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लोकसभा चुनाव 2019: शेखावाटी की इस सीट पर बदले समीकरण, आसान नहीं भाजपा की राह

2014 के चुनाव में भाजपा ने यह सीट बड़े अंतर से जीती थी. लेकिन इस बार स्थिति पूरी तरह से बदली हुई है.

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Published : Mar 28, 2019, 7:12 PM IST

प्रतीकात्मक फोटो

सीकर. शेखावाटी की यह लोकसभा सीट फिलहाल भाजपा के कब्जे में है लेकिन इस बार यहां भाजपा की राह आसान नहीं होगी क्योंकि इस बार के समीकरण पिछली बार से बिल्कुल उल्टे हैं. पिछला चुनाव यहां भाजपा ने दो लाख 39 हजार वोटों से जीता था लेकिन इस बार के हालात पिछली बार से काफी बदल चुके हैं. पिछले चुनाव के वक्त जहां प्रदेश में भाजपा की सरकार थी तो सीकर के अधिकांश विधानसभाओं पर भी भाजपा का कब्जा था.

8 विधानसभा सीट है सीकर लोकसभा में
सीकर लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिनमें सीकर जिले की नीमकाथाना, खंडेला, श्रीमाधोपुर, दातारामगढ़, सीकर, धोद और लक्ष्मणगढ़ विधानसभा की है तो वही जयपुर जिले की चोमू विधानसभा सीट सीकर लोकसभा में आती है.

वीडियो में देखें किस तरह बदले हैं सीकर लोकसभा के चुनावी समीकरण

इस बार पूरी तरह बदल चुकी है स्थिति
लोकसभा सीट की बात करें तो 2014 के चुनाव में भाजपा ने यह सीट बड़े अंतर से जीती थी. लेकिन इस बार स्थिति पूरी तरह से बदली हुई है. 2013 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा ने 8 सीटों में से 6 सीटों पर कब्जा जमाया था. 2013 में चोमू , नीम का थाना, श्रीमाधोपुर, खंडेला, सीकर, धोद में भाजपा के विधायक थे और केवल लक्ष्मणगढ़ और दातारामगढ़ सीट कांग्रेस के पास थी. जबकि इस बार केवल चोमू सीट भाजपा के पास है. 6 सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं और खंडेला से निर्दलीय चुनाव जीतने वाले महादेव सिंह खंडेला हैं जिन्होंने हाल ही में कांग्रेस को समर्थन दे दिया है.

जिसके ज्यादा विधायक उसी के खाते में जाती है सीट
सीकर लोकसभा सीट का इतिहास रहा है कि जिस पार्टी के ज्यादा विधायक होते हैं यह सीट उसी के खाते में जाती है. 2003 के विधानसभा चुनाव में सीकर लोकसभा क्षेत्र में भाजपा ने 8 में 5 सीटें हासिल की थी तब 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट से सुभाष महरिया सांसद बने थे. 2009 में बाजी पलट गई थी क्योंकि 2008 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 8 में से 5 सीटें हासिल की थी. उस दौरान कांग्रेस के महादेव सिंह खंडेला सांसद जीते थे. वहीं 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 8 में से 6 सीट हासिल की थी और भाजपा के सुमेधानंद सरस्वती सांसद बने थे. लेकिन इस बार की स्थिति कुछ ऐसी है कि भाजपा केवल एक सीट पर ही है.

यह था 2014 के चुनाव में वोट प्रतिशत
सीकर सीट पर 2014 में भाजपा ने 47.09% वोट हासिल किए थे वहीं कांग्रेस को 24.54% वोट मिले थे. यहां पर माकपा को 5.01% वोट हासिल हुए थे. वहीं आम आदमी पार्टी को एक दशमलव जीरो यानि लगभग 1% वोट हासिल हुए थे.

2014 में इस वजह से मिली थी भाजपा को जीत
पिछले चुनाव में भाजपा को इतनी बड़ी जीत मिलने का सबसे प्रमुख वजह थी मोदी लहर. कांग्रेस का गढ़ रही सीकर की सीट सबसे ज्यादा इस बात पर निर्भर करती है कि किस पार्टी के विधायक ज्यादा है और प्रदेश में सरकार किसकी है. 2004 2009 और 2014 में उसी पार्टी का सांसद बना है जिस पार्टी की प्रदेश में सरकार थी.

अबतक कौन-कौन जीता
1952 नन्द लाल शर्मा राम राज्य परिषद
1957 रामेश्वर टांटिया कांग्रेस
1962 रामेश्वर टांटिया कांग्रेस
1967 गोपाल साबू भारतीय जनसंघ
1971 श्रीकृष्णन मोदी कांग्रेस
1977 जगदीश प्रसाद माथुर जनता पार्टी
1980 कुंभाराम आर्य जनता पार्टी
1984 बलराम जाखड़ कांग्रेस
1989 चौधरी देवी लाल जनता पार्टी
1991 बलराम जाखड़ कांग्रेस
1996 डॉ॰ हरिसिंह कांग्रेस
1998 सुभाष महरिया भाजपा
1999 सुभाष महरिया भाजपा
2004 सुभाष महरिया भाजपा
2009 महादेव सिंह खण्डेला कांग्रेस
2014 स्वामि सुमेधानन्द भाजपा

सीकर. शेखावाटी की यह लोकसभा सीट फिलहाल भाजपा के कब्जे में है लेकिन इस बार यहां भाजपा की राह आसान नहीं होगी क्योंकि इस बार के समीकरण पिछली बार से बिल्कुल उल्टे हैं. पिछला चुनाव यहां भाजपा ने दो लाख 39 हजार वोटों से जीता था लेकिन इस बार के हालात पिछली बार से काफी बदल चुके हैं. पिछले चुनाव के वक्त जहां प्रदेश में भाजपा की सरकार थी तो सीकर के अधिकांश विधानसभाओं पर भी भाजपा का कब्जा था.

8 विधानसभा सीट है सीकर लोकसभा में
सीकर लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिनमें सीकर जिले की नीमकाथाना, खंडेला, श्रीमाधोपुर, दातारामगढ़, सीकर, धोद और लक्ष्मणगढ़ विधानसभा की है तो वही जयपुर जिले की चोमू विधानसभा सीट सीकर लोकसभा में आती है.

वीडियो में देखें किस तरह बदले हैं सीकर लोकसभा के चुनावी समीकरण

इस बार पूरी तरह बदल चुकी है स्थिति
लोकसभा सीट की बात करें तो 2014 के चुनाव में भाजपा ने यह सीट बड़े अंतर से जीती थी. लेकिन इस बार स्थिति पूरी तरह से बदली हुई है. 2013 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा ने 8 सीटों में से 6 सीटों पर कब्जा जमाया था. 2013 में चोमू , नीम का थाना, श्रीमाधोपुर, खंडेला, सीकर, धोद में भाजपा के विधायक थे और केवल लक्ष्मणगढ़ और दातारामगढ़ सीट कांग्रेस के पास थी. जबकि इस बार केवल चोमू सीट भाजपा के पास है. 6 सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं और खंडेला से निर्दलीय चुनाव जीतने वाले महादेव सिंह खंडेला हैं जिन्होंने हाल ही में कांग्रेस को समर्थन दे दिया है.

जिसके ज्यादा विधायक उसी के खाते में जाती है सीट
सीकर लोकसभा सीट का इतिहास रहा है कि जिस पार्टी के ज्यादा विधायक होते हैं यह सीट उसी के खाते में जाती है. 2003 के विधानसभा चुनाव में सीकर लोकसभा क्षेत्र में भाजपा ने 8 में 5 सीटें हासिल की थी तब 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट से सुभाष महरिया सांसद बने थे. 2009 में बाजी पलट गई थी क्योंकि 2008 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 8 में से 5 सीटें हासिल की थी. उस दौरान कांग्रेस के महादेव सिंह खंडेला सांसद जीते थे. वहीं 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 8 में से 6 सीट हासिल की थी और भाजपा के सुमेधानंद सरस्वती सांसद बने थे. लेकिन इस बार की स्थिति कुछ ऐसी है कि भाजपा केवल एक सीट पर ही है.

यह था 2014 के चुनाव में वोट प्रतिशत
सीकर सीट पर 2014 में भाजपा ने 47.09% वोट हासिल किए थे वहीं कांग्रेस को 24.54% वोट मिले थे. यहां पर माकपा को 5.01% वोट हासिल हुए थे. वहीं आम आदमी पार्टी को एक दशमलव जीरो यानि लगभग 1% वोट हासिल हुए थे.

2014 में इस वजह से मिली थी भाजपा को जीत
पिछले चुनाव में भाजपा को इतनी बड़ी जीत मिलने का सबसे प्रमुख वजह थी मोदी लहर. कांग्रेस का गढ़ रही सीकर की सीट सबसे ज्यादा इस बात पर निर्भर करती है कि किस पार्टी के विधायक ज्यादा है और प्रदेश में सरकार किसकी है. 2004 2009 और 2014 में उसी पार्टी का सांसद बना है जिस पार्टी की प्रदेश में सरकार थी.

अबतक कौन-कौन जीता
1952 नन्द लाल शर्मा राम राज्य परिषद
1957 रामेश्वर टांटिया कांग्रेस
1962 रामेश्वर टांटिया कांग्रेस
1967 गोपाल साबू भारतीय जनसंघ
1971 श्रीकृष्णन मोदी कांग्रेस
1977 जगदीश प्रसाद माथुर जनता पार्टी
1980 कुंभाराम आर्य जनता पार्टी
1984 बलराम जाखड़ कांग्रेस
1989 चौधरी देवी लाल जनता पार्टी
1991 बलराम जाखड़ कांग्रेस
1996 डॉ॰ हरिसिंह कांग्रेस
1998 सुभाष महरिया भाजपा
1999 सुभाष महरिया भाजपा
2004 सुभाष महरिया भाजपा
2009 महादेव सिंह खण्डेला कांग्रेस
2014 स्वामि सुमेधानन्द भाजपा

Intro:सीकर लोकसभा सीट फिलहाल भाजपा के कब्जे में है लेकिन इस बार यहां भाजपा की राह आसान नहीं होगी क्योंकि इस बार के समीकरण पिछली बार से बिल्कुल उल्टे हैं। पिछला चुनाव यहां भाजपा ने दो लाख 39 हजार वोटों से जीता था लेकिन इस बार के हालात पिछली बार से काफी बदल चुके हैं। पिछली बार प्रदेश में भाजपा की सरकार थी तो लोकसभा सीट पर ज्यादातर विधायक भी भाजपा के ही थे। जबकि इस बार स्थिति बिल्कुल उल्टी हो चुकी है।


Body:8 विधानसभा सीट है सीकर लोकसभा में
सीकर लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिनमें सीकर जिले की नीमकाथाना, खंडेला, श्रीमाधोपुर, , दातारामगढ़, सीकर, धोद, और लक्ष्मणगढ़ विधानसभा की है तो वही जयपुर जिले की चोमू विधानसभा सीट सीकर लोकसभा में आती है।

इस बार पूरी तरह बदल चुकी है स्थिति
लोकसभा सीट की बात करें तो 2014 के चुनाव में भाजपा ने यह सीट बड़े अंतर से जीती थी लेकिन इस बार स्थिति पूरी तरह से बदली हुई है। 2013 में इन 8 सीटों में से 6 सीटों पर भाजपा का कब्जा था। 2013 में चोमू ,नीम का थाना ,श्रीमाधोपुर, खंडेला सीकर,धोद में भाजपा के विधायक थे, और केवल लक्ष्मणगढ़ और दातारामगढ़ सीट कांग्रेस के पास थी। जबकि इस बार केवल चोमू सीट भाजपा के पास है। 6 सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं और खंडेला से निर्दलीय चुनाव जीतने वाले महादेव सिंह खंडेला कांग्रेस के साथ हैं।

जिसके ज्यादा विधायक उसी के खाते में जाती है सीट
सीकर लोकसभा सीट का इतिहास रहा है कि जिस पार्टी को ज्यादा विधायक होते हैं यह सीट उसी के खाते में जाती है। 2003 के विधानसभा चुनाव में सीकर लोकसभा क्षेत्र में भाजपा ने 8 में 5 सीटें हासिल की थी और 2004 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के सुभाष महरिया सांसद बने थे। 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 8 में से 5 सीटें हासिल की थी तो कांग्रेस के महादेव सिंह खंडेला सांसद बने थे। 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 8 में से 6 सीट हासिल की थी और भाजपा के सुमेधानंद सरस्वती सांसद बने थे।

यह था 2014 के चुनाव में वोट प्रतिशत
सीकर सीट पर 2014 में भाजपा ने 47.09% वोट हासिल किए थे वहीं कांग्रेस को 24.54% वोट मिले थे। यहां पर माकपा को 5.01% वोट हासिल हुए थे। आम आदमी पार्टी को एक दशमलव जीरो 1% वोट हासिल हुई थे।

2014 में इस वजह से मिली थी भाजपा को जीत
पिछले चुनाव में भाजपा को इतनी बड़ी जीत मिलने का सबसे बड़ा प्रमुख मुद्दा मोदी लहर थी। इसके अलावा सीकर की सीट सबसे ज्यादा इस बात पर निर्भर करती है कि किस पार्टी के विधायक ज्यादा है और प्रदेश में सरकार किसकी है। 2004 2009 और 2014 में उसी पार्टी का सांसद बना है जिस पार्टी के प्रदेश में सरकार थी।


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