खंडेला (सीकर): राजधानी जयपुर के जोबनेर में तैनात थानाधिकारी हितेश शर्मा के पिता सुखदेव शर्मा ने सूदखोरों से परेशान होकर जहर खा लिया. जिसके बाद थानाधिकारी के पिता को जयपुर रेफर किया गया. लेकिन रास्ते में उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई. ऐसे में उन्हें चौमूं के बराल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. जहां उन्होंने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया. जिसके बाद पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवा कर शव परिजनों को सुपुर्द कर दिया. मृतक सुखदेव शर्मा खंडेला थाना इलाके के होद गांव में रहते थे. मृतक के बेटे थानाधिकारी हितेश शर्मा ने पिता की मौत के बाद थाने में मुकदमा दर्ज करवाया है. जिसमें उन्होंने सुसाइड नोट का भी जिक्र किया है.
जानकारी के मुताबिक जोबनेर थानाधिकारी हितेश शर्मा निवासी होद ने मामला दर्ज करवाया कि उनके पिता सुखदेव (45) ने सूदखोरों से परेशान होकर जहर खाकर आत्महत्या की है. थानाधिकारी ने रिपोर्ट में बताया है कि बंशीधर मंगावा, विजय मंगावा, उनके परिजन और अन्य लोग उनके पिता को रुपयों के लिए परेशान कर रहे थे. इतना ही नहीं उन्होंने जान से मारने की धमकी भी दी थी. इसके बाद सभी ने मिलकर कर्ज के रुपयों पर ब्याज पर ब्याज लगाकर कर्जा बढ़ाया और उनके पिता पर कर्ज चुकाने का दबाव बनाने लगे. इस बात से परेशान होकर उनके पिता ने आत्महत्या कर ली. इन सारी बातों का खुलासा सुसाइड नोट से हुआ है. फिलहाल शव का पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया है. पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है. मृतक ने श्रीमाधोपुर मंडी में अनाज की दुकान खोल रखी थी. जो किसानों से अनाज खरीदने और बेचने का काम करते थे.
दुकान पर आकर धमकाया था सूदखाेराें ने
सुखदेव और उसकी पत्नी जयपुर अपने बेटे हितेश के पास गए हुए थे. सुखदेव दाे दिन पहले ही जयपुर से आये थे. वह श्रीमाधाेपुर मंडी स्थित अपनी अनाज की दुकान पर गए थे. यहां सूदखाेर आए और उन्हाेंने सुखदेव के साथ गाली-गलौज की. दुकान से घर जाने के बाद भी सूदखाेर उसकाे लगातार फाेन कर लाखाें रुपए चुकता करने के लिए डरा-धमका रहे थे. जिससे परेशान होकर सुखदेव ने जहर खा लिया.
पढ़ें: धौलपुरः महिला के साथ छेड़छाड़ और मारपीट का मामला, 6 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
जीने की इच्छा नहीं, दबाव नहीं झेल पाया
मृतक ने सुसाइड नोट में लिखा 'कर्जदारों से बहुत दुखी हूं. सभी ने ब्याज पर ब्याज लगाकर इतने रुपए कर दिए कि मैं चुकाने में असमर्थ था. मेरे पास इसके अलावा कोई उपाय नहीं था. विशेषकर बंशीधर मंगवा और इसके परिवार के लोगों के दवाब से मैं टूट गया. मेरी जीने की इच्छा थी लेकिन मैं दबाव का सामना नहीं कर सका, इसलिए मैं आत्महत्या कर रहा हूं.'