सवाईमाधोपुर. रणथंभौर से विस्थापित हिंदवाड़ गांव के ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं के निराकरण की मांग को लेकर सोमवार को कलेक्ट्रेट के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया. साथ ही मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा.
ग्रामीणों का कहना है कि हिंदवाड़ गांव को वन विभाग द्वारा 2009 में एकमुश्त विस्थापन प्रक्रिया में आनन-फानन में अंतिम समय में जुड़ा था. जिसमें 600 लोगों को चिन्हित किया गया और 350 से अधिक लोगों को विस्थापन का पैकेज दिया गया. पैकेज के तहत ग्रामीणों को ₹1000000 एकमुश्त दिए जाने थे, वहीं 10 साल तक प्रतिवर्ष ₹100000 कार्बन क्रेडिट के नाम से भी देने थे राशन कार्ड में दर्ज व्यक्ति का अनाथ बच्चों को अलग से पैसा देना तय हुआ था. जो वन विभाग द्वारा नहीं दिया गया है.
2009 के सर्वे में सभी ग्रामीणों को गुमराह किया गया, जिससे उनके परिवार के सभी सदस्यों को पैकेज देने की बात थी. वह भी अभी तक नहीं दिया गया है. विस्थापित परिवारों के लिए मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं करवाई गई. विस्थापन प्रक्रिया के दौरान ग्रामीणों से खाली स्टांप पर हस्ताक्षर करवाए गए, जिसकी जांच करवाई जाए.
अनाथ एवं मंदबुद्धि लोगों को कोई पैकेज नहीं दिया गया. जिन ग्रामीणों को विस्थापित पैकेज नहीं दिया गया उन्हें कोई भी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. हर वर्ष खातेदारी की जमीन में दी गई फसल को वन विभाग के कर्मचारी द्वारा नष्ट कर दी जाती है जिससे किसानों को आर्थिक व मानसिक नुकसान हो रहा है. परिवारों को जमीन के बदले जमीन, मकान के बदले मकान दिया जाए.
विस्थापन में अनियमितता बरतने वालों पर कार्रवाई की मांग भी ग्रामीणों द्वारा की गई है. साथ ही ग्रामीणों का कहना है कि ग्रामीण अपने गांव में विस्थापित नहीं होंगे और वापस जाकर अपने गांव में बस जाएंगे. ग्रामीण द्वारा अपना सब कुछ छोड़ दिया गया, मगर वन विभाग के अधिकारी उनके साथ धोखा और छल कर रहे हैं. ग्रामीणों ने सरकार से विस्थापन का पूरा मुआवजा देने और ग्रामीणों को सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की.