सीकर. कोरोना के कारण हर व्यापार पर ग्रहण लगा हुआ है. लॉकडाउन के बाद भी शराब व्यापार पर इसका असर देखने को मिल रहा है. हालात ये हैं कि सीकर में महंगी शराब के कई ब्रांड की बिक्री 70 प्रतिशत तक गिर गई है.
लॉकडाउन के बाद भी मार्केट में चल रही मंदी की मार हर जगह देखने को मिल रही है. बाजारों से रौनक गायब है. वहीं, शराब की दुकानों पर भी इसका बहुत असर देखने को मिल रहा है. लॉकडाउन के बाद सरकार ने अर्थव्यवस्था का हवाला देते हुए शराब ठेकों को खोलने की मंजूरी दी थी. जिसके बाद शराब ठेकों पर जबरदस्त भीड़ उमड़ी. कई जगह पुलिस बुलाकर शराब ठेके खुलवाए गए थे. उस वक्त लगने लगा कि हर जगह मंदी है, लेकिन शराब कारोबार में मंदी नहीं होगी. हालांकि, शराब कारोबार में बाकी सेक्टर के जितनी मंदी तो नहीं है, लेकिन लोगों के शाही ठाठ-बाट पूरी तरह से बंद हो गए.
महंगी शराब लोगों ने पीना किया बंद...
पैसे की कमी के चलते लोगों ने महंगी शराब की बजाय सस्ती शराब से काम चलाना शुरू कर दिया है. हालात यह है कि महंगी शराब के कई ब्रांड की बिक्री तो 70 फीसदी तक घट गई है.
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सीकर जिले की बात करें तो जून और जुलाई की 2 महीनों में पिछले साल के जून-जुलाई के मुताबिक महंगी शराब की बिक्री काफी घटी है. इसका सीधा सा असर कोरोना को बताया जा रहा है.
हालांकि, देसी शराब और सस्ती शराब में ज्यादा गिरावट नहीं हुई है. देसी शराब की बिक्री तो बढ़ी है. जबकि सस्ती अंग्रेजी शराब में भी कुछ गिरावट हुई है, लेकिन महंगी शराब की बिक्री बहुत ज्यादा घटी है.
बीयर की बिक्री भी रह गई आधी...
सीकर जिले की बात करें तो मई 2019 में 1 लाख 20 हजार 423 कार्टन बीयर की बिक्री हुई थी. जबकि इस बार मई के महीने में महज 47 हजार कार्टन की बिक्री हुई. पिछले साल जून के महीने में 1 लाख 14 हजार 579 कार्टन बीयर की बिक्री हुई थी, जो इस बार 77 हजार कार्टन पर रुक गई. पिछले साल जुलाई के महीने में 71 हजार 362 कार्टन बीयर की बिक्री थी. इस बार महज 47 हजार कार्टन बिकी है.
यह है महंगी शराब का गणित...
सीकर जिले में सबसे ज्यादा बिकने वाली महंगी शराब की बात करें तो टॉप 3 ब्रांड में ही 50 फीसदी तक की गिरावट आई है. इसके अलावा सबसे महंगे ब्रांड में 70 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है. पिछले साल जिस ब्रांड की 1800 बल्क लिटर की बिक्री हुई थी, वह इस बार महज 600 बल्क लीटर में रह गई है.
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यह इस साल के मई, जून और जुलाई 3 महीने के आंकड़े हैं और इन 3 महीने में शराब की दुकानें खुली रही थी. हालांकि, सस्ती अंग्रेजी शराब की बिक्री घटी है लेकिन सबसे सस्ते ब्रांड की बात करें तो महज 10 से 15 फीसदी की गिरावट हुई है, जबकि देसी शराब की बिक्री बढ़ी है.