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रसूख के आगे बेबस सीकर पुलिस: पहले मामले में एफआर लगाई, कोर्ट ने लताड़ा तो कहा आरोपी हाथ नहीं लग रहा - Sikar Police

रसूखदार के आगे पुलिस किस कदर बेबस हो जाती है इसका उदाहरण सीकर के एक हाईप्रोफाइल मामले में देखने को मिला है.

रसूख़ के आगे बेबस सीकर पुलिस: पहले मामले में एफआर लगाई
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Published : Jun 15, 2019, 3:35 PM IST

सीकर. मामला एक बड़े मंदिर के संस्थापक से जुड़ा होने के कारण पुलिस ने पहले तो इसे झूठा ही मान लिया और कोर्ट में एफआर पेश कर दी. फिर जब कोर्ट ने पुलिस को लताड़ लगाई और कहा कि मामले में सही जांच नहीं हुई है, तो पुलिस ने मामले में फिर से जांच की और हाईप्रोफाइल व्यक्ति को आरोपी मान लिया. लेकिन अब पुलिस उसे फरार बता रही है और कोर्ट में पेश रिपोर्ट में कहा है कि आरोपी हाथ नहीं लग रहा है हाथ लगते ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

जानकारी के मुताबिक सीकर जिले के दो जांटी बालाजी मंदिर के संस्थापक प्रभु दयाल बोचिवाल के खिलाफ महेश वर्मा ने 2017 में फर्जी तरीके से प्लॉट बेचकर धोखाधड़ी करने का मुकदमा दर्ज करवाया था. मामले में पहले जांच अधिकारी ने आईजी और एडीजी तक का दखल हुआ और आखिर में पुलिस ने इस मामले में कोर्ट में एफआर पेश कर दी. लेकिन पीड़ित व्यक्ति ने हार नहीं मानी और कोर्ट में फिर से परिवाद दायर किया. कोर्ट ने माना कि पुलिस ने सही जांच नहीं की है इसलिए कोर्ट ने सीकर एसपी को आदेश दिए कि मामले में डीएसपी लेवल के अधिकारी से दोबारा जांच करवाई जाए.

रसूख़ के आगे बेबस सीकर पुलिस: पहले मामले में एफआर लगाई,

इसके बाद फिर से तीन डीएसपी तक फाइल घूमी. जब पुलिस की जांच पूरी नहीं हुई तो कोर्ट ने फिर से पुलिस को लताड़ लगाई और मामले की प्रगति रिपोर्ट मांगी. अब पुलिस ने कोर्ट में प्रगति रिपोर्ट पेश करते हुए कहा है कि आरोपी प्रभु दयाल बोचिवाल पर जुर्म प्रमाणित मान लिए गए हैं लेकिन वह हाथ नहीं लग रहा है उसकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं. अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर एक ही फाइल में पुलिस का इतना दोहरा चरित्र कैसे सामने आया. रसूखदार के चलते एक ही मामले में पुलिस के कई अधिकारियों ने जांच की एफआर लगा दी. जब कोर्ट ने लताड़ लगाई तो पुलिस ने मामले में जुर्म प्रमाणित मान लिया लेकिन अभी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है.

सीकर. मामला एक बड़े मंदिर के संस्थापक से जुड़ा होने के कारण पुलिस ने पहले तो इसे झूठा ही मान लिया और कोर्ट में एफआर पेश कर दी. फिर जब कोर्ट ने पुलिस को लताड़ लगाई और कहा कि मामले में सही जांच नहीं हुई है, तो पुलिस ने मामले में फिर से जांच की और हाईप्रोफाइल व्यक्ति को आरोपी मान लिया. लेकिन अब पुलिस उसे फरार बता रही है और कोर्ट में पेश रिपोर्ट में कहा है कि आरोपी हाथ नहीं लग रहा है हाथ लगते ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

जानकारी के मुताबिक सीकर जिले के दो जांटी बालाजी मंदिर के संस्थापक प्रभु दयाल बोचिवाल के खिलाफ महेश वर्मा ने 2017 में फर्जी तरीके से प्लॉट बेचकर धोखाधड़ी करने का मुकदमा दर्ज करवाया था. मामले में पहले जांच अधिकारी ने आईजी और एडीजी तक का दखल हुआ और आखिर में पुलिस ने इस मामले में कोर्ट में एफआर पेश कर दी. लेकिन पीड़ित व्यक्ति ने हार नहीं मानी और कोर्ट में फिर से परिवाद दायर किया. कोर्ट ने माना कि पुलिस ने सही जांच नहीं की है इसलिए कोर्ट ने सीकर एसपी को आदेश दिए कि मामले में डीएसपी लेवल के अधिकारी से दोबारा जांच करवाई जाए.

रसूख़ के आगे बेबस सीकर पुलिस: पहले मामले में एफआर लगाई,

इसके बाद फिर से तीन डीएसपी तक फाइल घूमी. जब पुलिस की जांच पूरी नहीं हुई तो कोर्ट ने फिर से पुलिस को लताड़ लगाई और मामले की प्रगति रिपोर्ट मांगी. अब पुलिस ने कोर्ट में प्रगति रिपोर्ट पेश करते हुए कहा है कि आरोपी प्रभु दयाल बोचिवाल पर जुर्म प्रमाणित मान लिए गए हैं लेकिन वह हाथ नहीं लग रहा है उसकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं. अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर एक ही फाइल में पुलिस का इतना दोहरा चरित्र कैसे सामने आया. रसूखदार के चलते एक ही मामले में पुलिस के कई अधिकारियों ने जांच की एफआर लगा दी. जब कोर्ट ने लताड़ लगाई तो पुलिस ने मामले में जुर्म प्रमाणित मान लिया लेकिन अभी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है.

Intro:सीकर
रसूखदार के आगे पुलिस किस कदर बेबस हो जाती है इसका उदाहरण सीकर के एक हाईप्रोफाइल मामले में देखने को मिला है। मामला एक बड़े मंदिर के संस्थापक से जुड़ा होने के कारण पुलिस ने पहले तो इसे झूठा ही मान लिया और कोर्ट में एफआर पेश कर दी फिर जब कोर्ट ने पुलिस को लताड़ लगाई और कहा कि मामले में सही जांच नहीं हुई है। तो पुलिस ने मामले में फिर से जांच की और हाईप्रोफाइल व्यक्ति को आरोपी मान लिया लेकिन अब पुलिस उसे फरार बता रही है और कोर्ट में पेश रिपोर्ट में कहा है कि आरोपी हाथ नहीं लग रहा है हाथ लगते ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।


Body:जानकारी के मुताबिक सीकर जिले के दो जांटी बालाजी मंदिर के संस्थापक प्रभु दयाल बोचिवाल के खिलाफ महेश वर्मा ने 2017 में फर्जी तरीके से प्लॉट बेचकर धोखाधड़ी करने का मुकदमा दर्ज करवाया था। मामले में पहले जांच अधिकारी ने आईजी और एडीजी तक का दखल हुआ और आखिर में पुलिस ने इस मामले में कोर्ट में एफआर पेश कर दी। लेकिन पीड़ित व्यक्ति ने हार नहीं मानी और कोर्ट में फिर से परिवाद दायर किया। कोर्ट ने माना कि पुलिस ने सही जांच नहीं की है इसलिए कोर्ट ने सीकर एसपी को आदेश दिए कि मामले में डीएसपी लेवल के अधिकारी से दुबारा जांच करवाई जाये। इसके बाद फिर से तीन डीएसपी तक फाइल घूमी। जब पुलिस की जांच पूरी नहीं हुई तो कोर्ट ने फिर से पुलिस को लताड़ लगाई और मामले की प्रगति रिपोर्ट मांगी। अब पुलिस ने कोर्ट में प्रगति रिपोर्ट पेश करते हुए कहा है कि आरोपी प्रभु दयाल बोचिवाल पर जुर्म प्रमाणित मान लिए गए हैं लेकिन वह हाथ नहीं लग रहा है उसकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर एक ही फाइल में पुलिस का इतना दोहरा चरित्र कैसे सामने आया।


Conclusion:रसूखदार के चलते एक ही मामले में पुलिस के कई अधिकारियों ने जांच की एफआर लगा दी। जब कोर्ट ने लताड़ लगाई तो पुलिस ने मामले में जुर्म प्रमाणित मान लिया लेकिन अभी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है।
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