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Special : नवरात्र में मूर्तिकारों के दयनीय हालात...परिवार चलाना भी हुआ मुश्किल - sculptors condition

कोरोना के कारण नवरात्र पर मूर्तियों की बिक्री प्रभावित हो रही है, जिससे मूर्तिकारों के सामने जीवन यापन करने का संकट खड़ा हो गया है. पिछले साल जहां 2 सप्ताह पहले तक 50 प्रतिशत मूर्तियों की बुकिंग हो जाती थी तो इस बार बड़े आयोजनों की अनिश्चितताओं के चलते लोग मूर्तियों की बुकिंग नहीं करवा रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

sculptors condition,  Navratri 2020
मूर्तिकारों के दयनीय हालात
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Published : Oct 6, 2020, 7:49 PM IST

राजसमंद. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया की आर्थिक सेहत को आईसीयू में पहुंचा दिया है. कोरोना के बाद लगे लॉकडाउन में हर सेक्टर को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है. असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कामगारों के सामने अभी भी जीवन यापन की समस्या बनी हुई है. जो मजदूर डेली मजदूरी करके अपने परिवार को भरण-पोषण करते थे, उनके सामने परिवार चलाना मुश्किल हो गया है.

लागत भी नहीं निकाल पा रहे मूर्तिकार...

पढे़ं: Special: सरकार पर्यटन विकास भूली सरकार तो, अब युवाओं ने संभाली इन झीलों को सवारने की जिम्मेदारी..

17 अक्टूबर से नवरात्र शुरू हो रहे हैं. ऐसे में एक बार फिर मूर्ति कारीगरों को आर्थिक हालत सुधरने की उम्मीद बंधी थी, लेकिन हालत सुधरने की उम्मीद परवान चढ़ने से पहले ही मंदी की चपेट में आ गई. मूर्तिकारों के पास मूर्तियां बनाने के ऑर्डर जो सामान्यत इस सीजन में काफी मात्रा में आते थे, लेकिन इस बार ऑर्डर बिल्कुल कम हो गए हैं. पिछले 6 महीनों से कई धार्मिक त्योहार आए, लेकिन कारीगरों की हालत जस की तस बनी हुई है.

sculptors condition,  Navratri 2020
50 प्रतिशत तक गिरी मूर्तियों की बिक्री...

नवरात्र पर नहीं हो रही मूर्तियों की बुकिंग...

लक्ष्मण जिला मुख्यालय पर बरसों से मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं, लेकिन पहले गणेश चतुर्थी और अब नवरात्रों पर मूर्तियों की डिमांड नहीं होने से खासे परेशान हैं. लक्ष्मण ने बताया कि गणेश चतुर्थी पर भी मूर्तियों की बिक्री ना के बराबर हुई थी. क्योंकि प्रशासन ने बड़े पांडाल लगाने पर रोक लगा दी थी. 17 अक्टूबर से शुरू होने वाले नवरात्र पर भी इसका असर दिख रहा है. लक्ष्मण ने बताया कि हर साल नवरात्रि आने से 2 सप्ताह पहले 50 प्रतिशत मूर्तियों की बुकिंग हो जाती है, लेकिन इस बार लोग कोरोना के चलते मूर्तियों की बुकिंग नहीं कर रहे है. इसके पीछे एक कारण ये भी है कि क्या प्रशासन नवरात्र पर बड़े पांडाल लगाने देगा या नहीं.

sculptors condition,  Navratri 2020
कोरोना में नहीं बन रही बड़ी मूर्तियां...

पढे़ं: Special: चूल्हा-चौका ही नहीं खाकी पहनकर जंगलों की रक्षा भी करती है नारी शक्ति

मूर्तिकारों का पूरा व्यवसाय पर्वों और त्योहारों के सीजन पर टिका रहता है, लेकिन कोरोना में स्थिति ये हो गई है कि मूर्तिकार लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. बाहर से लाए गए मैटेरियल का खर्चा भी जेब से भरना पड़ रहा है. पांडालों में नवरात्रि को लेकर छोटी-छोटी मूर्तियां बनाई गई हैं, लेकिन मूर्तिकारों का ज्यादा मुनाफा बड़ी मूर्तियों पर होता है. त्योहारों पर हुई बिक्री से इनके एक साल तक का खर्चा चलता है.

ऐसे में अब मूर्तिकारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. असंगठित क्षेत्र के तहत आने से इन कारीगरों पर ना तो सरकार ध्यान देती है ना ही इनके लिए किसी प्रकार का राहत पैकेज की घोषणा करती है. आत्मनिर्भर भारत के सपने को अगर सरकारों को साकार करना है तो लक्ष्मण जैसे मूर्तिकारों को इस कठिन समय में आर्थिक मदद से सहारा देना होगा.

राजसमंद. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया की आर्थिक सेहत को आईसीयू में पहुंचा दिया है. कोरोना के बाद लगे लॉकडाउन में हर सेक्टर को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है. असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कामगारों के सामने अभी भी जीवन यापन की समस्या बनी हुई है. जो मजदूर डेली मजदूरी करके अपने परिवार को भरण-पोषण करते थे, उनके सामने परिवार चलाना मुश्किल हो गया है.

लागत भी नहीं निकाल पा रहे मूर्तिकार...

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17 अक्टूबर से नवरात्र शुरू हो रहे हैं. ऐसे में एक बार फिर मूर्ति कारीगरों को आर्थिक हालत सुधरने की उम्मीद बंधी थी, लेकिन हालत सुधरने की उम्मीद परवान चढ़ने से पहले ही मंदी की चपेट में आ गई. मूर्तिकारों के पास मूर्तियां बनाने के ऑर्डर जो सामान्यत इस सीजन में काफी मात्रा में आते थे, लेकिन इस बार ऑर्डर बिल्कुल कम हो गए हैं. पिछले 6 महीनों से कई धार्मिक त्योहार आए, लेकिन कारीगरों की हालत जस की तस बनी हुई है.

sculptors condition,  Navratri 2020
50 प्रतिशत तक गिरी मूर्तियों की बिक्री...

नवरात्र पर नहीं हो रही मूर्तियों की बुकिंग...

लक्ष्मण जिला मुख्यालय पर बरसों से मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं, लेकिन पहले गणेश चतुर्थी और अब नवरात्रों पर मूर्तियों की डिमांड नहीं होने से खासे परेशान हैं. लक्ष्मण ने बताया कि गणेश चतुर्थी पर भी मूर्तियों की बिक्री ना के बराबर हुई थी. क्योंकि प्रशासन ने बड़े पांडाल लगाने पर रोक लगा दी थी. 17 अक्टूबर से शुरू होने वाले नवरात्र पर भी इसका असर दिख रहा है. लक्ष्मण ने बताया कि हर साल नवरात्रि आने से 2 सप्ताह पहले 50 प्रतिशत मूर्तियों की बुकिंग हो जाती है, लेकिन इस बार लोग कोरोना के चलते मूर्तियों की बुकिंग नहीं कर रहे है. इसके पीछे एक कारण ये भी है कि क्या प्रशासन नवरात्र पर बड़े पांडाल लगाने देगा या नहीं.

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मूर्तिकारों का पूरा व्यवसाय पर्वों और त्योहारों के सीजन पर टिका रहता है, लेकिन कोरोना में स्थिति ये हो गई है कि मूर्तिकार लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. बाहर से लाए गए मैटेरियल का खर्चा भी जेब से भरना पड़ रहा है. पांडालों में नवरात्रि को लेकर छोटी-छोटी मूर्तियां बनाई गई हैं, लेकिन मूर्तिकारों का ज्यादा मुनाफा बड़ी मूर्तियों पर होता है. त्योहारों पर हुई बिक्री से इनके एक साल तक का खर्चा चलता है.

ऐसे में अब मूर्तिकारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. असंगठित क्षेत्र के तहत आने से इन कारीगरों पर ना तो सरकार ध्यान देती है ना ही इनके लिए किसी प्रकार का राहत पैकेज की घोषणा करती है. आत्मनिर्भर भारत के सपने को अगर सरकारों को साकार करना है तो लक्ष्मण जैसे मूर्तिकारों को इस कठिन समय में आर्थिक मदद से सहारा देना होगा.

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