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Treatment Of Tigress Riddhi: बाघिन रिद्धि की बड़ी आंत में इंफेक्शन, इलाज कर छोड़ा जंगल में - Treatment of tigress Riddhi

रणथंभौर नेशनल पार्क में बाघिन टी-124 'रिद्धि' की बड़ी आंत में इंफेक्शन होने के चलते चिकित्सकों ने इलाज (Infection in Intestine of tigress Riddhi) किया. आवश्यक उपचार के बाद बाघिन को जंगल में छोड़ दिया गया. हालांकि वन विभाग बाघिन के मूवमेंट पर नजरें बनाए हुए है.

Infection in Intestine of tigress Riddhi
बाघिन रिद्धि की बड़ी आंत में इंफेक्शन, इलाज कर छोड़ा जंगल में
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Published : May 24, 2022, 9:28 PM IST

सवाईमाधोपुर. रणथंभौर नेशनल पार्क में रिद्धि नाम की बाघिन टी-124 की बड़ी आंत में इंफेक्शन होने पर एनटीसीए के प्रोटोकॉल व मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के निर्देशानुसार बाघिन को ट्रेंक्युलाइज कर पशु चिकित्सकों ने उपचार (Treatment of tigress Riddhi) किया. इसके बाद बाघिन को जंगल में छोड़ दिया गया. बाघिन की लगातार मॉनिटरिंग व नियमित ट्रेकिंग कर नजर रखी जा रही है.

ये थी समस्या: मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव एवं रणथंभौर बाघ परियोजना के क्षेत्र निदेशक के अनुसार बाघिन टी-124 लगभग तीन साल छह माह की है. वह 19 से 23 मई तक जोन नम्बर दो में झालरा-परनया वन क्षेत्र में भ्रमण कर रही थी. इस अवधि में बाघिन का मूवमेंट काफी सीमित क्षेत्र में था. बाघिन की मॉनिटरिंग के दौरान पाया गया कि वह काफी प्रयास के बाद भी स्टूल पास (मल त्याग) नहीं कर पा रही थी. इससे बाघिन वोमिटिंग (उल्टियां) कर रही थी तथा परेशान दिखाई दे रही थी.

पढ़ें: Ranthambore National Park : बाघिन टी-99 और शावकों की अठखेलियां देख रोमांचित हुए पर्यटक...

पशु चिकित्सकों ने उपचार की दी सलाह: बाघिन की हालत को देखते हुए 21 व 22 मई को डॉ. राजीव गर्ग पशु चिकित्सक, डॉ. सी.पी.मीना वरिष्ठ पशु चिकित्सक की उपस्थिति में बाघिन की मॉनिटरिंग व निरीक्षण किया गया. पशु चिकित्सकों की राय के अनुसार बाघिन की स्थिति को देखते हुए उपचार किया जाना अति आवश्यक था. इसे लेकर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जयपुर को रिपोर्ट दी गई. इस पर उनके द्वारा 23 मई को बाघिन के उपचार की अनुमति दी गई.

पढ़ें: खुशखबरी, रणथम्भौर की 'नूर' शावक संग घूमती दिखी

चिकित्सकों और स्टाफ की उपस्थिति में झालरा वन क्षेत्र में बाघिन टी-124 को ट्रेंक्युलाइज किया गया. इसके बाद एनटीसीए के प्रोटोकॉल एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के निर्देशानुसार बाघिन का उपचार किया गया. वरिष्ठ पशु चिकित्सकों ने उपचार के दौरान पाया कि बाघिन रिद्धि की बड़ी आंत के पिछले हिस्से में इन्फेक्शन था. इसके ऐनस पर सूजन एवं घाव था. वरिष्ठ पशु चिकित्सकों ने बाघिन को एनीमा देकर आवश्यक उपचार किया. इसके बाद बाघिन की नियमित ट्रेकिंग व मॉनिटरिंग की जा रही है. उपचार के बाद बाघिन टी-124 अपने क्षेत्र में स्वस्थ रूप से स्वच्छंद विचरण कर रही है.

सवाईमाधोपुर. रणथंभौर नेशनल पार्क में रिद्धि नाम की बाघिन टी-124 की बड़ी आंत में इंफेक्शन होने पर एनटीसीए के प्रोटोकॉल व मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के निर्देशानुसार बाघिन को ट्रेंक्युलाइज कर पशु चिकित्सकों ने उपचार (Treatment of tigress Riddhi) किया. इसके बाद बाघिन को जंगल में छोड़ दिया गया. बाघिन की लगातार मॉनिटरिंग व नियमित ट्रेकिंग कर नजर रखी जा रही है.

ये थी समस्या: मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव एवं रणथंभौर बाघ परियोजना के क्षेत्र निदेशक के अनुसार बाघिन टी-124 लगभग तीन साल छह माह की है. वह 19 से 23 मई तक जोन नम्बर दो में झालरा-परनया वन क्षेत्र में भ्रमण कर रही थी. इस अवधि में बाघिन का मूवमेंट काफी सीमित क्षेत्र में था. बाघिन की मॉनिटरिंग के दौरान पाया गया कि वह काफी प्रयास के बाद भी स्टूल पास (मल त्याग) नहीं कर पा रही थी. इससे बाघिन वोमिटिंग (उल्टियां) कर रही थी तथा परेशान दिखाई दे रही थी.

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पशु चिकित्सकों ने उपचार की दी सलाह: बाघिन की हालत को देखते हुए 21 व 22 मई को डॉ. राजीव गर्ग पशु चिकित्सक, डॉ. सी.पी.मीना वरिष्ठ पशु चिकित्सक की उपस्थिति में बाघिन की मॉनिटरिंग व निरीक्षण किया गया. पशु चिकित्सकों की राय के अनुसार बाघिन की स्थिति को देखते हुए उपचार किया जाना अति आवश्यक था. इसे लेकर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जयपुर को रिपोर्ट दी गई. इस पर उनके द्वारा 23 मई को बाघिन के उपचार की अनुमति दी गई.

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चिकित्सकों और स्टाफ की उपस्थिति में झालरा वन क्षेत्र में बाघिन टी-124 को ट्रेंक्युलाइज किया गया. इसके बाद एनटीसीए के प्रोटोकॉल एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के निर्देशानुसार बाघिन का उपचार किया गया. वरिष्ठ पशु चिकित्सकों ने उपचार के दौरान पाया कि बाघिन रिद्धि की बड़ी आंत के पिछले हिस्से में इन्फेक्शन था. इसके ऐनस पर सूजन एवं घाव था. वरिष्ठ पशु चिकित्सकों ने बाघिन को एनीमा देकर आवश्यक उपचार किया. इसके बाद बाघिन की नियमित ट्रेकिंग व मॉनिटरिंग की जा रही है. उपचार के बाद बाघिन टी-124 अपने क्षेत्र में स्वस्थ रूप से स्वच्छंद विचरण कर रही है.

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