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सीकरः बर्बादी के कगार पर रेडीमेड कपड़ा व्यापार, शादियों और ईद का सीजन निकला

सीकर शहर में 450 दुकानें रेडीमेड कपड़े की है. होली के बाद जब परीक्षाओं का दौर समाप्त होता है तो शादियों का सीजन शुरू होता है और व्यापारी उससे पहले ही कपड़े का स्टॉक कर लेते हैं, जिससे कि गर्मी के सीजन में अच्छी कमाई की जा सके. लेकिन इस बार शादियां शुरू होने से पहले ही लॉकडाउन हो गया और उसके बाद आज तक कपड़े की दुकानें बंद पड़ी है.

सीकर न्यूज, कपड़ा व्यापार, sikarn news, textile business
बर्बादी के कगार पर रेडीमेड कपड़ा व्यापार
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Published : May 17, 2020, 4:15 PM IST

सीकर. कोरोना वायरस की वजह से चल रहे लॉकडाउन के बीच जहां सभी धंधे ठप है, वहीं रेडीमेड कपड़ा व्यापार तो लगभग बर्बाद होने की कगार पर है. सीकर शहर की बात की जाए तो कपड़े की बिक्री का जो सीजन था, वह पूरी तरह से निकल चुका है और अब दिवाली तक अच्छी बिक्री की उम्मीद नहीं है.

बर्बादी के कगार पर रेडीमेड कपड़ा व्यापार

क्योंकि, आमतौर पर माना जाता है कि 3 महीने बाद व्यापारियों के पास नई डिजाइन का कपड़ा आता है. शादियों का सीजन लगभग पिछले 2 महीने में बीत चुका है. अब जून के महीने में बहुत कम शादियां होनी है और जुलाई से तो पूरी तरह रोक ही लग जाएगी. इसके अलावा जिले में मुस्लिम समाज की अच्छी तादाद होने की वजह से ईद की सीजन भी अच्छी रहती है, लेकिन इस बार वह भी लगभग निकल चुकी है.

बता दें, कि सीकर शहर में 450 दुकानें रेडीमेड कपड़े की है. होली के बाद जब परीक्षाओं का दौर समाप्त होता है तो शादियों का सीजन शुरू होता है और व्यापारी उससे पहले ही कपड़े का स्टॉक कर लेते हैं, जिससे कि गर्मी के सीजन में अच्छी कमाई की जा सके. लेकिन इस बार शादियां शुरू होने से पहले ही लॉकडाउन हो गया और उसके बाद आज तक कपड़े की दुकानें बंद पड़ी है. इसी वजह से इन व्यापारियों को करोड़ों रुपए का नुकसान तो हो ही रहा है साथ ही इनको कपड़े की डिजाइन पुरानी होने का डर भी सता रहा है. क्योंकि बरसात का सीजन शुरू होने के बाद दिवाली तक शादियां होनी है और ना कोई बड़ा त्यौहार आना है.

गर्मी के मौसम में ज्यादा होती है शादियां...

जिले के ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में गर्मी के मौसम में ही शादियां ज्यादा होती है, क्योंकि लोग खेती पर निर्भर है इसलिए इसी समय में ज्यादातर शादियां होती है. इस बार लॉकडाउन की वजह से शादियों का सीजन लगभग निकल चुका है. ईद के त्यौहार में महज 5 दिन बचे हैं और इस बार ईद का सीजन लगभग निकल चुका है. क्योंकि, अगर बाजार खुलते भी है तो व्यापार पटरी पर नहीं आएगा. इसके साथ-साथ मुस्लिम समाज इस बार लगातार लोगों से आह्वान कर रहा है कि ईद पर खरीदारी नहीं करें.

पढ़ेंः EXCLUSIVE: सस्ते के कारण मानव शरीर से सौदा, सैनिटाइजेशन में इस्तेमाल होगा हाइड्रोजन पेरॉक्साइड


स्टाफ को देनी पड़ रही है तनख्वाह, बाजार पूरी तरह से बंद...

कपड़े की सभी दुकानों में व्यापारी के अलावा दो या तीन लोग काम करते हैं. उन सब को भी व्यापारियों को घर बैठे तनख्वाह देनी पड़ रही है. जब की दुकानें पूरी तरह से बंद है. व्यापारियों का कहना है, कि जब मिठाई की दुकानें और अन्य दुकानें खुल रही है तो उन्हें भी अनुमति दी जाए. वह भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए दुकान खोलने के लिए तैयार है.

सीकर. कोरोना वायरस की वजह से चल रहे लॉकडाउन के बीच जहां सभी धंधे ठप है, वहीं रेडीमेड कपड़ा व्यापार तो लगभग बर्बाद होने की कगार पर है. सीकर शहर की बात की जाए तो कपड़े की बिक्री का जो सीजन था, वह पूरी तरह से निकल चुका है और अब दिवाली तक अच्छी बिक्री की उम्मीद नहीं है.

बर्बादी के कगार पर रेडीमेड कपड़ा व्यापार

क्योंकि, आमतौर पर माना जाता है कि 3 महीने बाद व्यापारियों के पास नई डिजाइन का कपड़ा आता है. शादियों का सीजन लगभग पिछले 2 महीने में बीत चुका है. अब जून के महीने में बहुत कम शादियां होनी है और जुलाई से तो पूरी तरह रोक ही लग जाएगी. इसके अलावा जिले में मुस्लिम समाज की अच्छी तादाद होने की वजह से ईद की सीजन भी अच्छी रहती है, लेकिन इस बार वह भी लगभग निकल चुकी है.

बता दें, कि सीकर शहर में 450 दुकानें रेडीमेड कपड़े की है. होली के बाद जब परीक्षाओं का दौर समाप्त होता है तो शादियों का सीजन शुरू होता है और व्यापारी उससे पहले ही कपड़े का स्टॉक कर लेते हैं, जिससे कि गर्मी के सीजन में अच्छी कमाई की जा सके. लेकिन इस बार शादियां शुरू होने से पहले ही लॉकडाउन हो गया और उसके बाद आज तक कपड़े की दुकानें बंद पड़ी है. इसी वजह से इन व्यापारियों को करोड़ों रुपए का नुकसान तो हो ही रहा है साथ ही इनको कपड़े की डिजाइन पुरानी होने का डर भी सता रहा है. क्योंकि बरसात का सीजन शुरू होने के बाद दिवाली तक शादियां होनी है और ना कोई बड़ा त्यौहार आना है.

गर्मी के मौसम में ज्यादा होती है शादियां...

जिले के ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में गर्मी के मौसम में ही शादियां ज्यादा होती है, क्योंकि लोग खेती पर निर्भर है इसलिए इसी समय में ज्यादातर शादियां होती है. इस बार लॉकडाउन की वजह से शादियों का सीजन लगभग निकल चुका है. ईद के त्यौहार में महज 5 दिन बचे हैं और इस बार ईद का सीजन लगभग निकल चुका है. क्योंकि, अगर बाजार खुलते भी है तो व्यापार पटरी पर नहीं आएगा. इसके साथ-साथ मुस्लिम समाज इस बार लगातार लोगों से आह्वान कर रहा है कि ईद पर खरीदारी नहीं करें.

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स्टाफ को देनी पड़ रही है तनख्वाह, बाजार पूरी तरह से बंद...

कपड़े की सभी दुकानों में व्यापारी के अलावा दो या तीन लोग काम करते हैं. उन सब को भी व्यापारियों को घर बैठे तनख्वाह देनी पड़ रही है. जब की दुकानें पूरी तरह से बंद है. व्यापारियों का कहना है, कि जब मिठाई की दुकानें और अन्य दुकानें खुल रही है तो उन्हें भी अनुमति दी जाए. वह भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए दुकान खोलने के लिए तैयार है.

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