दांतारामगढ़ (सीकर). एक दिसंबर को दांतारामगढ़ पंचायत समिति व नवगठित पलसाना पंचायत समिति सदस्यों और जिला परिषद के चुनाव दो दिन बाद होने हैं. ऐसे में चुनावों को लेकर गांवों की चौपालों पर चुनावों की रंगत पूरे परवान पर है. इस बार चुनावों के नतीजे चौंकाने वाले आएंगे और सबका समीकरण बदल कर रख देंगे, जबकि दोनों तहसीलों में दोनों पार्टियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई हैं.
यहां दो बड़े दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है जिनमें दांतारामगढ़ से सात बार विधायक रहे और कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष वरिष्ठ नेता चौधरी नारायण सिंह हालांकि चुनाव प्रचार से स्वास्थ्य के चलते दूर हैं, पर सिक्का आज भी उनके नाम का ही चलता हैं. अब दांतारामगढ़ की बाग ढ़ोर उनके पुत्र विधायक विरेन्द्र सिंह ने सम्भाल ली है.
अब देखना होगा कि विधायक रहते अपनी पिता की विरासत को बचाने में कहा तक कामयाब रहते है. वहीं पूर्व नीमकाथाना विधायक और पूर्व सैनिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष प्रेंम सिंह बाजौर इस बार पंचायत समिति व जिला परिषद सदस्यों की चुनावी रण की बाग ढ़ोर अपने हाथों में सम्भालते हुए दावा किया है कि जिला प्रमुख और प्रधान दोनों पर कब्जा भाजपा का होगा. अब चुनाव प्रचार भी आखरी चरण में है कांग्रेस, भाजपा और अन्य पार्टियों गांव-गांव नुकड़ सभाए कर अपने अपने पार्टी के पक्ष में वोटिंग कराने के लिए पूरी ताकत झोक दी है, जबकि पार्टियां अपनी अपनी जीत के दावें कर रही हैं.
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इस चुनावी दंगल में माकपा,बहुजन समाज पार्टी, निर्दलीय,भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी अपने भाग्य आजमा रहे है, लेकिन इस चुनावी रण में मुकाबला तो दोनों ही पार्टियों के कांग्रेस और भाजपा के बीच रहेगा. अब देखना यह हैं कि भाजपा दांतारामगढ़ में अपना कब्जा बरकरार रखने में कामयाब रहती हैं या कांग्रेस सत्ता के बल पर अपना प्रधान बनाने में सफल होती हैं तो पांच साल बाद अपनी खोई प्रतिष्ठा वापस पाने में सफल होगी.