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Special: शिक्षा व्यवसाय के लिए मुश्किल रहे 9 महीने, सीकर में 2 हजार करोड़ रुपए का नुकसान - Sikar education business face crore loss

राजस्थान में बहुत जल्द ही स्कूल खुलने वाले हैं, लेकिन पिछला 9 महीना शिक्षण व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए बहुत मुश्किल रहा. शिक्षा व्यवसाय से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों की माली हालत खराब हो चुकी है. सीकर शहर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले शिक्षण संस्थानों पर पढ़े ये स्पेशल खबर....

Sikar news, education institute in Sikar
सीकर में शिक्षा व्यवसाय को 2 हजार करोड़ का झटका
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Published : Jan 8, 2021, 2:27 PM IST

सीकर. राजस्थान में स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थान की खुलने की घोषणा हो चुकी है. सारे शिक्षण संस्थान 18 जनवरी से खुल रहे हैं, लेकिन इन 9 महीनों में सीकर शहर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले शिक्षण संस्थानों की आर्थिक हालत खराब हो चुकी है. अनुमान के अनुसार सीकर में शिक्षण संस्थान से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े व्यवसायों को 2 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है.

सीकर में शिक्षा व्यवसाय को 2 हजार करोड़ का झटका

कोरोना महामारी के कारण पिछले 9 महीने से शिक्षण संस्थान बंद हैं. स्कूल, कॉलेज, कोचिंग बंद होने से इनसे जुड़े लोगों को काफी नुकसान तो हुआ ही, साथ ही हॉस्टल, मकान किराया, रेस्टोरेंट्स ढाबे, लाइब्रेरी, चाय थड़ी सारे छोटे-मोटे व्यवसाय को झटका लगा है. इन सारे व्यवसाय से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति 9 महीने में डांवाडोल हो चुकी है.

यह भी पढ़ें. SPECIAL: बेरोजगारों के लिए वरदान बनी मनरेगा...4 लाख श्रमिकों को मिला रोजगार

सीकर शहर के पिपराली और नवलगढ़ रोड इलाके तो ऐसे हैं, जो पूरी तरह से कोचिंग और स्कूल इंडस्ट्री के भरोसे चल रहे थे. यहां पर न केवल कोचिंग और स्कूलों में हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा था बल्कि इनके आधार पर ही आसपास के लोगों के कई तरह के रोजगार चल रहे थे. पिछले 9 महीने में ऐसी नौबत आ गई है कि कई हॉस्टल और अन्य संस्थान बिकने के कगार पर पहुंच गए. वहीं कई टिफिन सेंटर और रेस्टोरेंट्स वालों का बिजनेस खत्म हो गया. ऐसे में कई टिफिन सेंटर बंद हो चुके हैं.

कोचिंग और स्कूलों के साथ-साथ यह काम भी हुए पूरी तरह से बंद

हॉस्टल कारोबार: सीकर शहर में 1000 छोटे-बड़े हॉस्टल है जो इन कोचिंग और स्कूलों के भरोसे ही चल रहे थे इनके बंद होने के साथ ही यह भी बंद हो गए थे. इन हॉस्टल में न केवल काफी लोगों को रोजगार मिल रहा था बल्कि लोगों को किराया भी काफी मिल रहा था

मकान किराया: सीकर शहर के नवलगढ़ और पिपराली रोड इलाके में सभी घरों में मकान किराए पर चल रहे थे. इसके साथ-साथ कई लोगों ने किराए के लिए बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बना रखी थी. कोचिंग और स्कूल बंद होने के साथ यह भी खाली हो गई और अभी तक वापस किराएदार नहीं मिल रहे हैं. कई लोगों के सामने तो लोन की किस्त चुकाने का संकट है.

रेस्टोरेंट्स ढाबे: शहर में सैकड़ों की संख्या में रेस्टोरेंट्स और धावे चल रहे थे, जो पूरी तरह से इन कोचिंग संस्थान में पढ़ने वाले स्टूडेंट के भरोसे चल रहे थे. अब वह भी पूरी तरह से बंद पड़े हैं.

लाइब्रेरी: पिछले कुछ सालों में सीकर में लाइब्रेरी का क्रेज भी बहुत तेजी से बढ़ा और जगह-जगह प्राइवेट लाइब्रेरी बना दी गई. दिनभर स्टूडेंट यहां बैठ कर पढ़ाई करते थे. जब से कोचिंग और स्कूल बंद हुए हैं तब से लाइब्रेरी भी बंद पड़ी है.

शिक्षा नगरी के नाम से मशहूर हो चुके सीकर शहर की लाइफ लाइन यहां की कोचिंग संस्थान और स्कूल अब खुलेंगे. ऐसे में लोगों की उम्मीदें बंधी है कि अब उनके हालात सुधर जाएंगे.

सीकर. राजस्थान में स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थान की खुलने की घोषणा हो चुकी है. सारे शिक्षण संस्थान 18 जनवरी से खुल रहे हैं, लेकिन इन 9 महीनों में सीकर शहर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले शिक्षण संस्थानों की आर्थिक हालत खराब हो चुकी है. अनुमान के अनुसार सीकर में शिक्षण संस्थान से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े व्यवसायों को 2 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है.

सीकर में शिक्षा व्यवसाय को 2 हजार करोड़ का झटका

कोरोना महामारी के कारण पिछले 9 महीने से शिक्षण संस्थान बंद हैं. स्कूल, कॉलेज, कोचिंग बंद होने से इनसे जुड़े लोगों को काफी नुकसान तो हुआ ही, साथ ही हॉस्टल, मकान किराया, रेस्टोरेंट्स ढाबे, लाइब्रेरी, चाय थड़ी सारे छोटे-मोटे व्यवसाय को झटका लगा है. इन सारे व्यवसाय से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति 9 महीने में डांवाडोल हो चुकी है.

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सीकर शहर के पिपराली और नवलगढ़ रोड इलाके तो ऐसे हैं, जो पूरी तरह से कोचिंग और स्कूल इंडस्ट्री के भरोसे चल रहे थे. यहां पर न केवल कोचिंग और स्कूलों में हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा था बल्कि इनके आधार पर ही आसपास के लोगों के कई तरह के रोजगार चल रहे थे. पिछले 9 महीने में ऐसी नौबत आ गई है कि कई हॉस्टल और अन्य संस्थान बिकने के कगार पर पहुंच गए. वहीं कई टिफिन सेंटर और रेस्टोरेंट्स वालों का बिजनेस खत्म हो गया. ऐसे में कई टिफिन सेंटर बंद हो चुके हैं.

कोचिंग और स्कूलों के साथ-साथ यह काम भी हुए पूरी तरह से बंद

हॉस्टल कारोबार: सीकर शहर में 1000 छोटे-बड़े हॉस्टल है जो इन कोचिंग और स्कूलों के भरोसे ही चल रहे थे इनके बंद होने के साथ ही यह भी बंद हो गए थे. इन हॉस्टल में न केवल काफी लोगों को रोजगार मिल रहा था बल्कि लोगों को किराया भी काफी मिल रहा था

मकान किराया: सीकर शहर के नवलगढ़ और पिपराली रोड इलाके में सभी घरों में मकान किराए पर चल रहे थे. इसके साथ-साथ कई लोगों ने किराए के लिए बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बना रखी थी. कोचिंग और स्कूल बंद होने के साथ यह भी खाली हो गई और अभी तक वापस किराएदार नहीं मिल रहे हैं. कई लोगों के सामने तो लोन की किस्त चुकाने का संकट है.

रेस्टोरेंट्स ढाबे: शहर में सैकड़ों की संख्या में रेस्टोरेंट्स और धावे चल रहे थे, जो पूरी तरह से इन कोचिंग संस्थान में पढ़ने वाले स्टूडेंट के भरोसे चल रहे थे. अब वह भी पूरी तरह से बंद पड़े हैं.

लाइब्रेरी: पिछले कुछ सालों में सीकर में लाइब्रेरी का क्रेज भी बहुत तेजी से बढ़ा और जगह-जगह प्राइवेट लाइब्रेरी बना दी गई. दिनभर स्टूडेंट यहां बैठ कर पढ़ाई करते थे. जब से कोचिंग और स्कूल बंद हुए हैं तब से लाइब्रेरी भी बंद पड़ी है.

शिक्षा नगरी के नाम से मशहूर हो चुके सीकर शहर की लाइफ लाइन यहां की कोचिंग संस्थान और स्कूल अब खुलेंगे. ऐसे में लोगों की उम्मीदें बंधी है कि अब उनके हालात सुधर जाएंगे.

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