery
सीकर में कब्रिस्तान पर मंदिर

कब्र भी बनी हुई थी इस जमीन में

मुस्लिम समाज ने मंदिर के लिए जो जमीन दान में दी. वहां उनका पुराना कब्रिस्तान था और इस जमीन में कई कब्र बनी हुई थी. इसके बाद भी समाज ने जमीन को दान में दे दिया. हिंदू समाज के लोगों ने पुरानी कब्र को ऊपर से समतल कर उसके ऊपर मिट्टी डलवा कर उसे मंदिर के काम में ले लिया. जबकि ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि कब्रिस्तान की जमीन पर कोई दूसरा काम कर लिया जाए.

Temple in the cemetery at Sikar,  Temple in cemetery
सद्भावना स्थल

सैकड़ों वर्ष पुराना था कब्रिस्तान

बता दें कि मंदिर के चारों तरफ जो कब्रिस्तान था, वह सैकड़ों वर्ष पुराना था और केवल थोड़ी सी जगह मंदिर के लिए छोड़ी गई थी. काफी सालों से गांव में दूसरा कब्रिस्तान बन गया, लेकिन इस कब्रिस्तान में कब्र बनी होने की वजह से यहां कोई दूसरा काम नहीं हुआ. वहीं, मंदिर को दान दी गई जमीन पंचायत के खाते में चढ़ा दी गई है, जिससे कि यह जमीन भी अब सरकारी हो गई है. मंदिर के बाहर एक शिलालेख भी लगाया गया है और उस पर उसे 'सद्भावना' स्थल का नाम दिया गया है.

सीकर. मंदिर-मस्जिद की लड़ाई भले की काफी पुरानी हो, लेकिन राजस्थान के सीकर जिले में मुसलमानों ने एक अनूठी मिसाल पेश की है. जिले के कोलीड़ा गांव में मुसलमानों ने 0.2100 हेक्टेयर जमीन सुरजल माता मंदिर के लिए दान कर दी. आमतौर पर मंदिर के लिए जमीन दान देने के उदाहरण तो सामने आते रहते हैं, लेकिन मंदिर के लिए कब्रिस्तान की जमीन दे दी गई हो ऐसा शायद ही कहीं हुआ हो. ये जमीन भी वैसी है जहां पुरानी कब्रें बनी हुई थी.

सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल सद्भावना स्थल

बता दें कि सीकर जिले के कोलीड़ा गांव की आबादी करीब 9 हजार है. इस गांव में हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं. गांव में जाट समाज के मील गोत्र की कुल देवी सुरजल माता का मंदिर गांव के ही कब्रिस्तान के पास बना हुआ था. 4 साल पहले गांव के लोगों ने इस मंदिर का विस्तार कर बड़ा मंदिर बनाने की सोची, लेकिन समस्या यह थी कि मंदिर के पास इतनी जमीन नहीं थी. जमीन की कमी के कारण बड़ा मंदिर बनाना संभव नहीं हो रहा था. यह बात गांव के मुस्लिम समाज के युवाओं को पता चली तो उन्होंने अपने समाज के बुजुर्गों से संपर्क किया.

Temple in the cemetery at Sikar,  Temple in cemetery
सुरजल माता का मंदिर

पढ़ें- SPECIAL: केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में रिक्शा वालों ने झेला बेरोजगारी का दंश, कर्ज लेकर पाल रहे परिवार

आखिर में मुस्लिम समाज ने तय किया कि मंदिर के पास खाली पड़ी पुराने कब्रिस्तान की जमीन मंदिर को दान में दे दी जाए तो गांव में भव्य मंदिर बन जाएगा. इसके बाद मुस्लिम युवाओं ने मील समाज के लोगों के साथ बैठक की और कब्रिस्तान की जमीन मंदिर के लिए दान में देने का एलान कर दिया. इसके बाद मंदिर का निर्माण काफी बड़े स्तर पर हो गया और मंदिर के पास काफी खाली जमीन भी बच गई. मुस्लिम समाज के लोगों ने मंदिर के लिए जमीन दान में दे कर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश की है.

Temple in the cemetery at Sikar,  Temple in cemetery
सीकर में कब्रिस्तान पर मंदिर

कब्र भी बनी हुई थी इस जमीन में

मुस्लिम समाज ने मंदिर के लिए जो जमीन दान में दी. वहां उनका पुराना कब्रिस्तान था और इस जमीन में कई कब्र बनी हुई थी. इसके बाद भी समाज ने जमीन को दान में दे दिया. हिंदू समाज के लोगों ने पुरानी कब्र को ऊपर से समतल कर उसके ऊपर मिट्टी डलवा कर उसे मंदिर के काम में ले लिया. जबकि ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि कब्रिस्तान की जमीन पर कोई दूसरा काम कर लिया जाए.

Temple in the cemetery at Sikar,  Temple in cemetery
सद्भावना स्थल

सैकड़ों वर्ष पुराना था कब्रिस्तान

बता दें कि मंदिर के चारों तरफ जो कब्रिस्तान था, वह सैकड़ों वर्ष पुराना था और केवल थोड़ी सी जगह मंदिर के लिए छोड़ी गई थी. काफी सालों से गांव में दूसरा कब्रिस्तान बन गया, लेकिन इस कब्रिस्तान में कब्र बनी होने की वजह से यहां कोई दूसरा काम नहीं हुआ. वहीं, मंदिर को दान दी गई जमीन पंचायत के खाते में चढ़ा दी गई है, जिससे कि यह जमीन भी अब सरकारी हो गई है. मंदिर के बाहर एक शिलालेख भी लगाया गया है और उस पर उसे 'सद्भावना' स्थल का नाम दिया गया है.

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