राजसमंद. लंका विजयी करने के बाद प्रभु श्रीराम के आगमन पर मिट्टी के दीपक जलाकर उनका हर्षोल्लास के साथ स्वागत सत्कार किया था. लेकिन राम के अयोध्या लौटने पर शुरू हुई मिट्टी के दीपक जलाने की परंपरा वर्तमान परिदृश्य में विलुप्त होती जा रही है, जिसका मुख्य कारण चाइना से आने वाले प्लास्टिक के दीपक और जगमगाती लाइटों ने इनको खत्म करने का काम किया है.
दिवाली पर्व को मनाने में खासतौर से मिट्टी के दीपों का खासा महत्व है. लेकिन कुछ सालों से धीरे-धीरे इलेक्ट्रॉनिक चकाचौंध ने परंपरागत मिट्टी के दीयों का अस्तित्व लगभग खतम सा हो गया है. दीयों के स्थान पर लोग चाइना से आने वाले विशेष दीया की खरीदारी को महत्व देते हैं. इस कारण दीपक बनाने का काम धीरे-धीरे विलुप्त होता जा रहा है. कहा जाता है कि मिट्टी के दीपक से जहां घर रोशन होता है. वहीं दूसरी तरफ इस मिट्टी के दीपक बनाने वाले का भी गुजारा चलता है.
चाइनीज चकाचौंध के आगे कुम्हार बेबस
लेकिन वर्तमान समय में जहां चाइना से आने वाले सामान की चकाचौंध ने इस मिट्टी के दीपक को खत्म करने का काम कर रहा है. कुम्हार समाज के लोग बताते हैं कि मिट्टी के दीयों की बाजार में मांग कम होती जा रही है. पहले दिवाली पर मिट्टी के दीपक जलाकर दिवाली का पावन पर्व जगमगाती रोशनी में मनाया जाता था. लेकिन वर्तमान समय में महंगाई के चलते दीपावली पर मिट्टी के दीपक जलाना रस्म बनकर रह गया है. एक समय था जब घरों की मुंडेर पर दीपावली के दिन शाम होते ही दीयों की कतारें जगमग आने लगती थी. लेकिन महंगाई के चलते अब दीयों की चलन मोमबत्ती और बिजली की लाइटों ने ले ली है.
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कुम्हार समाज पर संकट, दीयों की बिक्री में भारी गिरावट
इससे जहां एक और कुम्हार समाज के लोगों के व्यापार पर संकट मंडराने लगा है. वहीं दूसरी तरफ चाइनीज सामान की मांग दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है. वहीं दिवाली का पर्व देखते हुए राजसमंद जिला मुख्यालय पर भी कुम्हार समाज के लोगों ने दीए बनाने के काम में लगे हुए हैं. लेकिन उनका कहना है कि पिछले साल के मुकाबले दीयों की बिक्री में भारी मात्रा में गिरावट आया है, जिसका एकमात्र कारण लोगों का चाइनीज सामान का अधिक उपयोग करना है. इसके कारण दीयों और अन्य मिट्टी के सामानों की मांग कम हुई है.
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दर्शकों से ईटीवी भारत भी अपील
ईटीवी भारत भी आपसे यही अपील करता है कि जब भगवान श्री राम अयोध्या पहुंचे थे तो अयोध्यावासियों ने दीपक जलाकर खुशी जताई थी. क्यों न हम भी इस दिवाली चाइनीज सामान को न करते हुए मिट्टी के दीपक से घर को रोशन कर दिवाली मनाएं. जहां एक ओर हमारे कुम्हार समाज के लोगों को रोजगार मिलेगा और उनके घर भी ये दिवाली दोगुनी खुशियों वाली होगी.