सीकर. कोरोना वायरस का खतरा पूरी दुनिया पर लगातार बना हुआ है. लाखों लोग इससे जंग जीतकर ठीक हो चुके हैं तो लाखों लोग आज भी संक्रमित हैं. दूसरी तरफ कोरोना और कोविड सेंटर को लेकर आमजन में भ्रांतिया हैं. कोरोना के इलाज से लेकर कोविड सेंटर के उपचार के बारे में बता रहे हैं सीकर के बहादुर कोरोना फाइटर.
सीकर जिले की बात करें तो अब तक यहां 4108 कोरोना केस हैं. इनमें से करीब 3300 लोग अब तक इस महामारी को हराकर स्वस्थ हो चुके हैं. जिन्होंने इससे जंग जीतकर इसको हराया, उन सबकी अपनी-अपनी कहानियां हैं. जिन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने कोरोना को मात दी. इस दौरान उन्हें अपने परिवार से दूर रहना पड़ा.
यह भी पढ़ें. Special: कोरोना ने लगाई भ्रमण शील शल्य चिकित्सा इकाई के पहिए पर रोक
कोरोना से रिकवर होने के बाद उन्हें काफी दिनों तक घर से और परिवार से दूरी बनानी पड़ी, लेकिन उन्होंने कोरोना को हराकर जीत हासिल कर ली. साथ ही इन लोगों ने मिसाल कायम की कि साहस, पॉजिटिव सोच से किसी भी बीमारी को हराया जा सकता है.
कोविड सेंटर की व्यवस्थाओं में कोई कमी नहीं
सीकर जिले में ठीक हुए मरीजों से जब बात की गई तो उन्होंने यहां के कोविड अस्पताल की व्यवस्थाओं को लेकर काफी सराहना की. लोगों का कहना है कि वहां उन्हें सभी सुविधाएं दी गई और समय-समय पर जांच भी की गई. खाने-पीने की भी कोई समस्या नहीं थी.
यह भी पढ़ें. Special: जिले में तेजी से बढ़ रहा कोरोना का ग्राफ, 25 दिन में दोगुने हुए मरीज
सीकर प्रदेश का पहला जिला है, जहां सबसे पहले डेडिकेटेड कोविड अस्पताल बनाया गया था. यहां के सांवली में 300 बेड का अस्पताल बनाया गया और आज भी पॉजिटिव मरीजों को यहीं पर रखा जा रहा है.
कोरोना से जंग जीतने वालों की कहानी
- सीकर शहर के रहने वाले विकास पारीक का कहना है कि उन्होंने पूरी सावधानी रखी थी और इसके बावजूद भी उनके परिवार के तीन लोग कोरोना वायरस की चपेट में आ गए थे. उन भी से परिवार ने पूरी दूरी बनाई रखी. ठीक होने के बाद भी परिवार के इन सदस्यों को दूर रखा गया और इसी वजह से उनके परिवार के अन्य लोग बच पाए.
- सीकर के योगेश माउका का कहना है कि वे खुद कोरोना की चपेट में आए थे. उन्हें डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. ठीक होने के बाद भी उन्हें परिवार से दूर रहना पड़ा और अन्य लोगों को भी इस नियम का पालन करना चाहिए.
- सीकर की पुष्पा पारीक का कहना है कि उनका बेटा कोरोना की चपेट में आ गया था. बेटे से दूरी बनाए रखना बहुत मुश्किल था लेकिन फिर भी घर में उससे लगातार दूरी रखी. उनके बेटे अवकाश पारीक ने भी बताया कि परिजनों से घर में दूर रहना बहुत मुश्किल था लेकिन परिवार को बचाने के लिए रहना पड़ा.
- सीकर की बुजुर्ग करमा देवी भी कोरोना की चपेट में आ गई थी. उनका कहना है कि ठीक होने के बाद 15 का होम क्वारेंटाइन का समय पूरा होने के बाद भी परिवार के सदस्य दूरी बनाकर रखा है.
सीकर के इन सभी बहादूर कोरोना फाइटर्स की कहना है कि कोरोना गाइडलाइन की पूरी तरीके से पालना कर कोरोना को हराया जा सकता है. वहीं उन्होंने यह भी साफ तौर पर कहा कि कोविड सेंटर में चिकित्सा सुविधाएं अच्छी हैं. वहां पर जाने से न हिचके. इन कोरोना फाइटर को सुनकर यही लगा कि कोरोना से पॉजिटिव मन, समय पर इलाज से उन्हें हराया जा सकता है.