श्रीमाधोपुर (सीकर). जिले के श्रीमाधोपुर के स्वतंत्रता सेनानी बालूराम सैनी का रविवार को निधन हो गया. वह पिछले एक सप्ताह से अस्वस्थ चल रहे थे. बालूराम सैनी का सोमवार को दोपहर 1 बजे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा.
स्वतंत्रता सेनानी बालूराम सैनी का जीवन परिचय
स्वतंत्रता सेनानी बालूराम सैनी का जन्म 12 जनवरी 1922 को श्रीमाधोपुर के पुष्पनगर में हुआ था. इनके पिता का नाम भीखाराम सैनी था. प्रारंभिक शिक्षा के दौरान ही ये गांधीजी के विचारों से काफी प्रभावित हुए थे, जिससे इन्होंने बचपन से ही प्रजा मंडल और चरखा संघ के माध्यम से स्वंत्रतता आन्दोलन में भाग लेना शुरू कर दिया. जिसके कारण इनकी शिक्षा मीडिल स्तर तक हो पाई.
इन्होने गांधीजी के जयपुर प्रवास के दौरान भी स्वतंत्रता आन्दोलन में अपनी अहम भूमिका निभाई. बाद में इनको गोपनीय डाक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई, जिसे इन्होंने बखूबी निभाया. साल 1942 में इन्हें पंजाब में अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया और 2 साल के लिए जेल में डाल दिया गया. जेल से रिहा होने के पश्चात ये फिर आजादी की लड़ाई में कूद पड़े.
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इन्होने स्वतंत्रता आंदोलन के साथ-साथ एक कुशल राजनीतिज्ञ और समाजसेवक के रूप में भी अपनी सेवाएं प्रदान की है. इन्होंने जनकल्याण के विभिन्न कार्यों में हमेशा अपना प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष योगदान भी दिया है. वहीं, राजनीतिक क्रियाकलापों में रूचि होने के कारण ये साल 1958 में जयरामपुरा ग्राम पंचायत के सरपंच निर्वाचित हुए. साथ ही साल 1959 में ये श्रीमाधोपुर पंचायत समिति के प्रथम प्रधान चुने गए. इन्होने बहुत सालों तक जालपाली और हांसपुर ग्राम पंचायतों के सरपंच के रूप में भी अपनी सेवाएं दी है.
इनका जीवन बहुत ही साधारण रहा, परंतु इनके विचार सदा उच्च रहे हैं. ये हमेशा समाज के गरीब और पिछड़े तबके के लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए प्रयासरत रहे हैं. इनके अथक प्रयासों से साल 1963 में आदर्श बस्ती, पुष्पनगर का शिलान्यास राजस्थान राज्य समाज कल्याण सलाहकार बोर्ड की तत्कालीन अध्यक्षा श्रीमती इन्दुबाला सुखाडिया ने किया, जिसके कारण पुष्पनगर में न्यू कॉलोनी की बसावट शुरू हुई.
इन्होंने राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पुष्पनगर में अपनी धर्मपत्नी की पुण्यस्मृति में विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए एक कक्ष का निर्माण करवाकर शिक्षा कल्याण क्षेत्र में भी अपना योगदान देने का प्रयास किया. इनके प्रयासों की वजह से साल 1995 में इसी विद्यालय परिसर के गांधी पार्क में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण ठाकुर सुगन सिंह शेखावत की अध्यक्षता में हुआ.
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बता दें कि स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवक और राजनीतिज्ञ के रूप में समाज को प्रदान की गई सेवाओं को ध्यान में रखते हुए केंद्र एवं राज्य सरकार ने समय-समय पर इनको सम्मानित भी किया है. इसी क्रम में साल 1987 में इनको राज्य के मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी की ओर से ताम्रपत्र भी प्रदान किया गया था. वहीं, हाल ही में 9 अगस्त 2017 को भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन्हें राष्ट्रपति भवन में आयोजित एट होम समारोह में निजी संदेश के साथ इलेक्ट्रिक केतली भेंट कर सम्मानित किया.