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SPECIAL: शेल्टर होम्स में प्रसूताओं का भी रखा जा रहा है विशेष ध्यान

राजसमंद के नाथद्वारा में बनाए गए शेल्टर होम में 102 श्रमिकों को रखा गया है. इनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. इन सभी की यहां बेहतर तरीके से देखभाल की जा रही है. यहां एक 8 माह की गर्भवती महिला भी है. जिसकी देखरेख के लिए एक नर्स भी लगाई गई है.

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शेल्टर होम में लोगों का रखा जा रहा है पूरा ख्याल
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Published : Apr 12, 2020, 8:18 PM IST

नाथद्वारा (राजसमंद). कोरोना महामारी के रोकथाम के लिए लॉकडाउन के दौरान प्रवासियों के रहने के लिए आश्रय स्थल बनाए गए हैं. इन आश्रय स्थलों में लोग आने से अक्सर कतराते हैं. उन्हें लगता है यहां उनकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है. इन सब बातों को झूठा साबित कर रहा है राजसमंद के नाथद्वारा का यह शेल्टर होम. यहां पर आम लोगों के साथ ही गर्भवती महिलाओं की पूरी तरह से देखभाल की जा रही है.

शेल्टर होम में लोगों का रखा जा रहा है पूरा ख्याल

रोजमर्रा की सारी जरूरतों के सामान उपलब्ध

दरअसल, नाथद्वारा में जिला स्तरीय आश्रय स्थल अखिल भारतीय माहेश्वरी सेवा सदन नाथूवास में बनाया गया है. यहां के उपखण्ड अधिकारी ने आश्रय स्थल के लिए मनसुख डामोर, तहसीलदार नाथद्वारा को प्रभारी अधिकारी और सत्यनारायण बंसल को श्रमिकों की काउन्सलिंग के लिए नियुक्त किया है. आश्रय स्थल में आवास, भोजन और चाय नाश्ता, चिकित्सा सुविधा, प्रशासनिक व्यवस्थाएं, काउंसलर, रोजमर्रा की सामग्री जैसे साबुन, टूथपेस्ट, तेल, डिटरजेंट आदि की व्यवस्थाएं की गई है. साथ ही होटल परिसर की नियमित रूप से सफाई की जा रही है.

यह भी पढे़ं- स्पेशल: 'काले सोने' की रखवाली कर रहा किसान, पहले मौसम और अब कोरोना की मार

102 प्रवासी श्रमिकों का बना सहारा

नाथद्वारा उपखण्ड अधिकारी अभिषेक गोयल ने बताया कि वर्तमान में आश्रय स्थल में कुल 102 प्रवासी श्रमिक निवास कर रहे हैं. इनमें पोकरण (जैसलमेर) से पैदल 380 कि.मी. की दूरी तय करके 68 श्रमिक जो कि रतलाम (म.प्र.) के हैं. ये सभी वहीं तारामीरा की फसल कटाई के लिए गए थे. जिसमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. इनको केलवा के पास रोक कर स्वास्थ्य परीक्षण करवा कर प्रशासन के द्वारा इस आश्रय स्थल में रुकवाया गया है.

उपखण्ड अधिकारी ने बताया कि पोकरण से पैदल चलकर आए व्यक्ति, महिलाएं और दूध मुंहे बच्चे स्वस्थ हैं. इनमें एक महिला गर्भवती भी है. जिन्हें नर्सिंग कर्मी की देखरेख में आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां दी जा रही है. वहीं इसका नियमित स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जा रहा है. साथ ही जल्द सोनोग्राफी करवाने के लिए भी निर्देश दिए हैं.

यहां है 8 माह की गर्भवती

महिला आठ माह की गर्भवती है. ऐसे में लॉकडाउन अवधि बढ़ने की संभावना के चलते हो सकता है कि महिला की डिलीवरी भी यही करवाई जाए, इसे लेकर भी तैयारी रखने के निर्देश दिए गए हैं.

यह भी पढ़ें- स्पेशल: लॉकडाउन की पालना के लिए पूर्व सैनिकों ने संभाला मोर्चा, NCC कैडेट भी दे रहे साथ

महिला की देखरेख कर रही नर्स

महिला की देखरेख कर रही नर्सिंगकर्मी आशा राठौर ने बताया कि वे लगातार इस गर्भवती महिला के स्वास्थ्य की जानकारी ले रही है और अपने उच्च अधिकारियों के निर्देश में उसे दवाई, खाना, पोषक आहार आदि दे रही हैं. वहीं अन्य महिलाओं के साथ आए बच्चे भी स्वस्थ्य हैं. सभी श्रमिक भी स्वस्थ्य हैं और अच्छे से सामाजिक दूरी का भी पालन कर रहे हैं और अनुशासन से रह रहे हैं.

कोरोना संक्रमण महामारी की इस अवधि के दौरान जहां एक ओर देश के विभिन्न हिस्सों से लॉकडाउन तोड़ने की तस्वीरें सामने आ रही हैं. वहीं ये कम पढे़-लिखे श्रमिक मानों पूरे देश को अनुशासन का संदेश दे रहे हैं.

नाथद्वारा (राजसमंद). कोरोना महामारी के रोकथाम के लिए लॉकडाउन के दौरान प्रवासियों के रहने के लिए आश्रय स्थल बनाए गए हैं. इन आश्रय स्थलों में लोग आने से अक्सर कतराते हैं. उन्हें लगता है यहां उनकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है. इन सब बातों को झूठा साबित कर रहा है राजसमंद के नाथद्वारा का यह शेल्टर होम. यहां पर आम लोगों के साथ ही गर्भवती महिलाओं की पूरी तरह से देखभाल की जा रही है.

शेल्टर होम में लोगों का रखा जा रहा है पूरा ख्याल

रोजमर्रा की सारी जरूरतों के सामान उपलब्ध

दरअसल, नाथद्वारा में जिला स्तरीय आश्रय स्थल अखिल भारतीय माहेश्वरी सेवा सदन नाथूवास में बनाया गया है. यहां के उपखण्ड अधिकारी ने आश्रय स्थल के लिए मनसुख डामोर, तहसीलदार नाथद्वारा को प्रभारी अधिकारी और सत्यनारायण बंसल को श्रमिकों की काउन्सलिंग के लिए नियुक्त किया है. आश्रय स्थल में आवास, भोजन और चाय नाश्ता, चिकित्सा सुविधा, प्रशासनिक व्यवस्थाएं, काउंसलर, रोजमर्रा की सामग्री जैसे साबुन, टूथपेस्ट, तेल, डिटरजेंट आदि की व्यवस्थाएं की गई है. साथ ही होटल परिसर की नियमित रूप से सफाई की जा रही है.

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102 प्रवासी श्रमिकों का बना सहारा

नाथद्वारा उपखण्ड अधिकारी अभिषेक गोयल ने बताया कि वर्तमान में आश्रय स्थल में कुल 102 प्रवासी श्रमिक निवास कर रहे हैं. इनमें पोकरण (जैसलमेर) से पैदल 380 कि.मी. की दूरी तय करके 68 श्रमिक जो कि रतलाम (म.प्र.) के हैं. ये सभी वहीं तारामीरा की फसल कटाई के लिए गए थे. जिसमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. इनको केलवा के पास रोक कर स्वास्थ्य परीक्षण करवा कर प्रशासन के द्वारा इस आश्रय स्थल में रुकवाया गया है.

उपखण्ड अधिकारी ने बताया कि पोकरण से पैदल चलकर आए व्यक्ति, महिलाएं और दूध मुंहे बच्चे स्वस्थ हैं. इनमें एक महिला गर्भवती भी है. जिन्हें नर्सिंग कर्मी की देखरेख में आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां दी जा रही है. वहीं इसका नियमित स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जा रहा है. साथ ही जल्द सोनोग्राफी करवाने के लिए भी निर्देश दिए हैं.

यहां है 8 माह की गर्भवती

महिला आठ माह की गर्भवती है. ऐसे में लॉकडाउन अवधि बढ़ने की संभावना के चलते हो सकता है कि महिला की डिलीवरी भी यही करवाई जाए, इसे लेकर भी तैयारी रखने के निर्देश दिए गए हैं.

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महिला की देखरेख कर रही नर्स

महिला की देखरेख कर रही नर्सिंगकर्मी आशा राठौर ने बताया कि वे लगातार इस गर्भवती महिला के स्वास्थ्य की जानकारी ले रही है और अपने उच्च अधिकारियों के निर्देश में उसे दवाई, खाना, पोषक आहार आदि दे रही हैं. वहीं अन्य महिलाओं के साथ आए बच्चे भी स्वस्थ्य हैं. सभी श्रमिक भी स्वस्थ्य हैं और अच्छे से सामाजिक दूरी का भी पालन कर रहे हैं और अनुशासन से रह रहे हैं.

कोरोना संक्रमण महामारी की इस अवधि के दौरान जहां एक ओर देश के विभिन्न हिस्सों से लॉकडाउन तोड़ने की तस्वीरें सामने आ रही हैं. वहीं ये कम पढे़-लिखे श्रमिक मानों पूरे देश को अनुशासन का संदेश दे रहे हैं.

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