सवाई माधोपुर. लंबी कशमकश के बाद आखिरकार सोमवार को सवाई माधोपुर नगर परिषद को सुनीता सिंघल के रूप में नई सभापति मिल ही गईं. सोमवार को राज्य सरकार के आदेश प्राप्त होने के साथ ही सुनीता सिंघल नगर परिषद पहुंचीं और सभापति का पदभार ग्रहण किया. आयुक्त रविंद्र यादव द्वारा उन्हें पदभार ग्रहण कराया गया. इस दौरान नगर परिषद में उत्सव का माहौल देखने को मिला. इस दौरान पार्षदों ने माला पहनाकर एवं पुष्प गुच्छ भेंटकर सुनीता सिंघल का भव्य स्वागत किया.
सुनीता सिंघल के पदभार ग्रहण करने के साथ ही नगर परिषद परिसर पटाखों और ढोल नगाड़ों की ध्वनि से गूंज उठा और पार्षद खुशी में झूमते नजर आए. इस दौरान बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के पार्षदों सहित निर्दलीय पार्षद भी काफी खुश दिखाई दिए.
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नगर परिषद में सामान्य वर्ग की महिला के लिए सभापति का पद आरक्षित है. इसके चलते लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार सोमवार को सुनीता सिंघल ने सभापति का पदभार ग्रहण कर ही लिया. गौरतलब है कि सवाई माधोपुर नगर परिषद में भाजपा का बोर्ड था और विमला शर्मा सभापति थीं. नगर परिषद में 45 में से 29 पार्षद बीजेपी के, 11 पार्षद कांग्रेस के तथा 5 पार्षद निर्दलीय हैं. नगर परिषद बोर्ड में बीजेपी का पूर्ण बहुमत होने के बावजूद सभापति विमला शर्मा बीजेपी के पार्षदों को साथ लेकर नहीं चल सकी थी.
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जिसका नतीजा यह निकला कि भाजपा के ही पार्षदों ने अपनी ही सभापति के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और 20 जुलाई को सभापति विमला शर्मा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया. बड़ी बात यह रही कि अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के दौरान सभापति विमला शर्मा के पक्ष में एक भी मत नहीं पड़ा था.
पार्षदों में सभापति विमला शर्मा के खिलाफ इस कदर नाराजगी थी कि बीजेपी, कांग्रेस सहित सभी निर्दलीय पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में अपना मतदान कर दिया और सभापति विमला शर्मा को ना चाहते हुए भी सभापति की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी और नगर परिषद में पूर्ण बहुमत होने के बाद भी बीजेपी का बोर्ड बिखर गया.
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पूर्व सभापति विमला शर्मा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद से ही सभापति का पद खाली चल रहा था. जिसके चलते लंबी जद्दोजहद के बाद आज सुनीता सिंघल ने नई सभापति के रूप में अपना कार्य कार्य ग्रहण कर ही लिया.