सवाई माधोपुर. जिला प्रभारी मंत्री भजन लाल जाटव ने मंगलवार को सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने देश में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और अडानी विवाद की ओर जनता का ध्यान लाने की बात कही. उन्होंने कहा कि देशवासी जानना चाहते हैं कि अडानी महाघोटाला एवं मित्र पूंजीपतियों को सरकारी खजाने की लूट की खुली छूट मिलने से सम्पूर्ण देश को आर्थिक रूप से क्षति पहुंच रही है. कैसे एक संदिग्ध साख वाला समूह, जिस पर टैक्स हेवन देशों से संचालित विदेशी शेल कंपनियों से संबंधों का आरोप है, वह हमारी अंतरराष्ट्रीय सद्भावना और राष्ट्रीय संसाधनों का लाभ उठाते हुए हवाई अड्डे, पोर्ट, बंदरगाह, विद्युत क्षेत्र, रक्षा क्षेत्र में एकाधिपत्य स्थापित कर रहा है.
प्रभारी मंत्री ने कहा कि आज अडानी समूह 13 बंदरगाहों और टर्मिनल्स को नियंत्रित करता है. समूह द्वारा रक्षा क्षेत्र में कोई पूर्व अनुभव न होते हुए भी ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक्स, छोटे हथियार और विमान रख-रखाव जैसे क्षेत्रों में संयुक्त उपक्रम स्थापित कर कई वर्षों से इन क्षेत्रों में अनुभवी सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों को समाप्त किया जा रहा है. वर्तमान सरकार की ढाका यात्रा के दौरान बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति करने के लिए अडानी पावर ने झारखंड के गोड्डा में एक थर्मल पावर प्लांट का निर्माण करने की घोषणा की. जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता में आने से पहले काला धन भारत में वापस लाने का वादा किया था.
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इसके विपरीत स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक के पिछले वार्षिक डेटा के मुताबिक 2021 में स्विस बैंकों में जमा भारतीय व्यक्तियों और कंपनियों का पैसा 14 वर्षों के उच्चतम स्तर 3.83 बिलियन स्विस फ्रैक्स (30,500 करोड़ रुपये से अधिक) पर पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने राहुल गांधी के सवालों और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के भाषण के प्रासंगिक सवालों के जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं. 1992 में हर्षद मेहता मामले की जांच के लिए एक जेपीसी का गठन हुआ था, जबकि 2001 में एक जेपीसी ने केतन पारेख मामले की जांच की थी. जब यह धोखाधड़ी हो रही थी तो सेबी क्या कर रहा था.
प्रभारी मंत्री ने कहा कि साल 2021 में वित्त मंत्रालय ने संसद में स्वीकार किया था कि अडानी समूह सेबी के नियमों का उल्लंघन करने के लिए जांच के दायरे में है. फिर भी अडानी समूह के शेयरों की कीमतों में उछाल आने दिया गया. वहीं, शेयरों के मूल्यों में कमी और समूह द्वारा धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों के बाद भी मोदी सरकार ने एलआईसी को अडानी एंटरप्राइजेज के फॉलो-आन पब्लिक ऑफर (FPO) में अतिरिक्त 300 करोड़ रुपये निवेश करने के लिए मजबूर किया. सेबी ने भी 2001 के केतन पारेख घोटाले में हेरफेर का पता लगाया था. वहीं, जांच करने की बजाय वर्षों से प्रधानमंत्री मोदी ने ईडी, सीबीआई और खुफिया राजस्व निदेशालय जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग अपने राजनीतिक या सैद्धांतिक प्रतिद्वंदियों को डराने-धमकाने के लिए किया.