राजसमंद. राजस्थान में राजसमंद की राजनीति के लिए मंगल का दिन Super Tuesday रहा. कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया, तो उनके समर्थन में राजस्थान के दिग्गज नेताओं ने जनसभा को संबोधित कर प्रचार अभियान का बिगुल फूंका. लेकिन दोनों ही पार्टियों के लिए चुनावी जनसभा जरूर पेशानी पर चिंता की लकीरें को ऊकेरने वाली हैं.
बात कांग्रेस की :
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस प्रभारी अजय माकन, पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में जनसभा को संबोधित किया. लेकिन सभा में ना तो अपेक्षित भीड़ जुट पाई और ना ही सभा के जरिए जनता को प्रॉपर मैसेज दिया गया.
नहीं जुटी अपेक्षित भीड़...
जनसभा में करीब 3.5 से 4 हजार लोग जुटे थे. भले ही यह संख्या बीजेपी की जनसभा से ज्यादा थी, लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत और सचिन पायलट जैसे विख्यात नेताओं की सभाओं में यह भीड़ मामूली नजर आती है. जबकि इस सभा को लेकर कांग्रेस नेताओं ने करीब 10 हजार से अधिक की भीड़ जुटाने का दावा भी किया था.
पायलट के जाते ही भीड़ हुई रवाना...
सचिन पायलट और अजय माकन को दिल्ली के लिए अपनी फ्लाइट पकड़ने के लिए के शाम करीब 5:00 बजे उदयपुर पहुंचना था. ऐसे में राजसमंद में कुछ ही मिनटों का संबोधन देकर पायलट और माकन उदयपुर के लिए रवाना हो गए, जिसका असर भी जनसभा पर देखने को मिला. पायलट के रवाना होते ही सभा से 500 से 700 महिला-पुरुष घरों की ओर प्रस्थान कर गए.
पायलट के समर्थन में नारेबाजी...
कांग्रेस की जनसभा में जब प्रदेश प्रभारी अजय माकन अपना संबोधन दे रहे थे, तभी 60 से 70 युवाओं की एक टोली मीडिया गैलरी के पास पहुंची और पायलट के समर्थन में नारेबाजी करने लगी. अचानक हुए इस घटनाक्रम से एक बारगी सुरक्षाकर्मियों के भी हाथ-पैर फूल गए. यहां युवा सचिन पायलट आई लव यू और पायलट जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे. जिनका पायलट ने भी हाथ उठाकर अभिवादन स्वीकार किया.
सभा में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और मनरेगा श्रमिक...
कांग्रेस प्रत्याशी तनसुख बोहरा की सभा में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और मनरेगा मजदूरों को भी देखा गया. कई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तो अपने गणवेश में सभा स्थल पर पहुंची थी. जो भीड़ में सबसे अलग ही नजर आ रही थी.
भीड़ की मिन्नतें करते नजर आए कांग्रेस नेता...
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाषण से पहले और उनके भाषण के दौरान जब भीड़ अचानक उठकर जाने लगी तो स्थानीय कांग्रेस नेता सकते में आ गए. ऐसे में कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष देवकीनंदन गुर्जर, कांग्रेस सेवादल के कार्यकर्ता भीड़ के बीच पहुंचे और उनके हाथ-पैर जोड़कर रुकने की मिन्नतें करते नजर आए. इस दौरान गुर्जर तो श्रमिकों के बीच ही जाकर बैठ गए. जिससे वह उठकर ना जा सकें.
मंच पर कांग्रेस नेता से बदसलूकी...
मुख्यमंत्री की जनसभा के दौरान एक कांग्रेस नेता से मंच पर हुई बदसलूकी का मुद्दा शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है. हुआ कुछ यूं कि मुख्यमंत्री के आने से पहले एक पूर्व विधायक के साथ युवा नेता मंच पर जाकर बैठ गए. लेकिन जब एसओजी अधिकारियों को पता चला कि युवा नेता का नाम मंच पर बैठने वालों की सूची में नहीं है, तो वह उन्हें उतारने के लिए पहुंचे. इसी दौरान एसओजी अधिकारियों की और युवा नेता के बीच तू-तू मैं-मैं हो गई. आखिरकार एसओजी अधिकारियों ने सीएम प्रोटोकॉल देखते हुए नेताजी को जबरन मंच से उतार दिया.
सभी नेता एक बार जिताने की करते रहे गुहार...
कांग्रेस प्रत्याशी की जनसभा में मुख्यमंत्री गहलोत, पायलट, माकन डोटासरा और स्थानीय नेता बार-बार जनता से एक बार जिताने की गुहार करते नजर आए. वहीं, पिछले 4 चुनावों में भाजपा की जीत की टीस भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाषण में साफ नजर आई.
बात बीजेपी की :
बीजेपी प्रत्याशी दीप्ति माहेश्वरी के समर्थन में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की अगुवाई में आला नेताओं और जनप्रतिनिधियों का जमघट लगा. लेकिन यह रैली भाजपा के लिए भी कई सवाल छोड़ गई.
वसुंधरा राजे की अनदेखी चर्चा में...
रैली के दौरान कई आला नेताओं के पोस्टर, होर्डिंग और कट वेज लगे हुए थे. लेकिन इन सभी में वसुंधरा राजे नदारद ही नजर आई. भाजपा के कई बड़े नेता जनसभा में पहुंचे थे, लेकिन वसुंधरा की सभा से दूरी चर्चा का विषय है.
सभा से दूर रहे कुछ दावेदार नेता...
भाजपा में 12 से अधिक नेताओं ने टिकट के लिए दावेदारी जताई थी, लेकिन दीप्ति माहेश्वरी को टिकट मिलने के बाद उनके समर्थन में हुई जनसभा में कुछ दावेदार नेता नहीं पहुंचे. ऐसे में उनकी गैरमौजूदगी भी सभा में चर्चा का विषय रही. वहीं, सभा में मौजूद कई दावेदार नेताओं से आला अतिथियों का स्वागत करा कर डैमेज कंट्रोल करने की भी कोशिश की गई.
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सुरेश जोशी के निर्दलीय नामांकन से परेशानी...
भाजपा नेता और पूर्व प्रधान सुरेश जोशी के निर्दलीय नामांकन भरने से भी भाजपा खेमे में चिंता का माहौल है. सुरेश जोशी दिनेश बडाला और महेंद्र कोठारी के समर्थन में जुटे हुए थे, लेकिन दोनों का टिकट कटने के बाद उन्होंने निर्दलीय मैदान में ताल ठोक कर जरूर पार्टी नेताओं की परेशानी बढ़ा दी है.