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रणथंभौर पार्क में अब बाघों की दहाड़ के साथ चीता भी आएगा नजर, चीता कॉरिडोर बनाने को लेकर हुआ मंथन

रणथंभौर के एक होटल में राजस्थान और एमपी के वन अधिकारियों ने चीता कॉरिडोर बनाने को लेकर मंथन किया है.

Meeting for Cheetah Landscape
चीता कॉरिडोर बनाने को लेकर हुआ मंथन (ETV Bharat Sawai Madhopur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 2 hours ago

सवाई माधोपुर: राजस्थान में अब एमपी के कूनो की तरह ही वन भ्रमण पर आने वाले सैलानियों चीतों की सरपट दौड़ का नजारा देखने को मिलेगा. इसके लिए एमपी व राजस्थान सरकार के बीच आगामी माह में एमओयू होगा. इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए रणथंभौर के एक होटल में एमपी, राजस्थान व यूपी के वन अधिकारी जुटे. यहां चीता कॉरिडोर विकसित करने को लेकर मंथन हुआ.

चीता कॉरिडोर को लेकर वन अधिकारियों ने की बैठक (ETV Bharat Sawai Madhopur)

मुख्यमंत्री बजट घोषणा के क्रम में चीता लैंडस्केप की फिजिबिलिटी स्टडी, टयूरिज्म की संभावना, कैपेसिटी बिल्डिंग ऑफ फ्रंट लाइन स्टॉफ, हेबिटाट इम्प्रूवमेंट में किए जाने वाले कार्यों के लिए एमपी, राजस्थान के वन अधिकारियों की रणथंभौर स्थित एक होटल में संयुक्त बैठक हुई. फिजिबिलिटी स्टडी वाईल्ड लाइफ इंस्टीटयूट ऑफ इण्डिया के माध्यम से कराई जाएगी. एमओयू के लिए राज्य सरकार ने जो घोषणा की है, उसके लिए अतिशीघ्र ही दोनों राज्यों के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालकों द्वारा आगामी माह में हस्ताक्षर कर दिया जाएगा. एमपी की तरह राजस्थान में भी चीता लैंडस्केप की तैयारी हो रही है. जो कि राजस्थान में काफी बड़े भू भाग में होगा.

पढ़ें: धौलपुर से रावतभाटा तक बनेगा चीता लैंडस्केप, राजस्थान और एमपी के वन अधिकारी संयुक्त एमओयू करेंगे जारी

मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ने बताया कि वाइल्ड लाइफ फ्युचर्ड ऑफ इण्डिया द्वारा जो लैंडस्केप आईडेंटीफाइ किया जाएगा. इसमें राजस्थान के 13 डिविजन आ रहे हैं, जो कि 8 जिलों में हैं. इसमें धौलपुर से चित्तौड़ तक लगभग साढ़े छह हजार स्कवायर किलोमीटर क्षेत्र चीता लैंडस्केप के लिए आईडेंटीफाई किया गया है. चीता कॉरिडोर में एमपी के 13 जिले आ रहे हैं. इसमें राजस्थान से लगे क्षेत्र रतलाम से मुरैना जिला तक कॉरिडोर डवलप होगा.

पढ़ें: Rajasthan: ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर बोले-शाहबाद का पीएसपी प्लांट आज की जरूरत, प्रस्तावित चीता कॉरिडोर भी 45 किलोमीटर दूर

बैठक में चर्चा हुई कि दोनों प्रदेश संयुक्त रूप से कहां-कहां टयूरिज्म विकसित कर सकते हैं. चम्बल वाला क्षेत्र, रणथंभौर और कूनो के बीच वाला क्षेत्र है, जिस पर भी योजना बनाकर काम करेंगे. यह आगामी माह में दोनों राज्यों के बीच होने वाले एमओयू में होगा. इसके लिए दोनों प्रदेशों के वन अधिकारियों की जाएगी. संयुक्त रूप से चीता मैनेजमेंट कैसे करें, इस पर काम किया जाएगा. कूनो के अनुभव का लाभ लेते हुए दोनों राज्यों में चीता कॉरिडोर विकसित करेंगे.

सवाई माधोपुर: राजस्थान में अब एमपी के कूनो की तरह ही वन भ्रमण पर आने वाले सैलानियों चीतों की सरपट दौड़ का नजारा देखने को मिलेगा. इसके लिए एमपी व राजस्थान सरकार के बीच आगामी माह में एमओयू होगा. इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए रणथंभौर के एक होटल में एमपी, राजस्थान व यूपी के वन अधिकारी जुटे. यहां चीता कॉरिडोर विकसित करने को लेकर मंथन हुआ.

चीता कॉरिडोर को लेकर वन अधिकारियों ने की बैठक (ETV Bharat Sawai Madhopur)

मुख्यमंत्री बजट घोषणा के क्रम में चीता लैंडस्केप की फिजिबिलिटी स्टडी, टयूरिज्म की संभावना, कैपेसिटी बिल्डिंग ऑफ फ्रंट लाइन स्टॉफ, हेबिटाट इम्प्रूवमेंट में किए जाने वाले कार्यों के लिए एमपी, राजस्थान के वन अधिकारियों की रणथंभौर स्थित एक होटल में संयुक्त बैठक हुई. फिजिबिलिटी स्टडी वाईल्ड लाइफ इंस्टीटयूट ऑफ इण्डिया के माध्यम से कराई जाएगी. एमओयू के लिए राज्य सरकार ने जो घोषणा की है, उसके लिए अतिशीघ्र ही दोनों राज्यों के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालकों द्वारा आगामी माह में हस्ताक्षर कर दिया जाएगा. एमपी की तरह राजस्थान में भी चीता लैंडस्केप की तैयारी हो रही है. जो कि राजस्थान में काफी बड़े भू भाग में होगा.

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मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ने बताया कि वाइल्ड लाइफ फ्युचर्ड ऑफ इण्डिया द्वारा जो लैंडस्केप आईडेंटीफाइ किया जाएगा. इसमें राजस्थान के 13 डिविजन आ रहे हैं, जो कि 8 जिलों में हैं. इसमें धौलपुर से चित्तौड़ तक लगभग साढ़े छह हजार स्कवायर किलोमीटर क्षेत्र चीता लैंडस्केप के लिए आईडेंटीफाई किया गया है. चीता कॉरिडोर में एमपी के 13 जिले आ रहे हैं. इसमें राजस्थान से लगे क्षेत्र रतलाम से मुरैना जिला तक कॉरिडोर डवलप होगा.

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बैठक में चर्चा हुई कि दोनों प्रदेश संयुक्त रूप से कहां-कहां टयूरिज्म विकसित कर सकते हैं. चम्बल वाला क्षेत्र, रणथंभौर और कूनो के बीच वाला क्षेत्र है, जिस पर भी योजना बनाकर काम करेंगे. यह आगामी माह में दोनों राज्यों के बीच होने वाले एमओयू में होगा. इसके लिए दोनों प्रदेशों के वन अधिकारियों की जाएगी. संयुक्त रूप से चीता मैनेजमेंट कैसे करें, इस पर काम किया जाएगा. कूनो के अनुभव का लाभ लेते हुए दोनों राज्यों में चीता कॉरिडोर विकसित करेंगे.

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