नीमकाथाना (सीकर). सीकर के नीमकाथाना में करीब 19 साल पहले हुए जेल प्रहरी रामशरण हत्याकांड में एडीजे कोर्ट ने एक और आरोपी को उम्रकैद और जुर्माने की सजा सुनाई हैं. अब तक मामले में तीन आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा मिल चुकी है.
नीमकाथाना अपर जिला और सेशन न्यायाधीश गोविंद बल्लभ पंत ने जेल प्रहरी रामशरण की हत्या के मामले में आरोपी गोपालराम बावरिया को दोषी मानते हुए उम्रकैद और अर्थदंड की सजा सुनाई है. इस मामले में आरोपी नारूराम उर्फ नाहरिया और अर्जुनलाल की दौराने विचारण मौत होने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई को ड्रोप किया गया था.
वहीं, दो को बाल अपचारी होने के कारण प्रकरण से पृथक किया जा चुका है. कोर्ट ने आरोपी प्रभाती उर्फ प्रभो, गुलाबीदेवी, शंकरलाल मीणा, खेमचंद, बीरबल सूरिया उर्फ श्योनारायण का निर्णय 12 जुलाई 2018 को सुनाया था. जिसमें आरोपी गोपालराम मफरूर था. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया.
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एपीपी एमडी मीणा ने कहा कि फैसले में आरोपी गोपालराम बावरिया को धारा 302 में दोषसिद्ध मानते हुए आजीवन कारावास और पांच हजार अर्थदंड की सजा सुनाई है. आईपीसी की धारा 148 में दोषी मानते हुए 3 वर्ष साधारण कारावास और तीन हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया है. साथ ही धारा 353 में दो वर्ष का साधारण कारावास और दो हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया है. धारा 225/120बी में दो वर्ष साधारण कारावास और दो हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है. राजस्थान पीड़ित प्रतिकर स्कीम 2011 के तहत मृतक रामशरण के वारिसान को समुचित प्रतिकर राशि दिलाए जाने की अनुशंषा की गई.
क्या था मामला
सब जेल नीमकाथाना से 10 मार्च 2000 को जेल प्रहरी रामशरण और अशोक कुमार सांवलपुरा शेखावतान निवासी बंदी बीरबल पुत्र नाहरिया मीणा को एसीजेएम नीमकाथाना कोर्ट में पेशी पर ला रहे थे. कोर्ट के सामने एक जीप में सवार 8-10 लोग और महिलाएं आई. जिनके हाथों में बंदूक और तलवारें थी. पास आते ही आरोपियों ने फायरिंग कर दी. जेल प्रहरी रामशरण की जांध पर गोली लगी थी.
वहीं, एक आरोपी ने तलवार से वार कर दिया. खून से लथपथ रामशरण नीचे गिर गया. आरोपी बंदी बीरबल को जीप में बैठाकर फरार हो गए. जेल प्रहरी अशोक ने कोर्ट में सीओ और एसडीएम को मामले की सूचना दी. दोनों अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर घायल जेल प्रहरी रामशरण को अस्पताल पहुंचाया था. जिसकी बाद में मौत हो गई थी.