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श्री द्वारकाधीश मंदिर में 300 वर्षों से चली आ रही अन्नकूट लूट की परंपरा समाप्त

राजसमंद के श्री द्वारिकाधीश मंदिर में आदिवासी समाज द्वारा अन्नकूट लूटने की परंपरा को मंदिर प्रशासन ने बंद कर दिया है. यह फैसला मंदिर में उपजे विवाद के बाद लिया गया है लेकिन अन्नकूट महोत्सव पहले की तरह ही मनाया जाएगा.

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Published : Oct 30, 2019, 8:14 PM IST

राजसमंद. जिला मुख्यालय के कांकरोली स्थित श्री द्वारिकाधीश मंदिर में 300 वर्षों से चली आ रही आदिवासी समाज द्वारा अन्नकूट लूटने की परंपरा को अब मंदिर प्रबंधक ने बंद कर दिया है. मंदिर में सोमवार रात को अन्नकूट लूटने के दौरान उपजे सखड़ी सामग्री विवाद के बाद मंदिर प्रशासन ने बैठक की. जिसके बाद अन्नकूट लूटने की परंपरा को रोक लगाते हुए पूर्ण रूप से समाप्त करने की घोषणा की गई है.

राजसमंद के श्री द्वारकाधीश मंदिर में अन्नकूट लूट की परंपरा हुई समाप्त

बता दें कि दीपावली के पर्व में अन्नकूट महोत्सव तो मनाया जाएगा. लेकिन लूट की परंपरा का निर्वाहन नहीं किया जाएगा. द्वारकाधीश मंदिर के जनसंपर्क अधिकारी विनीत सनाढ्य ने बताया कि ये 300 साल पुरानी पुष्टिमार्गीय परंपरा है. इसके तहत हर साल अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है. जिसमें आदिवासी समाज द्वारा ठाकुर जी के प्रसाद को लूटने की परंपरा है. लेकिन पिछले 2 वर्षों से कुछ असामाजिक तत्व के कारण इस पूरे आयोजन में खलल पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि पिछले 2 सालों से आदिवासी समाज की मांग थी कि जितना भी प्रसाद है, वह सब लूटने दिया जाए.

यह भी पढ़ें. राजसमंद में दोहरे हत्याकांड का पुलिस ने किया खुलासा, आरोपी मुंबई से गिरफ्तार

जनसंपर्क अधिकारी का कहना है कि यह मांग उचित नहीं है. क्योंकि प्रसाद पर सभी लोगों का अधिकार है. उन्होंने बताया कि पिछले साल हुए विवाद के बाद आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों से मुलाकात की गई. उनकी तीन मांगों में से दो मांगों को मान लिया गया. आदिवासी समाज की पहली मांग थी कि लूट के समय पूरे कार्यक्रम को एलईडी द्वारा लाइव प्रसारित किया जाए और मंदिर के मुख्य चौक में दिखाया जाए. जिसे पूरा किया गया. दूसरी मांग के अनुसार आदिवासी समाज के 5 प्रतिनिधियों को मंदिर के अंदर अन्नकूट महोत्सव लूट के समय अंदर ले जाया जाए. उसे भी मंदिर प्रशासन ने मान लिया.

यह भी पढ़ें. डबल मर्डर केस: एसडीएम और डिप्टी की मौजदूगी में हुआ पोस्टमार्टम, न्याय नहीं मिलने पर परिजनों ने दी आत्मदाह की चेतावनी

लेकिन उनकी आखिरी मांग थी कि लूट के समय पूरे प्रसाद को आदिवासी समाज को लूटने दिया जाए. लेकिन यह मांग जायज नहीं है क्योंकि प्रसाद पर हर व्यक्ति का अधिकार है. मंदिर प्रशासन की ओर से हर बार से ज्यादा प्रसाद इस बार अन्नकूट महोत्सव के तहत आदिवासी समाज के लिए आरक्षित रखवाया गया. लेकिन उसके बावजूद भी कुछ लोगों ने इस पूरे माहौल को खराब करने की कोशिश की. जिस कारण से मंदिर प्रशासन ने अगले साल से लूट की परंपरा को बंद करने का फैसला लिया है.

राजसमंद. जिला मुख्यालय के कांकरोली स्थित श्री द्वारिकाधीश मंदिर में 300 वर्षों से चली आ रही आदिवासी समाज द्वारा अन्नकूट लूटने की परंपरा को अब मंदिर प्रबंधक ने बंद कर दिया है. मंदिर में सोमवार रात को अन्नकूट लूटने के दौरान उपजे सखड़ी सामग्री विवाद के बाद मंदिर प्रशासन ने बैठक की. जिसके बाद अन्नकूट लूटने की परंपरा को रोक लगाते हुए पूर्ण रूप से समाप्त करने की घोषणा की गई है.

राजसमंद के श्री द्वारकाधीश मंदिर में अन्नकूट लूट की परंपरा हुई समाप्त

बता दें कि दीपावली के पर्व में अन्नकूट महोत्सव तो मनाया जाएगा. लेकिन लूट की परंपरा का निर्वाहन नहीं किया जाएगा. द्वारकाधीश मंदिर के जनसंपर्क अधिकारी विनीत सनाढ्य ने बताया कि ये 300 साल पुरानी पुष्टिमार्गीय परंपरा है. इसके तहत हर साल अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है. जिसमें आदिवासी समाज द्वारा ठाकुर जी के प्रसाद को लूटने की परंपरा है. लेकिन पिछले 2 वर्षों से कुछ असामाजिक तत्व के कारण इस पूरे आयोजन में खलल पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि पिछले 2 सालों से आदिवासी समाज की मांग थी कि जितना भी प्रसाद है, वह सब लूटने दिया जाए.

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जनसंपर्क अधिकारी का कहना है कि यह मांग उचित नहीं है. क्योंकि प्रसाद पर सभी लोगों का अधिकार है. उन्होंने बताया कि पिछले साल हुए विवाद के बाद आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों से मुलाकात की गई. उनकी तीन मांगों में से दो मांगों को मान लिया गया. आदिवासी समाज की पहली मांग थी कि लूट के समय पूरे कार्यक्रम को एलईडी द्वारा लाइव प्रसारित किया जाए और मंदिर के मुख्य चौक में दिखाया जाए. जिसे पूरा किया गया. दूसरी मांग के अनुसार आदिवासी समाज के 5 प्रतिनिधियों को मंदिर के अंदर अन्नकूट महोत्सव लूट के समय अंदर ले जाया जाए. उसे भी मंदिर प्रशासन ने मान लिया.

यह भी पढ़ें. डबल मर्डर केस: एसडीएम और डिप्टी की मौजदूगी में हुआ पोस्टमार्टम, न्याय नहीं मिलने पर परिजनों ने दी आत्मदाह की चेतावनी

लेकिन उनकी आखिरी मांग थी कि लूट के समय पूरे प्रसाद को आदिवासी समाज को लूटने दिया जाए. लेकिन यह मांग जायज नहीं है क्योंकि प्रसाद पर हर व्यक्ति का अधिकार है. मंदिर प्रशासन की ओर से हर बार से ज्यादा प्रसाद इस बार अन्नकूट महोत्सव के तहत आदिवासी समाज के लिए आरक्षित रखवाया गया. लेकिन उसके बावजूद भी कुछ लोगों ने इस पूरे माहौल को खराब करने की कोशिश की. जिस कारण से मंदिर प्रशासन ने अगले साल से लूट की परंपरा को बंद करने का फैसला लिया है.

Intro:राजसमंद- राजसमंद जिला मुख्यालय के कांकरोली स्थित पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की तृतीय पीठ श्री द्वारिकाधीश मंदिर में 300 वर्ष से चली आ रही.आदिवासी समाज द्वारा अन्नकूट लूटने की परंपरा को अब मंदिर प्रबंधक ने इसे बंद कर दिया है. द्वारकाधीश मंदिर में आदिवासी समाज द्वारा वर्षों से चली आ रही अनकोट महोत्सव मनाए जाने की परंपरा के तहत सोमवार रात के दौरान अन्नकूट रोकने के दौरान उपजे सखड़ी सामग्री विवाद के बाद मंदिर प्रशासन ने बैठक की और अन्नकूट लूटने की परंपरा को रोक लगाते हुए पूर्ण रूप से समाप्त करने की घोषणा की.


Body:गौर करने वाली बात है. कि दीपावली के पर्व में अन्नकूट महोत्सव तो मनाया जाएगा.लेकिन लूट की परंपरा का निर्वाहन नहीं किया जाएगा.द्वारकाधीश मंदिर के जनसंपर्क अधिकारी विनीत सनाढ्य ने बताया कि 300 साल पुरानी पुष्टिमार्गीय परंपरा है.इसके तहत हर साल अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है. तो वहीं आदिवासी समाज द्वारा ठाकुर जी के धराए गए प्रसाद को लूटने की परंपरा है. लेकिन करीब 300 वर्षों से चली आ रही.इस परंपरा में पिछले 2 वर्षों से कुछ असामाजिक तत्व के कारण इस पूरे आयोजन में खलल पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि पिछले 2 सालों से आदिवासी समाज की मांग थी. कि जितना भी प्रसाद है. वह सब हमको लूटने दिया जाए.सनाढ्य ने बताया कि यह मांग तर्कसंगत उचित नहीं है. क्योंकि प्रसाद पर सभी लोगों का अधिकार है. उन्होंने बताया कि पिछले साल हुए विवाद के बाद आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों से हमने मुलाकात की और उनकी तीन मांगों में से हमने दो मांगों को हाथों-हाथ पूरा किया. उन्होंने बताया कि आदिवासी समाज की पहली मांग थी.कि लूट के समय पूरे कार्यक्रम को एलईडी द्वारा लाइव प्रसारित किया जाए.और मंदिर के मुख्य चौक में दिखाया जाए. सनाढ्य ने कहा कि हमने इस मांग को भी पूरा किया. वहीं उन्होंने बताया कि इनकी दूसरी मांग थी. कि आदिवासी समाज के 5 प्रतिनिधियों को मंदिर के अंदर अन्नकूट महोत्सव लूट के समय अंदर ले जाया जाए. उसे भी मंदिर प्रशासन ने मान लिया. लेकिन उनकी तीसरी मांग थी. कि लूट के समय पूरे प्रसाद को आदिवासी समाज को लूटने दिया जाए. लेकिन यह मांग जायज नहीं है.क्योंकि प्रसाद पर हर व्यक्ति का अधिकार है. लेकिन मंदिर प्रशासन की ओर से हर बार से ज्यादा प्रसाद इस बार अन्नकूट महोत्सव के तहत आदिवासी समाज के लिए प्रसाद आरक्षित रखवाया गया. लेकिन उसके बावजूद भी कुछ कथा कथित लोगों ने इस पूरे माहौल को खराब करने की कोशिश की जिस कारण से मंदिर प्रशासन ने अगले साल से लूट की परंपरा को बंद करना पड़ा. उन्होंने बताया कि अगले साल भी अन्नकूट महोत्सव तो होगा लेकिन लूट की परंपरा का निर्वाहन नहीं किया जाएगा.


Conclusion:बाइट_ श्री द्वारिकाधीश मंदिर जनसंपर्क अधिकारी विनीत सनाढ्य
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