सवाई माधोपुर/भरतपुर. राजस्थान के जंगल बाघों की दहाड़ से गूंज रहे हैं. अनुकूल माहौल और सुरक्षा व्यवस्था का ही नतीजा है कि बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है. ऑल इंडिया टाइगर ऐस्टीमेशन-2018 की रिपोर्ट को मानें तो बीते 16 साल में राजस्थान में बाघों का कुनबा 3 गुना से भी (clan of tigers increased three times in 16 years) अधिक बढ़ गया है. बीते वर्षों में प्रदेश के बाघ अभ्यारण्यों का जबर्दस्त उत्थान हुआ है. ये राजस्थान में बाघों के बेहतर भविष्य के संकेत हैं. इंटरनेशनल टाइगर डे पर राजस्थान में बाघों के बढ़ते कुनबे पर वन्य प्रेमियों में भी खुशी है.
RTR: 49 साल के इतिहास में सर्वाधिक बाघ
सवाई माधोपुर का रणथंभौर टाइगर रिजर्व (आरटीआर) प्रदेश के आकर्षण का केंद्र है. रणथंभौर के अभ्यारण्यों में बाघों की दहाड़ लगातार बढ़ रही है. रिपोर्ट की मानें तो बीते 49 साल के इतिहास में वर्तमान में रणथंभौर टाइगर रिजर्व में सर्वाधिक 79 बाघों का कुनबा रह रहा है. यही नहीं, विभागीय रिकॉर्ड के अनुसार वर्ष 2019 से 2021 के दौरान यहां 44 शावकों का जन्म हुआ जो आरटीआर के लिए एक बड़ी सौगात है.
16 साल में कई गुना बढ़ गया कुनबा
राजस्थान के बाघ अभ्यारण्यों में बीते 16 साल में काफी तेजी से बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है. ऑल इंडिया टाइगर ऐस्टीमेशन- 2018 की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2006 में राजस्थान के अभ्यारण्यों में बाघों की संख्या 32 थी. जबकि वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार यह संख्या वर्तमान में 111 से अधिक पहुंच गई है. इससे साफ पता चलता है कि राजस्थान के अभ्यारण्यों में बाघों को अनुकूल माहौल मिल रहा है.
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छोटे पड़ रहे अभ्यारण्य, तैयार हो रहे नए घर...
सेवानिवृत्त डीएफओ सुनयन शर्मा ने बताया कि रणथंभौर और सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ रही है. रणथंभौर टाइगर रिजर्व में तो क्षेत्रफल की दृष्टि से टाइगर्स की संख्या का अनुपात असामान्य भी होने लगा है. यही वजह है कि अब बाघों के लिए बूंदी का रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व नया घर बनकर उभरेगा. बीते दिनों (16 जुलाई 2022) रणथंभौर से टी-102 बाघ को विषधारी टाइगर रिजर्व में शिफ्ट भी किया गया. इन सभी कार्यों में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) की सकारात्मक भूमिका की जरूरत है.
ईको सिस्टम सुधारने की जरूरत
सेवानिवृत्त डीएफओ सुनयन शर्मा ने बताया कि राजस्थान के टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी अच्छी बात है लेकिन फिलहाल पूरे प्रदेश के ईको सिस्टम को सुधारने की जरूरत है. यह तभी संभव है जब वन विभाग में स्टाफ की बढ़ोतरी की जाएगी क्योंकि फिलहाल विभाग स्टाफ की कमी से जूझ रहा है. फील्ड स्टाफ की शॉर्टेज की वजह से ही राजस्थान के अभयारण्य में सुरक्षा पर भी कोई ज्यादा काम नहीं हो पाया है. इसलिए स्टाफ बढ़ेगा तो सुरक्षा भी बेहतर होगी.
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वर्ष दर वर्ष यूं बढ़ा राजस्थान में बाघों का ग्राफ
2006 में 32 बाघ
2010 में 36
2014 में 45
2018 में 69 (AITE-2018 के अनुसार)
2022 में करीब 111 से अधिक
(वन विभाग के अनुसार)
किस अभ्यारण्य में कितने बाघ
आरटीआर - 79
सरिस्का - 27
मुकुन्दरा - 1
रामगढ़ विषधारी - 2
धौलपुर वन क्षेत्र - 4
कैलादेवी वन क्षेत्र - 4
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देश में सर्वाधिक घनत्व वाला टाइगर रिज़र्व
सवाई माधोपुर जिले के 1334 वर्ग किलोमीटर में फैला रणथंभौर टाइगर रिजर्व देश का सबसे अधिक बाघों के घनत्व वाला अभयारण्य है. यहां पर वर्तमान में नर एवं मादा बाघ का अनुपात भी करीब 1:1.3 है. रणथंभौर टाइगर रिजर्व में वर्ष 2006 से 2014 तक भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की ओर से किए गए एक शोध में बताया गया था कि रणथंभौर टाइगर रिजर्व के रणथंभौर नेशनल पार्क एवं सवाई मानसिंह अभ्यारण क्षेत्र में टाइगर घनत्व केयरिंग कैपेसिटी के बराबर हो चुका है. शोध के समय रणथंभौर टाइगर रिजर्व प्रथम क्षेत्र में वयस्क बाघों की संख्या 43 थी जो कि अब बढ़कर 53 से भी ज्यादा पहुंच गई है.
अनुकूल माहौल और आसानी से भरपूर भोजन उपलब्ध होने की वजह से वर्तमान में रणथंभौर में कुल बाघों की संख्या 79 पहुंच गई है. वयस्क बाघों की संख्या अच्छी होने की वजह से यहां प्रजनन अच्छा हुआ और जिससे इनका कुनबा भी बढ़ा है. क्षेत्रफल की दृष्टि से देखा जाए तो रणथंभौर टाइगर रिजर्व अब बाघों के लिए छोटा पड़ने लगा है. यही वजह है कि यहां पर आए दिन बाघों के आपसी संघर्ष की घटनाएं सामने आती रहती हैं.