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लॉकडाउन में कम नहीं हुए भगवान द्वारिकाधीश के ठाठ!

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Published : Apr 14, 2020, 1:04 PM IST

Updated : Apr 14, 2020, 8:43 PM IST

द्वारकाधीश मंदिर में लॉकडाउन के दौरान भी प्रभु श्री द्वारिकाधीश की सेवा निरंतर जारी है. जिस मंदिर में दर्शन करने देश के कोने-कोने से और खासकर गुजरात से सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिदिन मंदिर आते थे, वहीं अब सिर्फ पुजारी ही भगवान को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं.

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द्वारिकाधीश के ठाठ

राजसमंद. वर्तमान में जहां पूरी देश में कोरोना के कारण लॉकडाउन है. इसका असर द्वारकाधीश मंदिर पर भी पड़ा है. मंदिर में श्रद्धालुओं की आवाजाही पर पूर्णतया रोक लगा दी गई है. मंदिर का मुख्य द्वार बंद है.और किसी भी आमजन को प्रवेश निषेध किया गया है.

प्रभु द्वारिकाधीश

द्वारकाधीश मंदिर में लॉकडाउन के दौरान भी प्रभु श्री द्वारिकाधीश की सेवा निरंतर जारी है. जिस मंदिर में दर्शन करने देश के कोने-कोने से और खासकर गुजरात से सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिदिन मंदिर आते थे, वहीं अब सिर्फ पुजारी ही भगवान को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें- लॉकडाउन की भेंट चढ़ा भगवान महावीर का प्रसिद्ध मेला

इतिहास में संभवत पहली बार आम श्रद्धालुओं के लिए इतने दिनों तक भक्त प्रभु के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं. किंतु इस बंद में भी प्रभु की निज सेवा निरंतर जारी है. लॉकडाउन को देखते हुए मंदिर के कर्मचारियों की उपस्थिति को भी कम किया गया है. आवश्यक सेवा कार्य वालों को मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है. आइए बताते हैं आपको कि कैसे लॉकडाउन में द्वारकाधीश की खातिरदारी हो रही है.

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प्रभु द्वारिकाधीश

प्रभु द्वारिकाधीश को अलग-अलग ऋतु में अलग-अलग तरह से श्रृंगारित किया जाता है. जैसे अभी ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत हुई है. ऐसे में प्रभु द्वारिकाधीश को अभी फूलों की मंडली में विराजित किया जा रहा है.

अनूठी है प्रभु द्वारिकाधीश की सेवा..

प्रभु द्वारिकाधीश को प्रतिदिन राग भोग और श्रृंगार से सेवित किया जाता है. प्रतिदिन प्रभु के 8 दर्शन होते हैं जिसमें ऋतु अनुरूप प्रभु को सजाया जाता है. प्रभु को भोग लगाया जाता है. कीर्तनकार द्वारा अलग-अलग दर्शनों में अलग-अलग कीर्तन का गान किया जाता है. सिर्फ आवश्यक सेवा वालों को प्रवेश दिया जा रहा है व भी अल्प समय में अपनी सेवा करके पुनः लौट जाते हैं.

यह भी पढ़ें- लॉकडाउन के बीच चित्तौड़गढ़ में उड़ी नंदी के दूध पीने की अफवाह, शिवालय में उमड़ी भीड़ को पुलिस ने समझाकर भेजा

श्री द्वारकाधीश मंदिर जनसंपर्क अधिकारी विनीत सनाढ्य का कहना है कि पूजा और सेवा में जरा भी कमी नहीं की गई है. जैसी परंपरा रही है वैसा ही किया जा रहा है.

प्रभु द्वारिकाधीश द्वारिकाधीश के ठाठ , rajsamand news, nathdwara news, dwarikadish
प्रभु द्वारिकाधीश

इसके साथ ही भोग में भी शीतलता देने वाले व्यंजनों को प्रभु को भोग धराया जा रहा है. प्रभु द्वारकाधीश को प्रतिदिन 600 पान चढ़ाए जाते हैं, जिसे बीड़ा कहा जाता है.

प्रभु द्वारकाधीश के दर्शन करने देश के कोने कोने से और खासकर गुजरात से सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिदिन मंदिर आते हैं. मगर लॉकडाउन के चलते मंदिर बंद होने के कारण पूरा मंदिर परिसर विरान पड़ा हुआ है वहीं एक अजब सी खामोशी छाई है. इस खामोशी के बीच में प्रभु के कीर्तनों की आवाज मन को मंत्रमुग्ध करती है.

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द्वारिकाधीश के ठाठ

अभी आम जनों के लिए दर्शन नहीं हैं, ऐसे में सेवा कार्य जल्दी समाप्त हो जाता है. जो प्रात: कालीन सेवा आम दिनों में 12:00 बजे पूर्ण होती है. वह इस वक्त 10:00 बजे तक पूर्ण हो जाती है. वही सांयकालीन सेवा आम दिनों में 8:00 बजे पूर्ण होती है, जो इस वक्त 6:00 बजे तक पूर्ण हो जाती है. तृतीय पीठाधीश्वर गोस्वामी बृजेश कुमार महाराज के निर्देशन में प्रभु की सेवा निरंतर जारी है.

भले ही मंदिर में श्रद्धालुओं की आवाजाही नहीं है, मगर फिर भी द्वारकाधीश प्रभु की सेवा उसी रूप से जारी है, जैसी सेवा आम दिनों में की जाती है. प्रभु वैसा ही ठाट भोग रहे हैं, जैसा ठाठ आम दिनों में होता है. क्योंकि पुष्टि संप्रदाय में प्रभु की सेवा किसी भी कारण, किसी भी परिस्थिति में बाधित नहीं होती है.

राजसमंद. वर्तमान में जहां पूरी देश में कोरोना के कारण लॉकडाउन है. इसका असर द्वारकाधीश मंदिर पर भी पड़ा है. मंदिर में श्रद्धालुओं की आवाजाही पर पूर्णतया रोक लगा दी गई है. मंदिर का मुख्य द्वार बंद है.और किसी भी आमजन को प्रवेश निषेध किया गया है.

प्रभु द्वारिकाधीश

द्वारकाधीश मंदिर में लॉकडाउन के दौरान भी प्रभु श्री द्वारिकाधीश की सेवा निरंतर जारी है. जिस मंदिर में दर्शन करने देश के कोने-कोने से और खासकर गुजरात से सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिदिन मंदिर आते थे, वहीं अब सिर्फ पुजारी ही भगवान को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं.

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इतिहास में संभवत पहली बार आम श्रद्धालुओं के लिए इतने दिनों तक भक्त प्रभु के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं. किंतु इस बंद में भी प्रभु की निज सेवा निरंतर जारी है. लॉकडाउन को देखते हुए मंदिर के कर्मचारियों की उपस्थिति को भी कम किया गया है. आवश्यक सेवा कार्य वालों को मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है. आइए बताते हैं आपको कि कैसे लॉकडाउन में द्वारकाधीश की खातिरदारी हो रही है.

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प्रभु द्वारिकाधीश

प्रभु द्वारिकाधीश को अलग-अलग ऋतु में अलग-अलग तरह से श्रृंगारित किया जाता है. जैसे अभी ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत हुई है. ऐसे में प्रभु द्वारिकाधीश को अभी फूलों की मंडली में विराजित किया जा रहा है.

अनूठी है प्रभु द्वारिकाधीश की सेवा..

प्रभु द्वारिकाधीश को प्रतिदिन राग भोग और श्रृंगार से सेवित किया जाता है. प्रतिदिन प्रभु के 8 दर्शन होते हैं जिसमें ऋतु अनुरूप प्रभु को सजाया जाता है. प्रभु को भोग लगाया जाता है. कीर्तनकार द्वारा अलग-अलग दर्शनों में अलग-अलग कीर्तन का गान किया जाता है. सिर्फ आवश्यक सेवा वालों को प्रवेश दिया जा रहा है व भी अल्प समय में अपनी सेवा करके पुनः लौट जाते हैं.

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श्री द्वारकाधीश मंदिर जनसंपर्क अधिकारी विनीत सनाढ्य का कहना है कि पूजा और सेवा में जरा भी कमी नहीं की गई है. जैसी परंपरा रही है वैसा ही किया जा रहा है.

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प्रभु द्वारिकाधीश

इसके साथ ही भोग में भी शीतलता देने वाले व्यंजनों को प्रभु को भोग धराया जा रहा है. प्रभु द्वारकाधीश को प्रतिदिन 600 पान चढ़ाए जाते हैं, जिसे बीड़ा कहा जाता है.

प्रभु द्वारकाधीश के दर्शन करने देश के कोने कोने से और खासकर गुजरात से सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिदिन मंदिर आते हैं. मगर लॉकडाउन के चलते मंदिर बंद होने के कारण पूरा मंदिर परिसर विरान पड़ा हुआ है वहीं एक अजब सी खामोशी छाई है. इस खामोशी के बीच में प्रभु के कीर्तनों की आवाज मन को मंत्रमुग्ध करती है.

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द्वारिकाधीश के ठाठ

अभी आम जनों के लिए दर्शन नहीं हैं, ऐसे में सेवा कार्य जल्दी समाप्त हो जाता है. जो प्रात: कालीन सेवा आम दिनों में 12:00 बजे पूर्ण होती है. वह इस वक्त 10:00 बजे तक पूर्ण हो जाती है. वही सांयकालीन सेवा आम दिनों में 8:00 बजे पूर्ण होती है, जो इस वक्त 6:00 बजे तक पूर्ण हो जाती है. तृतीय पीठाधीश्वर गोस्वामी बृजेश कुमार महाराज के निर्देशन में प्रभु की सेवा निरंतर जारी है.

भले ही मंदिर में श्रद्धालुओं की आवाजाही नहीं है, मगर फिर भी द्वारकाधीश प्रभु की सेवा उसी रूप से जारी है, जैसी सेवा आम दिनों में की जाती है. प्रभु वैसा ही ठाट भोग रहे हैं, जैसा ठाठ आम दिनों में होता है. क्योंकि पुष्टि संप्रदाय में प्रभु की सेवा किसी भी कारण, किसी भी परिस्थिति में बाधित नहीं होती है.

Last Updated : Apr 14, 2020, 8:43 PM IST
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