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अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस: बाल विवाह के बाद भी नहीं मानी हार.. लड़ी, उठी और अब फिर दे रहीं अपने सपनों को उड़ान

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर आपको राजस्थान की ऐसी साहसिक बेटी की कहानी से रूबरू कराने जा रहा है. जिसके सपनों को उड़ाने से पहले ही समाज और परिवार की रूढ़िवादी परंपरा के कारण जकड़ लिया था. लेकिन फिर भी वो हार नहीं मानी और अपने सपने को पूरा करने में जुटी हुई है. वो हैं राजसंमद की प्रेम कुमावत

International Girls Day, अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस
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Published : Oct 11, 2019, 9:57 PM IST

राजसमंद. कहते हैं कुछ कर गुजरने के इरादे अगर मजबूत हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. ऐसा ही कर दिखाया राजसमंद की एक बेटी ने. ईटीवी भारत आपको अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर एक साहसिक बेटी की उस कहानी से रूबरू कराने जा रहा है. जिसके सपनों को उड़ान से पहले ही समाज और परिवार की रूढ़िवादी परंपरा के कारण जकड़ लिया था. लेकिन इस होनहार बेटी ने हार नहीं मानी और अपने सपनों को साकार करने के लिए इन बेड़ियों को तोड़ दिया.

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर विशेष

बाल विवाह ने रोका पढ़ाई करने का सपना
राजसमंद शहर के धोइंदा की रहने वाली बालिका प्रेम कुमावत का 30 जनवरी 2005 को बाल विवाह हो गया. प्रेम तीन बहनों में सबसे छोटी थी. परिवार में आर्थिक परेशानी होने के कारण उस समय दो बड़ी बहनों के साथ प्रेम का बाल विवाह हो गया. उस समय प्रेम कुमावत नौवीं कक्षा में पढ़ती थी. प्रेम बताती है कि कक्षा 9 में उनका विवाह हो गया था. लेकिन उनके पढ़ने की इच्छा विवाह होने के बाद भी बनी रही. जब ससुराल जाने के बाद दसवीं क्लास में प्रेम कुमावत पहुंच गई. जैसे-तैसे ससुराल वालों ने दसवीं तक पढ़ने को कहा और दसवीं प्रेम उत्कृष्ट नंबरों से पास हो गई. जब प्रेम ने आगे पढ़ने की इच्छा जाहिर की तो ससुराल वालों ने प्रेम की आगे पढ़ने को लेकर असंतोष जताया. और कहा कि विवाह होने के बाद लड़की को ज्यादा पढ़ने का कोई महत्व नहीं है. इसलिए ससुराल वालों ने कहा कि वे घर गृहस्ती का काम देखें. लेकिन प्रेम के सपने यह नहीं रुके.

पढ़ें- जोधपुरः 11वीं क्लास की भाविका रामचंद्रानी बनीं एक दिन की प्रिंसिपल

खुद जॉब करते हुए पढ़़ाई रखी जारी
उन्होंने करीब 1 साल तक ससुराल और पीहर पक्ष में तनाव चलता रहा. आगे पढ़ने को लेकर लेकिन वे इस दौरान ससुराल नहीं गए. करीब 1 साल बाद प्रेम ने फिर अपनी पढ़ाई शुरू की और 12वीं कक्षा को अच्छे नंबरों से पास किया. वे बताती हैं कि 12वीं क्लास में पहुंचने पर जहां उनके पास फीस भरने को लेकर थोड़ी तंगी थी. इसके लिए उन्होंने पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए वे स्वयं जॉब करने लगी. इसके बाद उन्होंने पढ़ाई जारी रखते हुए राजसमंद एसआरके कॉलेज से बीए किया. वे उसी दौरान नेहरू युवा केंद्र राजसमंद में काम करना शुरू कर दिया. जिसमें वे नेहरू युवा केंद्र के राष्ट्रीय सेवा कर्मी के पद पर नियुक्त हुए. करीब 1 वर्ष तक उन्होंने सोशल वर्क में उत्कृष्ट काम किया. जिसको देखते हुए राजस्थान सरकार ने श्रेष्ठ युवा पुरस्कार से उन्हें राज्य स्तरीय पर सम्मानित किया गया. तभी नेहरू युवा केंद्र की तरफ से उन्हें राज्य में बेहतर काम करने लेकर केंद्र सरकार की ओर से उन्हें 10 दिवसीय विदेश भ्रमण के लिए चीन भेजा.

ससुराल पक्ष से ज्यादा अनबन के बाद तलाक
उन्होंने अपनी पढ़ाई इस दौरान जारी रखी. लेकिन ससुराल में पढ़ाई को लेकर अनबन होने के कारण वे वहां नहीं जाया करती थी. अपने पीहर में ही पढ़ाई जारी रखी. तभी ससुराल पक्ष से ज्यादा अनबन होने के कारण उन्होंने 2012-13 में तलाक दे दिया. जिसके बाद वे आगे की पढ़ाई जारी रखी. इसके बाद भी उनका सपना परवान चढ़ने लगे. उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई करने के लिए उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में अध्ययन शुरू किया. जिसमें उन्होंने अच्छे नंबरों एलएलबी की पढ़ाई पास की.

करीब 5 साल से राजसमंद कोर्ट में वकालत जारी
इसके बाद उन्होंने दोबारा से परिवार की सहमति से उनका विवाह दोबारा एमडी गांव में किया. इसके बाद उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई पूरी होने के बाद राजसमंद न्यायालय में वकालत शुरू कर दी थी. करीब 5 साल से वे राजसमंद न्यायालय में वकालत कर रही है. अभी उनका सपना यहीं आकर नहीं रुका वह कहती है कि आने वाले समय में उनकी दृढ़ इच्छा है कि वह आगे चलकर न्यायाधीश बने. जिसको लेकर इसके लिए दिन रात मेहनत कर रही है. वहीं उनके पति मांगीलाल ने बताया कि विवाह होने के बाद इन्होंने अपनी इच्छा जाहिर की पढ़ाई को लेकर तभी मैंने इनके हौसले मजबूत करते हुए इनको पढ़ने के लिए हर संभव मदद की. उन्होंने बताया कि आगे पढ़ने के लिए भी मैं हर प्रयास में इनका साथ दूंगा.

पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस: क्रिकेट का 'गढ़' बना ये शहर, विदेशी सरजमीं पर जलवा बिखेर रही बेटियां

ईटीवी भारत की अपील
ईटीवी भारत आज आपको अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर प्रेम कुमावत की कहानी से यही बता रहा है कि प्रेम ने तो रूढ़िवादी परंपरा से ऊपर उठकर के अपने सपनों की मंजिल हासिल की. तभी ईटीवी भारत आप सभी तक दर्शकों से यही अपील करता है. अपने सपनों को मरने ना दें चाहे इसके किसी भी स्थिति से गुजरना पड़े.

राजसमंद. कहते हैं कुछ कर गुजरने के इरादे अगर मजबूत हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. ऐसा ही कर दिखाया राजसमंद की एक बेटी ने. ईटीवी भारत आपको अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर एक साहसिक बेटी की उस कहानी से रूबरू कराने जा रहा है. जिसके सपनों को उड़ान से पहले ही समाज और परिवार की रूढ़िवादी परंपरा के कारण जकड़ लिया था. लेकिन इस होनहार बेटी ने हार नहीं मानी और अपने सपनों को साकार करने के लिए इन बेड़ियों को तोड़ दिया.

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर विशेष

बाल विवाह ने रोका पढ़ाई करने का सपना
राजसमंद शहर के धोइंदा की रहने वाली बालिका प्रेम कुमावत का 30 जनवरी 2005 को बाल विवाह हो गया. प्रेम तीन बहनों में सबसे छोटी थी. परिवार में आर्थिक परेशानी होने के कारण उस समय दो बड़ी बहनों के साथ प्रेम का बाल विवाह हो गया. उस समय प्रेम कुमावत नौवीं कक्षा में पढ़ती थी. प्रेम बताती है कि कक्षा 9 में उनका विवाह हो गया था. लेकिन उनके पढ़ने की इच्छा विवाह होने के बाद भी बनी रही. जब ससुराल जाने के बाद दसवीं क्लास में प्रेम कुमावत पहुंच गई. जैसे-तैसे ससुराल वालों ने दसवीं तक पढ़ने को कहा और दसवीं प्रेम उत्कृष्ट नंबरों से पास हो गई. जब प्रेम ने आगे पढ़ने की इच्छा जाहिर की तो ससुराल वालों ने प्रेम की आगे पढ़ने को लेकर असंतोष जताया. और कहा कि विवाह होने के बाद लड़की को ज्यादा पढ़ने का कोई महत्व नहीं है. इसलिए ससुराल वालों ने कहा कि वे घर गृहस्ती का काम देखें. लेकिन प्रेम के सपने यह नहीं रुके.

पढ़ें- जोधपुरः 11वीं क्लास की भाविका रामचंद्रानी बनीं एक दिन की प्रिंसिपल

खुद जॉब करते हुए पढ़़ाई रखी जारी
उन्होंने करीब 1 साल तक ससुराल और पीहर पक्ष में तनाव चलता रहा. आगे पढ़ने को लेकर लेकिन वे इस दौरान ससुराल नहीं गए. करीब 1 साल बाद प्रेम ने फिर अपनी पढ़ाई शुरू की और 12वीं कक्षा को अच्छे नंबरों से पास किया. वे बताती हैं कि 12वीं क्लास में पहुंचने पर जहां उनके पास फीस भरने को लेकर थोड़ी तंगी थी. इसके लिए उन्होंने पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए वे स्वयं जॉब करने लगी. इसके बाद उन्होंने पढ़ाई जारी रखते हुए राजसमंद एसआरके कॉलेज से बीए किया. वे उसी दौरान नेहरू युवा केंद्र राजसमंद में काम करना शुरू कर दिया. जिसमें वे नेहरू युवा केंद्र के राष्ट्रीय सेवा कर्मी के पद पर नियुक्त हुए. करीब 1 वर्ष तक उन्होंने सोशल वर्क में उत्कृष्ट काम किया. जिसको देखते हुए राजस्थान सरकार ने श्रेष्ठ युवा पुरस्कार से उन्हें राज्य स्तरीय पर सम्मानित किया गया. तभी नेहरू युवा केंद्र की तरफ से उन्हें राज्य में बेहतर काम करने लेकर केंद्र सरकार की ओर से उन्हें 10 दिवसीय विदेश भ्रमण के लिए चीन भेजा.

ससुराल पक्ष से ज्यादा अनबन के बाद तलाक
उन्होंने अपनी पढ़ाई इस दौरान जारी रखी. लेकिन ससुराल में पढ़ाई को लेकर अनबन होने के कारण वे वहां नहीं जाया करती थी. अपने पीहर में ही पढ़ाई जारी रखी. तभी ससुराल पक्ष से ज्यादा अनबन होने के कारण उन्होंने 2012-13 में तलाक दे दिया. जिसके बाद वे आगे की पढ़ाई जारी रखी. इसके बाद भी उनका सपना परवान चढ़ने लगे. उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई करने के लिए उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में अध्ययन शुरू किया. जिसमें उन्होंने अच्छे नंबरों एलएलबी की पढ़ाई पास की.

करीब 5 साल से राजसमंद कोर्ट में वकालत जारी
इसके बाद उन्होंने दोबारा से परिवार की सहमति से उनका विवाह दोबारा एमडी गांव में किया. इसके बाद उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई पूरी होने के बाद राजसमंद न्यायालय में वकालत शुरू कर दी थी. करीब 5 साल से वे राजसमंद न्यायालय में वकालत कर रही है. अभी उनका सपना यहीं आकर नहीं रुका वह कहती है कि आने वाले समय में उनकी दृढ़ इच्छा है कि वह आगे चलकर न्यायाधीश बने. जिसको लेकर इसके लिए दिन रात मेहनत कर रही है. वहीं उनके पति मांगीलाल ने बताया कि विवाह होने के बाद इन्होंने अपनी इच्छा जाहिर की पढ़ाई को लेकर तभी मैंने इनके हौसले मजबूत करते हुए इनको पढ़ने के लिए हर संभव मदद की. उन्होंने बताया कि आगे पढ़ने के लिए भी मैं हर प्रयास में इनका साथ दूंगा.

पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस: क्रिकेट का 'गढ़' बना ये शहर, विदेशी सरजमीं पर जलवा बिखेर रही बेटियां

ईटीवी भारत की अपील
ईटीवी भारत आज आपको अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर प्रेम कुमावत की कहानी से यही बता रहा है कि प्रेम ने तो रूढ़िवादी परंपरा से ऊपर उठकर के अपने सपनों की मंजिल हासिल की. तभी ईटीवी भारत आप सभी तक दर्शकों से यही अपील करता है. अपने सपनों को मरने ना दें चाहे इसके किसी भी स्थिति से गुजरना पड़े.

Intro:राजसमंद- आज अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस है. इस अवसर पर भारत सरकार की उस महत्वपूर्ण योजना की बात करेंगे.जिसको लेकर सरकार बेटी बचाओ का जिक्र करना चाहेंगे क्योंकि राजस्थान की एक बेटी ना सिर्फ अपना जीवन बचाया बल्कि पढ़ने की जिद के चलते आज वे न्यायाधीश बनने का सपना लिए आगे बढ़ रही है.हम आपको बताएंगे उसके संघर्ष की पूरी कहानी ताकि इस बेटी को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का ब्रांड एंबेसडर बनाया जा सके. कहते हैं कुछ कर गुजरने के इरादे अगर मजबूत हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. ऐसा ही कर दिखाया राजसमंद की एक बेटी ने ईटीवी भारत आज आपको अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर एक साहसिक बेटी की उस कहानी से रूबरू कराने जा रहा है. जिस के सपनों उड़ान से पहले ही समाज और परिवार की रूढ़िवादी परंपरा के कारण जकड़ लिया था. लेकिन इस होनहार बेटी ने हार नहीं मानी और अपने सपनों को साकार करने के लिए इन बेड़ियों को तोड़ दिया.
राजसमंद शहर के धोइंदा की रहने वाली बालिका प्रेम कुमावत का 30 जनवरी 2005 को बाल विवाह हो गया.प्रेम तीन बहनों में सबसे छोटी थी. परिवार में आर्थिक परेशानी होने के कारण उस समय दो बड़ी बहनों के साथ प्रेम का बाल विवाह हो गया. उस समय प्रेम कुमावत नौवीं कक्षा में पढ़ती थी.
प्रेम बताती है.कि कक्षा 9 में उनका विवाह हो गया था. लेकिन उनके पढ़ने की इच्छा विवाह होने के बाद भी बनी रही.जब ससुराल जाने के बाद दसवीं क्लास में प्रेम कुमावत पहुंच गई. जैसे-तैसे ससुराल वालों ने दसवीं तक पढ़ने को कहा और दसवीं प्रेम उत्कृष्ट नंबरों से पास हो गई.जब प्रेम ने आगे पढ़ने की इच्छा जाहिर की तो ससुराल वालों ने प्रेम की आगे पढ़ने को लेकर असंतोष जताया. और कहा कि विवाह होने के बाद लड़की को ज्यादा पढ़ने का कोई महत्व नहीं है. इसलिए ससुराल वालों ने कहा कि वे घर गृहस्ती का काम देखें.लेकिन प्रेम के सपने यह नहीं रुके.





Body:उन्होंने करीब 1 साल तक ससुराल और पीहर पक्ष में तनाव चलता रहा. आगे पढ़ने को लेकर लेकिन वे इस दौरान ससुराल नहीं गए.
करीब 1 साल बाद प्रेम ने फिर अपनी पढ़ाई शुरू की और 12वीं कक्षा को उत्कर्ष नंबरों से पास किया वे बताती हैं. कि 12वीं क्लास में पहुंचने पर जहां उनके पास फीस भरने को लेकर थोड़ी तंगी थी. इसके लिए उन्होंने पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए वे स्वयं जॉब करने लगी.
इसके बाद उन्होंने पढ़ाई जारी रखते हुए राजसमंद एसआरके कॉलेज से बीए किया. वे उसी दौरान नेहरू युवा केंद्र राजसमंद में काम करना शुरू कर दिया. जिसमें वे नेहरू युवा केंद्र के राष्ट्रीय सेवा कर्मी के पद पर नियुक्त हुए. करीब 1 वर्ष तक उन्होंने सोशल वर्क में उत्कृष्ट काम किया. जिसको देखते हुए राजस्थान सरकार ने श्रेष्ठ युवा पुरस्कार से उन्हें राज्य स्तरीय पर सम्मानित किया गया.
तभी नेहरू युवा केंद्र की तरफ से उन्हें राज्य में बेहतर काम करने लेकर केंद्र सरकार की ओर से उन्हें 10 दिवसीय विदेश भ्रमण के लिए चीन भेजा.
उन्होंने अपनी पढ़ाई इस दौरान जारी रखें. लेकिन ससुराल में पढ़ाई को लेकर अनबन होने के कारण वे वहां नहीं जाया करती थी.अपने पीहर में ही पढ़ाई जारी रखी.
तभी ससुराल पक्ष से ज्यादा अनबन होने के कारण उन्होंने 2012 13 में तलाक दे दिया. जिसके बाद वे आगे की पढ़ाई जारी रखी.



Conclusion:और इसके बाद भी उनका सपना परवान चढ़ने लगा. और उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई करने के लिए उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में अध्ययन शुरू किया.जिसमें उन्होंने अच्छे नंबरों एलएलबी की पढ़ाई पास की. इसके बाद उन्होंने दोबारा से परिवार की सहमति से उनका विवाह दोबारा एमडी गांव में किया. इसके बाद उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई पूरी होने के बाद राजसमंद न्यायालय में वकालत शुरू कर दी थी. करीब 5 साल से वे राजसमंद न्यायालय में वकालत कर रही है. अभी उनका सपना यहीं आकर नहीं रुका वह कहती है.कि आने वाले समय में उनकी दृढ़ इच्छा है.कि वह आगे चलकर न्यायाधीश बनने की उनकी इच्छा है. वैसे लेकर इसके लिए दिन रात मेहनत कर रही है. वही उनके पति मांगीलाल ने बताया कि विवाह होने के बाद इन्होंने अपनी इच्छा जाहिर की पढ़ाई को लेकर तभी मैंने इनके हौसले मजबूत करते हुए इनको पढ़ने के लिए हर संभव मदद की उन्होंने बताया कि आगे पढ़ने के लिए भी मैं हर प्रयास में इनका साथ दूंगा.
ईटीवी भारत आज आपको अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर प्रेम कुमावत की कहानी से यही बता रहा है.कि प्रेम ने तो रूढ़िवादी परंपरा से ऊपर उठकर के अपने सपनों की मंजिल हासिल की तभी ईटीवी भारत आप सभी तक दर्शकों से यही अपील करता है. अपने सपनों को मरने ना दें चाहे इसके किसी भी स्थिति से गुजरना पड़े.
बाइट- प्रेम कुमावत
बाइट- मांगीलाल कुमावत
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